डा. पूनम श्रीवास्तव Tag: कविता 19 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डा. पूनम श्रीवास्तव 31 Mar 2021 · 1 min read अत्याचार का शिकार ये कैसा समय आया| दहशत काहै साया| मानव कुछ समझ न पाया| कोरोना ने यूँ भरमाया| ऐसा भयंकर जाल बिछाया| पूरे जनमानस को सताया| घर तक में सन्नाटा छाया| होली... Hindi · कविता 409 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 30 Mar 2021 · 1 min read पति पत्नी के लिए पति सचमुच में बडा़ प्यारा होता है| मन को अजीज होता है जग से न्यारा होता है| पश्चिम से कैसी भी हवा चले, सबको वो कितनी भी... Hindi · कविता 2 445 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 21 Mar 2021 · 1 min read कविताई कविताई__ है भाव खतम सब भाई| कैसे होगी कविताई| अपनी अपनी पडी़ है सबको, अपनी रूचि है भाई| है भाव..... है स्वार्थ सिद्ध अब जनता| ना किसी का किसी से... Hindi · कविता 460 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 19 Mar 2021 · 1 min read पीड़ा जिसको मानाथा पति वो पतित हो गया मन हमारा तो पूरा व्यथित हो गया... तुम जहाँ में मिले हो हमें साथिया, क्यो दिया यूँ दग़ा क्या था मैने किया.. मन... Hindi · कविता 1 273 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 19 Mar 2021 · 1 min read मनई अजब जहाँ क गजबे अन्हरिया भरल हवे निराशा जी..... आजु के जुग में बदल गइल बा मनई क परिभाषा जी..... अजब जहाँ क गज़ब अन्हरिया भरल हवे निराशा जी... आजु... Hindi · कविता 1 486 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 15 Mar 2021 · 1 min read मेरीजगत में हेठी हुई है सुनों सुनों ओ प्रियतमा, जीवन लग रहा सर्द फिर घर में बेटी हुई बढ़ा मेरा सिर दर्द| मुझे गलत मत समझना मै तो हूँ मजबूर| किससे अपनी व्यथा कहूँ, हो... Hindi · कविता 2 374 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 10 Mar 2021 · 1 min read चिनगारी पत्थर जितने होंगे समुंदर के अंदर, निश्चित ही हम जैसे स्वरूप उनका होगा| यह सोच सोच मानवता बिलख रही प्रतिपल यह मानव उन पत्थरों का गुरु रुपहोगा| ठहरो ना भागो... Hindi · कविता 1 441 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 8 Mar 2021 · 1 min read नारी नारी समाज की चांदनी है, नारी सुखद सुवास| बस इतना उपहार उसे दो, करो अटल विश्वास| ईश्वर की है अद्भुत रचना, उसके गुण का साबुत गहना| चुप रहकर सब सहते... Hindi · कविता 1 654 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 5 Mar 2021 · 1 min read हमारी बारी हमारी बारी_ हमें जीवंतता दे गई जो नारी हैं| कर्मों से अपने सिखा गईं वो, अब हमारी बारी है| स्वतंत्रता संग्राम में, जिन्होंने आत्मबल पराक्रम का परिचय दिया| उसमें एक... Hindi · कविता 1 1 527 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 4 Mar 2021 · 1 min read नारी_ हम मधुर मृदुल हैं सृजन ब्रम्ह की, हमें भयानक आहटों से मत भरो| हम मुस्कराहट की दैवीय उपहार हैं ब्रम्ह की, हमारे स्वप्निल स्नेहिल मन को कडवाहटों से मत भरो|... Hindi · कविता 2 1 538 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 27 Feb 2021 · 1 min read पत्र पत्रिकाओं लेखनी को जगाने वाली, जन जन तक पहुंचाने वाली| सजग सचेतन मानवता के लिए कदम उठाने वाली चेतनाओं| कोटि कोटि नमन तुम्हें, सभी पत्र पत्रिकाओं| बेचैनी होती जब कवि को,... Hindi · कविता 272 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 27 Feb 2021 · 1 min read जीवन- हम जी लिए जीवन, बिन समाज को राह दिखाये| अब बच्चे कैसे जियेंगे, उस समाज में, जिसको हमने विकृत बनाये| नन्ही कली, नन्हां मुन्ना| देख समाज को घबराये| हम कैसे... Hindi · कविता 1 240 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 27 Feb 2021 · 1 min read हमारा मकसद शब्दों तक में परिवर्तन आया, अर्थ बदलने सा लगा यहीं हैं| सच कहा है किसी ने,. कि दगा किसी का सगा नहीं है| बदलते परिवेश में भी संघर्ष जारी रखना... Hindi · कविता 1 495 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 26 Feb 2021 · 1 min read माँ से अनुहार सूर्य☀ उदित होता पूरब से, मां तुम पश्चिम मत जाओ| अपने देश की संस्कृति मानो, ममता को मत तरसाओ| देखो माँ भारतीय माओं को इतिहास में| कितना सजग स्वरूप रहा... Hindi · कविता 2 2 442 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 26 Feb 2021 · 1 min read तकिया तकिया_ बचपन सरसों की तकिया रखसिर सुडौल किया जाता था| बड़े प्यार से मां के द्वारा तकिया वह सिया जाता था| हुए बडे़ जब थोडे़ से तकिया हुईफलदायी| तकिया फेंक... Hindi · कविता 1 562 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 25 Feb 2021 · 1 min read माँ की भावना माँ की भावना _ बिटिया रानी, तुममें बसी पूरी जिंदगानी| लाडली माँ ने कहा अगर गुस्से में कुछ, तो मत करना अनसुनी| क्योंकि माँ के द्वारा दुनिया है. जानी सुनी|... Hindi · कविता 1 1 435 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 25 Feb 2021 · 1 min read बालक की पीड़ा बालक की पीड़ा_ माँ तुम व्यस्त रहती हो हमेशा| हमने तुमको ऐसा ही देखा| कभी तो बैठ के दुलारो तुम| हमारा जीवन प्यार से संवारो तुम| झुंझलाहट को दूर कर... Hindi · कविता 2 1 276 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 22 Feb 2021 · 1 min read धरा की व्यथा धरा की व्यथा_ तरक्की के नाम पर कटते दरख़्त हरे भरे| हक्की बक्की सी धरा अपनी व्यथा किससे कहे| वह सोचती है यह मनुज कैसा है होता जा रहा| अपनी... Hindi · कविता 3 2 468 Share डा. पूनम श्रीवास्तव 18 Feb 2021 · 1 min read कर्तव्य मानव का हवाओं का काम है, दिये को बुझाना| दुआओं का फर्ज है लौ को जलाना| चलते को गिराना तो पशुओं का काम है, इंसा का फर्ज है, गिरे को उठाना| दुखियों... Hindi · कविता 1 221 Share