Tariq Azeem Tanha 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Tariq Azeem Tanha 6 May 2018 · 1 min read यादो के आईने यादो के आईने में तुझे सुबहो-शाम देखूँ, कहकर तेरे तस्सवुर पे मैं भी कलाम देखूँ। घर से निकलके रोज़ जाता हूँ मैं किधर, पीछा अपना करके वो मंज़िल-ओ-मकाम देखूँ। लबरेज़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 242 Share Tariq Azeem Tanha 28 Apr 2018 · 1 min read बादे-नौ-बहार चली बाद-ए-नौ-बहार चली आ गयी हैं अब होली, खिली हैं हर एक कली आ गयी हैं अब होली सभी लोग मस्त हैं, अब नाचते हैं गाते हैं तुम भी झूमो अपनी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 532 Share Tariq Azeem Tanha 20 Apr 2018 · 1 min read जाग करे क्यों। कोई मुझमे ऐसे जागा करे क्यों, आँखों में क़याम किया करे क्यों! कोई रात भर रहे इन आँखों में, पलकों पर मेरी जला करे क्यों! रास हर जख्म हर दर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 456 Share Tariq Azeem Tanha 20 Apr 2018 · 1 min read साहब की सैर साहब की हवाई सैर पर एक मतला और एक शेर देखे। कू-ए-वतन में उड़न तश्तरी मोड़िये ना, साहब विदेश घूमने की जिद छोड़िये ना! इंसाफ दिलाके आसिफा की रूह को... Hindi · मुक्तक 412 Share Tariq Azeem Tanha 19 Apr 2018 · 1 min read हयात से वफ़ात तक का सफ़र, और उसकी तल्खियां। सोज़िशे-दयार से निकल जाना चाहता हूँ, हयात से अदल में बदल जाना चाहता हूँ! तन्हाई ए उफ़ुक़ पे मिजगां को साथ लेके, मेहरो-माह के साथ चल जाना चाहता हूँ! आतिशे-ए-गुज़रगाह-ए-चमन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 426 Share Tariq Azeem Tanha 13 Apr 2018 · 1 min read अपने चेहरे पे। अपने चेहरे पे जुल्फों को पड़ा रहने दो, रौशनी गर्दिशों में और अँधेरा रहने दो! चाँद खुद भी शर्मायेगा देखकर तुमको, कम से कम आँखों को ही खुला रहने दो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 370 Share Tariq Azeem Tanha 3 Apr 2018 · 1 min read चाँद खूबसूरत रहेगा आखिर कैसे... देखो तो हम कहाँ से कहाँ पहुँच गए, खबर नही अपनी हम वहाँ पहुँच गए! जहाँ कहीं उसका पता मिला था हमे, अंजुमन से उठकर वहां वहां पहुच गए! ताबीर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 196 Share Tariq Azeem Tanha 3 Apr 2018 · 1 min read जो दुश्मन थी जो दुश्मन थी, मेरी जां, आज उनकी जां हो गयी, हाय! क्या सितम हैं के दुनिया भी हमनवां हो गयी! उसे फिर पड़े कहाँ चैन ढूंढे सेहरा में मजनू सा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 211 Share Tariq Azeem Tanha 1 Apr 2018 · 1 min read हवा देखिये। खुशबुओं से घुली हैं हवा देखिये, कितनी महकी हुई हैं फ़िज़ा देखिये। मर मिटे कितने लोग इश्क़ में, चल रहा ये हैं सिलसिला देखिये! तारिक़ अज़ीम 'तनहा' 212 212 212... Hindi · मुक्तक 440 Share Tariq Azeem Tanha 1 Apr 2018 · 1 min read रहने दो। अपने चेहरे पे जुल्फों को पड़ा रहने दो, रौशनी गर्दिशों में और अँधेरा रहने दो! चाँद खुद भी शर्मायेगा देखकर तुमको, कम से कम आँखों को ही खुला रहने दो!... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 361 Share