Dinesh Kumar Gangwar Tag: कविता 30 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dinesh Kumar Gangwar 28 May 2024 · 1 min read भ्रातत्व भ्रातत्व धरा का हम सबसे है हम इसे बनाए रख्खेंगे जो डाले इस पर बुरी नजर उस नजर को हम झुकाएगे हम लाल हैं भारत मां के तेजस्वी हमसे ना... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 4 86 Share Dinesh Kumar Gangwar 18 May 2024 · 1 min read आहत हूॅ कष्ट बहुत था जीवन मे और धन का था अभाव पर ना थके कदम मेरे दुर्गम राहों पर चल कर पूर्ण हुए सब ख्वाब मेरे फिर भी आहत हूॅ मै... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 89 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read ख्वाब ख्वाब देखा था कभी उसे हकीकत में बदलना है हम सभी नव युवको ने मिलकर यह ठाना है भारत के भविष्य को उज्जवल बनाना है ** दिनेश कुमार गंगवार * Hindi · कविता 78 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read माँ ***माँ *** जन्नत है तेरे चरणों में मुझको इनसे दूर ना करना तेरे चरणो मे सदा रहूँ मै यही मांगू दुवा तुझसे हे माँ । मुझपर इतनी महिमा बनाए रखना... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 124 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read रक्त एक जैसा ***रक्त एक जैसा*** है रंग रक्त का एक जैसा फिर क्यों है धर्म के पहरे एक-दूजे को गले लगालो किस सोच में तुम हो ठहरे । है रव ने बनाया,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 124 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read मजदूर है हम मजदूर है हम पर लाचार नही मन निर्मल तन पाषाण गर्मी सर्दी वारिस सब सह सकते है पर हत्याचार नही मजदूर है हम------- मेहनत लो पैसा दो मजबूर तो है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 103 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read पायल ***पायल *** तेरी पायल की खनक तेरे पैरो की आहट आज भी गूँजती है मेरे कानों में उनकी चहक जब तेरी गली से गुजरता हूँ लगता है आती हो तुम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 101 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read समझ ***समझ*** देख कर बेटी की खिलकारी कुटुम्ब को हुई चिन्ता भारी सुन बेटे की खिलकारी घर में आयीं खुशियां भारी प्रेम स्नेह सब बेटे को अर्पण बेटी से उल्टा लिया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 75 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read प्यारा हिन्दुस्तान ***प्यारा हिन्दुस्तान *** जहाॅ चार धर्म है चार है जिसके नाम जग में सबसे अच्छा है दुनियां मे सबसे महान वह है अपना प्यारा हिन्दुस्तान । जिसके खातिर रानी लक्ष्मी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 95 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read शहीदों को नमन ***शहीदों को नमन*** करते है हम शहीदों को नहन खाते है हम शहीदों की कसम तिरंगे की शान को ना होने देगे कम करते है हम ---- कैसी भी राहें... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 94 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read किसान ***किसान*** ना सर्दी तके , ना गर्मी मे तपती धूप कहे अन्नदाता जग , उसे इसी के फलस्वरूप पर ये कैसी कुदरत की है महिमा प्यारे इस कर्मबीर कृषक पर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 138 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read लेकिन क्यों लेकिन क्यों जब शब्द लिखने को थे तव पास कलम नही था जब कलम पास आया तव बक्त नही था जब वक्त भी मिला तब शब्द नही थे। वस यही... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 73 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read भारत के बीर सपूत *** भारत के बीर सपूत *** ऐ भारत के बीर सपूतो मजहब को तुम न देखो एक प्रेम भाव से रहकर भारत के भविष्य को देखो । मजहब से कुछ... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 70 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read चन्द्रमा ***चन्द्रमा*** रोशनी रजत सी बिखेर कर अन्धकार रात्रि का दूर कर राजा रात का निकल रहा रोशनी का भण्डार लेके अन्धकार को चीर के देखो कैसे चमक रहा शमां हो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 63 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read केशव ***केशव *** सुन्दर छवि है चाॅद के जैसी ऐसी जहाॅ में कोई ना देखी देख जिसे हो सब जग मोहित करे बखान विधाता खुद जिसकी ऐसी छवि है श्याम सुन्दर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 74 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read तू भी इसां कहलाएगा ***तू भी इसां कहलाएगा*** मज़हब को रण में बदलके हिंसा की आग लगाने बाले तू भी ना इससे बच पायेगा इसां को भड़काने बाले । घर आज जला मजलूमों का... