कंधे पे अपने मेरा सर रहने दीजिए
कुछ की भौहें तन गई, कुछ ने किया प्रणाम
*हुआ गणेश चतुर्थी के दिन, संसद का श्री गणेश (गीत)*
खिलखिलाते हैं उसे देखकर बहुत से लोग,
ॐ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम्।
बुंदेली दोहे- नतैत (रिश्तेदार)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बहते पानी पे एक दरिया ने - संदीप ठाकुर
एक हम हैं कि ख्वाहिशें,चाहतें
हिन्दी ग़ज़ल " जुस्तजू"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
■ मी एसीपी प्रद्युम्न बोलतोय 😊😊😊
विषय:आदमी सड़क पर भूखे पड़े हैं।
मुझ जैसे शख्स को दिल दे बैठी हो,