विवेक दुबे "निश्चल" Tag: ग़ज़ल/गीतिका 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विवेक दुबे "निश्चल" 27 May 2021 · 1 min read नई शुरुवात फिर एक नई शुरुवात करते है । जिंदा हसरतें हालात करते है । थम गई जिंदगी जहां की तहां , फ़िर चलने की बात करते है । सजा कर दिलो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 384 Share विवेक दुबे "निश्चल" 13 Aug 2018 · 1 min read ॐ नमः शिवायः ।।ॐ नमः शिवायः।। श्रवण मास शिव भजकर । लोभ मोह को तजकर । चल शरण शिव की तू , भक्ति भाव से तरकर । दाता हैं शिव त्रिपुरारी , देते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 362 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read कहूँ या न कहुँ आज एक ग़जल कहूँ या न कहुँ । तुझे खिलता कमल कहूँ या न कहुँ । चाहत-ए-जिंदगी की ख़ातिर , दिल-ए-दख़ल कहूँ या न कहुँ । बहता दरिया तोड़कर किनारों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 591 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jul 2018 · 1 min read चलता रहा सफ़र एक लफ्ज़ निगाहों से सुनकर । एक ख़्वाब हसीं सा बुनकर । ओढ़कर चादर ख़यालों की , चलता रहा साथ मेरे दिन भर । आया एक मुक़ाम फिर कोई ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 326 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 Jun 2018 · 1 min read जरूरत खुशियाँ साथ साथ चलती रहीं । रंजिशें बार बार बदलती रहीं । मुड़ते रहे साथ जरूरत के , जरूरतें वक़्त से बदलती रहीं । घुटते रहे अरमान भी कभी ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 363 Share विवेक दुबे "निश्चल" 23 Jun 2018 · 1 min read अहसास वक़्त बदलते रहे अहसास के । ज़िस्म चलते रहे संग सांस के । थमती रहीं निगाहें बार बार , कोरों में अपनी अश्क़ लाद के । रूठे रहे किनारे भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 527 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 Jun 2018 · 1 min read सूखे पत्ते वो सूखे पत्ते *पलाश* के । टूटे सितारे आकाश से । खोजते रहे जमीं अपनी , कल तक जो थे साथ से । क्यों तरसती रहीं निगाहें , उजाले थे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 487 Share विवेक दुबे "निश्चल" 18 Jun 2018 · 1 min read झड़ता रहा झड़ता रहा पत्तो सा । चलता रहा रस्तों सा । मिला नही कोई ठिकाना , अंजाम रहा किस्तों सा । वो टपका बून्द की मांनिद , अंजाम हुआ अश्कों सा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 465 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Jun 2018 · 1 min read खामोशी खामोशी ओढ़कर इजहार रहा । बे-इंतहां उसका कुछ प्यार रहा । ... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 260 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Jun 2018 · 1 min read छोड़ चले वो छोड़ चले वो रहो में । अलसाए उजियारो में । एक चँदा की ख़ातिर , सोए न हम रातों में । गिन गिन गुजरी रातें , याद सुहानी यादों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 411 Share विवेक दुबे "निश्चल" 23 May 2018 · 1 min read चाहत बसंत के मौसम में । झड़ते पतझड़ से । झरने वो निर्मल से । झरते जो निर्झर से । भाव जगे उर से । शून्य रहे नभ से । बहने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 557 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 May 2018 · 1 min read जिंदगी तुझे ज़ज्बात लिखूँ अपने हालात लिखूँ । जिंदगी किस तरह तुझे साथ लिखूँ । डूबकर तन्हाइयों में अक्सर , खुशियों की मुलाक़त लिखूँ । जी रही जिंदगी ख़ातिर जिनके, सपनों के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 471 Share विवेक दुबे "निश्चल" 11 May 2018 · 1 min read अपनी अपनी मर्जी अपनी अपनी मर्जी । अपना अपना मन । बदली के छा जाने से , आता नही सावन । धरती भींगे वर्षा बूंदों से , भींगे न फिर भी मन ।