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 98 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read स्त्री ***स्त्री*** स्त्री कुदरत की है पहचान स्त्री के बगैर ये सारा जहां है बीरान । स्त्री धरती माँ के है समान स्त्री सब सहती है पर रहती है सदा कर्तव्य... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 79 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read पवन ***पवन*** कभी मंद कभी तीव्र गति से वस बहती ही जाये पवन आये जो भी इसकी राहो में मीलो तक उसकी खुशबू पहुंचाये पवन कभी मंद---------------------- पशु पछी और जीव... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 72 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read राम रहीम और कान्हा ***राम रहीम और कान्हा*** राम रहीम और कान्हा हम बुराई से बचे मुझपे इतनी महिमा करना राम रहीम------------ छल कपट और इर्ष्या मिथ्या छोड के मेरे कान्हा सत की राह... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 73 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read पुष्प ***पुष्प*** मेरा खिलता यौवन देख सारा जग खिल जाए मेरी खुश्बू जो ले वह मेरे ही गुण गाये देख मुझे काँटों में हर कोई मुस्कराकर मझको अपने हाथों में लेना... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 86 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read यादें ***यादें*** तेरी याद में साथी सर्दी में तन जले ऐसे वारिश की तपती धूप मे जलती है धरती जैसे है छाया नशा मेरे तन मन मे वश तेरे ही इश्क... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 83 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read हिन्दुस्तान जहाँ से अच्छा है **हिन्दुस्तान जहां से अच्छा है** हम तो ऐसे सेनानी है जो पत्थर पर फूल उगा देगे हिन्दुस्तान जहाँ से अच्छा है यह सबको दिखला देंगे । कश्मीर देश की शान... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 90 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read पर्यावरण 25 ***पर्यावरण *** इस धारा की सुरक्षा तो हर कर्म से जरूरी है माँ के ऑचल की तरह हर खुशी यहाँ मिलती है ज़िन्दगी के लिए यहां इसकी रक्षा जरूरी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 68 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read सत्य ***सत्य*** सुबह उठो जल्दी करो मार्निग वाक मन मे रहे सदा ताजगी रहो निरोगी बर्षो तक आलस आधीन जो पडे रहे हुआ सूर्योदय कूके काक करवट बदले ना फिर भी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 88 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read परम्परा को मत छोडो परम्परा को मत छोडो पर नव पथ भी अपना लो जिस पर चलकर नव भारत को बुलन्दियों तक पहुँचा दो कोई भी ना छू पाये हमको सम्पूर्ण विश्व में, तिरंगे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 86 Share Dinesh Kumar Gangwar 11 May 2024 · 1 min read प्रदाता ईश्वर एक प्रदाता है जो सबको सबकुछ देता है खुशनसीब वही होता है जो परिवार कमा लेता है और बदनसीब वह होता है जो अहंकार में आकर अपना परिवार गवा... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 73 Share Dinesh Kumar Gangwar 9 May 2024 · 1 min read मजदूर ***मजदूर *** है हम करते मजदूरी कभी पेट के लिए कभी परिवार के लिए करते है जी तोड कर मेहनत पर कम है दैनिक मजदूरी फिर भी करनी पडती है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 87 Share Dinesh Kumar Gangwar 12 Apr 2024 · 1 min read सत्य ***सत्य*** सुबह उठो जल्दी करो मार्निग वाक मन मे रहे सदा ताजगी रहो निरोगी बर्षो तक आलस आधीन जो पडे रहे हुआ सूर्योदय कूके काक करवट बदले ना फिर भी... Hindi · कविता 1 2 97 Share Dinesh Kumar Gangwar 9 Apr 2024 · 1 min read चंचल मन ***चंचल मन*** चंचल मन अति ही पावन पल मे करे ये जग भ्रमण कभी अयोध्या, कही ये काशी कभी करे ये हज़ का भ्रमण । चंचल मन अति ही पावन... Hindi · कविता 2 1 86 Share Dinesh Kumar Gangwar 31 Mar 2024 · 1 min read समझ ***समझ*** देख कर बेटी की खिलकारी कुटुम्ब को हुई चिन्ता भारी सुन बेटे की खिलकारी घर में आयीं खुशियां भारी प्रेम स्नेह सब बेटे को अर्पण बेटी से उल्टा लिया... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता · मुक्तक 6 2 184 Share