शशि कांत श्रीवास्तव 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid शशि कांत श्रीवास्तव 22 Feb 2024 · 1 min read शून्य से शिखर तक शून्य_से_शिखर ______________ शून्य से शिखर तक सफर जारी है , संकल्प और इच्छा शक्ति की उड़ान के संग , ये नीला व्योम है बादलों के संग या .., नीला सागर... Poetry Writing Challenge-2 1 190 Share शशि कांत श्रीवास्तव 21 Feb 2024 · 1 min read फलक के सितारे "फ़लक के सितारे" ------------------------ कल तक थे वो आँगन के सितारे आज जा बैठे हैं वो दूर फ़लक पे टिमटिमा रहे हैं वो बन के सितारे तभी तो हैं वो... Poetry Writing Challenge-2 1 81 Share शशि कांत श्रीवास्तव 20 Feb 2024 · 1 min read खुशियाँ तुमसे -है "खुशियाँ तुमसे -है " ------------------------ जीवन में खुशियाँ तुमसे है यह जाना मैने आज सही, जीवन के आँगन में -थे अगणित तारे ..., जो लगते थे कितने प्यारे से कुछ... Poetry Writing Challenge-2 2 67 Share शशि कांत श्रीवास्तव 19 Feb 2024 · 1 min read शोर शोर ****** शोर... शोर ही तो है चीख...चिल्लाहट...विलाप ये ही तो प्रकार हैं शोर के, दिखता है... मचलता है एक उन्मादी की तरह क्योंकि शोर खुद में एक उन्माद है,... Poetry Writing Challenge-2 3 103 Share शशि कांत श्रीवास्तव 19 Feb 2024 · 1 min read जीवन नैया जीवन नैया ************ लेकर अपनी जीवन नैया चल पड़े क्षितिज के उस पार, बीत रही है जीवन की संध्या तेरे इस संसृति में मेरी, चल दिया दिवाकर संग मेरे राह... Poetry Writing Challenge-2 2 94 Share शशि कांत श्रीवास्तव 18 Feb 2024 · 1 min read माँ -एक अहसास *माँ -एक अहसास* ****************** माँ.... माँ तुम क्यों चली गई ! इस तरह से रूठ कर मुझसे, दूर... बहुत दूर... अनंत में , मुझे जब भी तेरी जरूरत होती है... Poetry Writing Challenge-2 1 86 Share शशि कांत श्रीवास्तव 18 Feb 2024 · 1 min read आशा की किरण *आशा की किरण* ***************** आशा की वो प्रथम किरण -जो कल भी जली थी आज भी जली है..., और -कल भी जलेगी...! लेकर आने को धरा पर , आशा का... Poetry Writing Challenge-2 1 64 Share शशि कांत श्रीवास्तव 17 Feb 2024 · 1 min read जीवन क्षणभंगुर है "जीवन क्षणभंगुर है" ****************** यह ,मानव जीवन मिला है तुमको जी लो इसको -जी भर के तुम, क्योंकि,जीवन क्षणभंगुर जो है | पल भर का यह जीवन जो है भर... Poetry Writing Challenge-2 1 114 Share शशि कांत श्रीवास्तव 17 Feb 2024 · 1 min read आदमी || *आदमी*|| वो आदमी ही तो है सभ्य समाज का सभ्य प्राणी पढ़ा लिखा और बुद्धजीवी फिर ,क्यों करता है व्यवहार जाहिलों और गवारों जैसा ? क्योंकि , वो आदमी... Poetry Writing Challenge-2 1 70 Share शशि कांत श्रीवास्तव 16 Feb 2024 · 1 min read अनुभूति *अनुभूति* दिवस के अवसान की बेला आ रही है, धीरे धीरे ..... प्रतिबिंबित हो रही है चेहरे पर, चमक जो थी कभी इन आँखों में वीरानी नजर आ रही है... Poetry Writing Challenge-2 2 82 Share शशि कांत श्रीवास्तव 16 Feb 2024 · 1 min read प्रियतमा और कॉफी *प्रियतमा और कॉफी* ******************** ए वक्त ले चल मुझे --वहाँ जहाँ सुकून मिले, कुछ पल दिल को, इंतजार का वक्त खत्म होता ही नही, बैठे -बैठे ---यहाँ....., समय जैसे थम... Poetry Writing Challenge-2 1 57 Share शशि कांत श्रीवास्तव 16 Feb 2024 · 1 min read क्या -दीया जलाना मना है *क्या_दीया_जलाना_मना_है* ************************ आगे सघन घना अँधेरा है कुछ सूझ नहीं रहा है -अब, साया भी समा रहा अपने में, मन भी डूब रहा है अब इस सघन घने अँधेरे में,... Poetry Writing Challenge-2 1 61 Share शशि कांत श्रीवास्तव 15 Feb 2024 · 1 min read आँसू *आँसू* ******* ये आँसू ही तो हैं जो, हाले बयां करते हैं, दिल