Manishi Sinha 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Manishi Sinha 4 May 2024 · 2 min read *संवेदनाओं का अन्तर्घट* ख़्वाबों और ख़्वाहिशों के अंतहीन प्यास में आधुनिकता के रंगीन फ़रेबी मायाजाल में धीरे धीरे छूटा जा रहा इंसानियत का साथ मानव के हाथों से मानवीय संबंधों का हाथ !... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 2 130 Share