जख्म के दाग हैं कितने मेरी लिखी किताबों में /"लवकुश यादव अज़ल"
हर दर्द ,ज़ख्म यूँ ही नही मिलता है जमाने में, दर्द को गुजरना पड़ता है सूनसान राहों से। होंठ लाल हैं उनके जरा देखो लवकुश, रक्त का कतरा कतरा निछोडा...
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