का...! जरा सी ठेस क्या लगी दिल को....., मचल उठते हैं आने को साथ देने को, ये... Poetry Writing Challenge-2 1 54 Share शशि कांत श्रीवास्तव 14 Feb 2024 · 1 min read उदास राहें *उदास_राहें* ********** सूनी -सी ,उदास ये राहें दीखती हैं दूर तलक अंतहीन छोर तक | सूनी -सूनी अँखियों से निहारूं हर रोज़ , जब से गये उस राह से तुम... Poetry Writing Challenge-2 1 56 Share शशि कांत श्रीवास्तव 13 Feb 2024 · 1 min read ढलती साँझ *ढलती साँझ* आ गए हैं चलते चलते हम दोनों जीवन के इस मोड़ पर जहाँ..... हम -तुम के सिवा कोई नहीं है | आओ... चलो... चलें... वहीं, झील के किनारे... Poetry Writing Challenge-2 1 112 Share शशि कांत श्रीवास्तव 12 Feb 2024 · 1 min read समय की रेत *समय_की_रेत* यह समय ही तो है -जो , सदा फिसलता रहता है , रेत की मानिंद अनवरत , कभी रुका है किसी के लिए , क्या ..! यह समय ही... Poetry Writing Challenge-2 1 129 Share शशि कांत श्रीवास्तव 11 Feb 2024 · 1 min read निहार रही हूँ उस पथ को *निहार रही हूँ उस पथ को* *********************** नीर भरी नयनों से -मैं , निहार रही हूँ उस पथ को, जिस पथ को तुम छोड़ गये थे, लिये उदास से चेहरे... Poetry Writing Challenge-2 1 74 Share शशि कांत श्रीवास्तव 10 Feb 2024 · 1 min read वो, मैं ही थी *वो, मैं ही थी* ************ वो, मैं ही थी... जब आवाज दी थी तुमको, उस पार से -प्रिये.., क्यों ना सुनाई दी थी तुमको? देखो तो जरा, आँखें तो खोलो,... Poetry Writing Challenge-2 1 71 Share शशि कांत श्रीवास्तव 9 Feb 2024 · 1 min read धवल चाँदनी की रजनी में *धवल_चाँदनी_की_रजनी_में* ************************** इस धवल चाँदनी की रजनी में उपवन की कलियाँ चिटक रहीं हैं, शबनम की अमृत से मिलकर, कुछ पुष्प बने कुछ कली बनी, धवल चाँदनी की रजनी में......,... Poetry Writing Challenge-2 1 55 Share शशि कांत श्रीवास्तव 8 Feb 2024 · 1 min read मूक निमंत्रण *मूक -निमंत्रण* *************** निशा दे रही है मूक -निमंत्रण निस्तब्धता छा रही है चहुँओर, तारे भी थक कर सो रहे हैं, चाँद भी चला बादलों की ओट, निशा दे रही... Poetry Writing Challenge-2 1 115 Share शशि कांत श्रीवास्तव 7 Feb 2024 · 1 min read नशीली चाँदनी *नशीली -चाँदनी* ***************** देखो देखो प्रिये ...., है ,ये आज की रात कितनी सुहानी भरा हुआ है अंबर इन जगमग करते तारों से ...., वहीं चाँद भी है क्यों मध्यम... Poetry Writing Challenge-2 1 130 Share शशि कांत श्रीवास्तव 6 Feb 2024 · 1 min read थोड़ा सा ठहर जाओ तुम *थोड़ा-सा ठहर जाओ तुम* ********************** मंजिल है दूर बहुत, साँझ भी ढ़ल रही है, कुछ पल को.... थोड़ा -सा ठहर जाओ तुम | ऐ -मेरे हमसफर -हमनवाज, रैना भी बीत... Poetry Writing Challenge-2 1 106 Share शशि कांत श्रीवास्तव 6 Feb 2024 · 1 min read पल प्रतीक्षा के *पल प्रतीक्षा के प्रिये* ******************* मैं ,मन अपना बहलाता हूँ ये ,पल प्रतीक्षा के -प्रिये, मानों....., पल -पल बीत रहें हों जैसे, दिवस ढ़ल गया उतरी --साँझ, देख देख कर,... Poetry Writing Challenge-2 2 87 Share शशि कांत श्रीवास्तव 5 Feb 2024 · 1 min read *छूट_गया_कितना_कुछ_पीछे* *छूट_गया_कितना_कुछ_पीछे* -------------------------------------- क्या लेकर चले थे -कभी क्या लेकर आये थे -कभी किसका अफसोस करें उसका , जो कभी था ही नहीं हमारा क्यों करें अफसोस उसका जब तक हमारा... Poetry Writing Challenge-2 2 154 Share शशि कांत श्रीवास्तव 4 Feb 2024 · 1 min read जीवन चलने का नाम *"जीवन चलने का नाम।"* जीवन चलने का नाम ही तो है और चलना प्रगति की निशानी है, तू चलता चल अपने पथ पर...| बिना रुके -बिना डरे, अपने लक्ष्य को... Poetry Writing Challenge-2 1 158 Share