विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ Tag: दोहा 31 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 26 Apr 2024 · 1 min read दिल पर करती वार मरी हुई संवेदना, दिल पर करती वार। नादां इंसा क्या करे, पड़ा बीच मझधार।। "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 3 188 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Apr 2024 · 1 min read छूटा उसका हाथ जुड़ी रही संवेदना, हर इक दिल के साथ। तड़पे दिल नादान सा, छूटा उसका हाथ।। "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 102 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 23 Apr 2024 · 1 min read लेकर सांस उधार मरी हुई संवेदना, साधे शर उर पार। भाव बेचारे सिसकें, लेकर सांस उधार।। "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 3 131 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 22 Apr 2024 · 1 min read भरे हृदय में पीर गहरी सी संवेदना, पाश लिए गंभीर। बाहर भीतर डोलकर,भरे हृदय में पीर।। "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 2 104 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 22 Apr 2024 · 1 min read करती गहरे वार खंजर सी संवेदना, करती गहरे वार। पगलाया इंसा भला, कैसे उतरे पार। "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 3 116 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 21 Apr 2024 · 1 min read घाव करे गंभीर गहरी सी संवेदना, घाव करे गंभीर। देख असर कौतुक भरा, शरमाए शमशीर । "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 160 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 13 Feb 2024 · 1 min read नजराना नजराना जो भी मिले, दिल से करें कबूल। रूठना बेबात पर है, दुर्गेश तेरा फिजूल। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 1 386 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 12 Feb 2024 · 1 min read पाहन भी भगवान भूलों से ही सीखते, भटके से इंसान। भावों से बनते यहां, पाहन भी भगवान। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 263 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 11 Feb 2024 · 1 min read सरोकार खुद की पीड़ा से रहा, सभी को सरोकार। पर पीड़ा करती रही, दूर खड़ी चीत्कार । Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 1 341 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 10 Feb 2024 · 1 min read हुआ दमन से पार बाधाएं आती रहीं, पथ में बारंबार। जोशीला मन जो किया, हुआ दमन से पार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 268 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 9 Feb 2024 · 1 min read ईमान कदम कदम पर बिक रहा, लोगों का ईमान। अंधेर सी नगरी में, मौज करे दीवान। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 286 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 8 Feb 2024 · 1 min read छप्पन भोग सादा जीवन जी रहे, ऊँचे कद के लोग। जमकर खूब उड़ा रहे, भूखे छप्पन भोग। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 270 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 7 Feb 2024 · 1 min read अनोखा दौर बेईमानों का चला, एक अनोखा दौर। उजले कपड़े पहन कर, निकले घर से चोर। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 1 329 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 6 Feb 2024 · 1 min read खुला आसमान उड़ने को सब चाहते, इक खुला आसमान। पगले नीचे देख ले, सूना पड़ा श्मशान। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 147 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 5 Feb 2024 · 1 min read हल आहों में ही कट रहे, अपने प्यारे से पल। वह सौदाई जानता, मेरे व्यथा का हल। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 137 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 4 Feb 2024 · 1 min read मकरंद लिखते हैं सब ही यहां, अपने-अपने छंद। भंवरा ढूँढ़ें पुष्प पर, भांति भांति मकरंद। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 165 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 4 Feb 2024 · 1 min read जनता मुफ्त बदनाम अपनी रोटी सेंकना नेताओं का काम। आका लूटे देश को, जनता मुफ्त बदनाम। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 151 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 3 Feb 2024 · 1 min read बसंत आएगा फिर से वही, खुशियों भरा बसंत। महकेगा सारा चमन, भरमाएगा कंत। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 170 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 2 Feb 2024 · 1 min read मेखला धार चंचल चपला चमक रही, बीच मेघ बन नार। धरा बावरी झूमती, देख मेखला धार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 108 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 31 Jan 2024 · 1 min read झूठ रहा है जीत लूटेंगे अपने यहाँ, गैर निभाएं प्रीत। मतलब के संसार में, झूठ रहा है जीत। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 154 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 30 Jan 2024 · 1 min read मोल जीवन की गाड़ी चले, बिन डीजल पेट्रोल। श्रमजीवी ही जानता, दो रोटी का मोल। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 119 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 27 Jan 2024 · 1 min read बदला सा व्यवहार बदली सी फितरत रही, बदला सा व्यवहार। झूठी बातों से फले, उनका कारोबार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 1 131 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read ठंडक ठंडक भी सौतन हुई, खुल कर करती वार। इक तो कांपे तन घना, दूजा वह उस पार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 183 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read मोल चंदन सी खुशबू रहे, चीनी सा हो घोल। जून पड़े सब मानते, पाहन का भी मोल। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 122 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read दो धारी तलवार दो धारी तलवार से करो नहीं तुम वार। मीठे वचनों से बने सुखी सकल संसार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 122 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read दिल से करो पुकार खामोशी को तोड़कर, दिल से करो पुकार। नंगे पांव दौड़़ कर, आएंगे सरकार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 115 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read कौन सुने फरियाद चमचे मौजी बन गए, कौन सुने फरियाद। आका लूटे देश को, जनता है बरबाद। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 195 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read शीतलहर शीतलहर बढ़ने लगी, जीना हुआ दुश्वार। दिनकर भी दिखते नहीं, हुए सभी लाचार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 141 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read बलबीर तरकश सब खाली हुए, कुंद पड़ी शमशीर। नई चाल चलने लगा, झुका हुआ बलबीर। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 138 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read वार नयनों का धनु साध कर, करते छिप कर वार। बिन बोले ही कर रहे, तीर जिगर के पार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 128 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read कारोबार उसकी बातों से रहा, बस मुझे सरोकार। मतलब से चलता रहा, उसका कारोबार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 118 Share