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 323 Share विवेक दुबे "निश्चल" 12 Apr 2018 · 1 min read जिंदगी तुझमे भी मेरा दख़ल होता जिंदगी तुझमे भी मेरा दख़ल होता । हाथों में मेरे भी मेरा कल होता । न हारता हालात से कभी , बदलता हर हालत होता । अँधेरे न समाते उजालों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 479 Share विवेक दुबे "निश्चल" 1 Apr 2018 · 1 min read कल नही होता आज सा न रहा वो जलवा चराग़ का । न रहा वो हुस्न शराब सा । था सिकन्दर कभी कोई , हुआ अब वो क़िताब का । डूब कर चाँद मगरिब में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 421 Share विवेक दुबे "निश्चल" 29 Mar 2018 · 1 min read तिनका तिनका तिनका तिनका सा बिखरता है । झोंका हवा पास से गुजरता है । सहता कौन सच के प्रहार को , सच आज नश्तर सा चुभता है । गुजार कर लहरों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 251 Share विवेक दुबे "निश्चल" 23 Mar 2018 · 1 min read आदमीं जल स्वार्थ भरा आदमी । निग़ाह टारता आदमी । स्वार्थ पर ही सवार आदमी । चाहे खुदकी जयकार आदमी । निग़ाह से उतारता आदमी । करता नजर अंदाज आदमी ।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 429 Share विवेक दुबे "निश्चल" 23 Mar 2018 · 1 min read पानी भी होता पानी पानी सूखी गर्भ धरा अब ख़त्म होती रवानी । पहुँच रसातल पानी-पानी होता पानी । मोल नही रहा अब कोई रिश्तों का , दुनियाँ भी दुनियाँ को लगती बेगानी । रीत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 395 Share विवेक दुबे "निश्चल" 18 Mar 2018 · 1 min read चैत्र प्रतिपदा चैत्र प्रतिपदा फिर आई है । धरा फूली नही समाई है । झूम उठीं फसलें सब , अमियाँ भी बौराई है । सोर भृमण पूर्ण फिर वसुंधरा कर आई है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 210 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Mar 2018 · 1 min read ज़ीवन के वार खड़ा बही अपराध भाव से । चलता जो निःस्वार्थ भाव से । सी कर चादर को अपनी , ओढ़ा पुरुस्कार भाव से । खड़ा बही अपराध भाव से । चलता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 415 Share विवेक दुबे "निश्चल" 12 Mar 2018 · 1 min read ख़ामोशी खामोशी कहतीं अक्सर । लिखता मिटता सा अक्षर । सजकर रात सुहाने तारों से , चँदा आँख चुराता अक्सर । देख रहा वो आँख मिचौली , दूर छिपा बैठा नभ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 443 Share विवेक दुबे "निश्चल" 9 Mar 2018 · 1 min read जो पूरी ग़जल बन गए ज़ज़्बात जो पूरी ग़जल बन गए । एक बात से बात कुछ यूँ बन गए । तेरी यादों में चैन बैचेन हो रही । नर्म सेज चुभन अहसास दे रही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 254 Share विवेक दुबे "निश्चल" 8 Mar 2018 · 1 min read आया ले कुछ यादों को । आया ले कुछ यादों को । वादों के रंग लगाने को । टेसू से मन आँगन में , केसरिया छा जाने को । प्रीत मिलन नयनों से , अबीर फुहार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 234 Share विवेक दुबे "निश्चल" 21 Feb 2018 · 1 min read यह इश्क़ यह इश्क़ यादगार हो गया । यूँ खुद राजदार हो गया । चलता दरिया के किनारों पे , लहरों को इंतज़ार हो गया । उठी नज़र निग़ाह उठाने को आसमां... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 213 Share विवेक दुबे "निश्चल" 21 Feb 2018 · 1 min read ठहर गई कलम ठहर गई वो क़लम , खूब कह कर । ख़ामोश हुआ शीशा , ज्यों टूटकर कर । लफ्ज़ आते नही पास, जुस्तजू बन कर । कहता है वक़्त गुजरा ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 462 Share