शालिनी साहू Tag: कविता 38 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid शालिनी साहू 6 Mar 2018 · 1 min read पूरे शहर में छाया है.. दीवारें खड़ी हो रही थी यहाँ तो हर घर में कमबख्त तोड़ने का हौसला कहाँ से आया.. गली से चलकर चौराहे से जुड़े हर घर में यही एक जुमला चर्चे... Hindi · कविता 1 2 268 Share शालिनी साहू 15 Nov 2017 · 1 min read निखरता जा रहा .. बढ़ा दी है चौकसी पहले से ज्यादा अब दबे पाँव जाना है लाजमी कैसे मन को समझाऊँ नादान है कैसे इसे बताऊँ मत उलझ उसकी बिखरी अल्कों में गहरा राज... Hindi · कविता 2 577 Share शालिनी साहू 20 Oct 2017 · 1 min read कुछ सिमटे मोती थे..... झिलमिलाते दीपों की ओट में कुछ सिमटे मोती थे ! उत्सव था प्रकाश पर्व का दूर करना था अन्तस के अँधेरे को! खट्टी-मीठी यादों का आँगन फिर से प्रज्वलित हुआ... Hindi · कविता 335 Share शालिनी साहू 18 Oct 2017 · 1 min read दीपक जलाते रहें... दीप जलते रहें जगमगाते रहें हर बरस उत्सव के पल आते रहें! . मिट्टी के दीये पटाखों की झड़ी हमेशा मन को खिलखिलाते रहें! . दुकानों की चमक राहों की... Hindi · कविता 1 789 Share शालिनी साहू 2 Sep 2017 · 1 min read अधिकार तुम्हें था.... अधिकार तुम्हें था रुठ जाने का एक-बार नहीं सौ बार जाने का इस कदर दूर तो न होते तुम मुझसे साँसे भी इन्तजार करें तुम्हारे आने का.. . बदल दिये... Hindi · कविता 424 Share शालिनी साहू 31 Aug 2017 · 1 min read कब आओगे तुम... पलकें बिछी थी कोरों पर सुवासित की झड़ी उठ रही एक तरंग मानस सागर में जो उथल-पुथल करती ह्रदय देती झकझोर! उम्मीद और आशा की तरंगों से प्लावित जलधारा सी... Hindi · कविता 1 367 Share शालिनी साहू 25 Aug 2017 · 1 min read सबसे बड़ा रुपइया भइया... शव लादे कन्धों पर पाँव लड़खड़ा रहे थे नन्हीं मुन्नी हाथ पकड़ चल रही थी अपने पैरों पर ... मील दर मील चलता गया करूणा का केन्द्र बनता गया हर... Hindi · कविता 1 322 Share शालिनी साहू 24 Aug 2017 · 1 min read वाह-वाही करके तो देखो.. पत्नियाँ हो जाती हैं खुश बस एक बार वाहवाही करके तो देखो प्रिये! आज तुम बहुत सुन्दर लग रही हो! ये नीली साड़ी तुम पर बहुत जँचती है! सारा प्रेम... Hindi · कविता 288 Share शालिनी साहू 30 Jul 2017 · 1 min read दायरा... फुँहारे पड़ी अचानक आँखों का दर्द समझूँ या बारिश का पानी! कह दूँ मन की व्यथा आज फिर तुमसे उबरने को समझूँ या उलझने को ठानू! देख फिर से उलझने... Hindi · कविता 419 Share शालिनी साहू 28 Jun 2017 · 1 min read ऐसी निशानी दे दी.... माँ तुमने ऐसी कहानी दे दी ज़िन्दगी भर की निशानी दे दी! . शक्ल-सूरत सब एक जैसे उम्र भर की निगरानी दे दी!. . देख मुझे हर शक्स पहचान लेता... Hindi · कविता 603 Share शालिनी साहू 24 Jun 2017 · 1 min read रह-रहकर वही बात... अन्तर्मन को कुरेदती रही रह-रहकर वही बात! नहीं हैं भाव गहरे लेकिन कुरेदते-कुरेदते हो गये घाव बहुत गहरे! पहुँचना है उत्तुंग शिखर तक पथभ्रष्ट भी होंगे कँटीले रास्तों का छोर... Hindi · कविता 1 460 Share शालिनी साहू 22 Jun 2017 · 3 min read आदमी आदमी को खाये जा रहा है.... आदमी आदमी को खाये जा रहा है जी हाँ सरकार! यही आक्रोश दिल को दहलाये जा रहा है! तुम तलवे तक चाट लेते हो सत्ता में आने से पहले! फिर... Hindi · कविता 1 543 Share शालिनी साहू 19 Jun 2017 · 1 min read सात फेरे सात वचन..... जीवन के बन्धन मजबूत होते हैं अग्नि के फेरों संग सात फेरे सात वचन बन जाते हैं ज़िन्दगी में अहम् हाथ थाम एक-दूजे का निभाते हैं साथ रहने की रशम... Hindi · कविता 1k Share शालिनी साहू 19 Jun 2017 · 1 min read मैं नहीं हूँ कलमकार..... मैं नहीं हूँ कोई कलमकार बस दे देती हूँ शब्दों को आकार बिन सोचे बिन समझे गढ़ देती हूँ नये शब्दों का भण्डार कभी गहरे कभी छिछले कभी उथले जो... Hindi · कविता 1 338 Share शालिनी साहू 17 Jun 2017 · 1 min read विस्मित करता प्रभात.... प्रभात का प्रकाश विस्मित करता हर रोज नयी ऊर्जा का संचार खुल रहे हैं फिर उस देहरी के द्वार! जाना है हर रोज नियमित नयी दिनचर्या से रोज सुनहरे पलों... Hindi · कविता 329 Share शालिनी साहू 31 May 2017 · 1 min read प्रिय मित्र जुगाड़.... कहीं भी हो तुम्हारे बिना सारे काम अधूरे जान पड़ते हैं! प्रिय मित्र 'जुगाड़' यदि तुम किसी बाबू की टेबल पर लग गये तो कागजी कामों का सरोकार कैसे भला... Hindi · कविता 1 706 Share शालिनी साहू 26 May 2017 · 1 min read मन की मनमानी.... काव्य सृजन-97 कर लिया मन ने अाज फिर मनमानी! चिर निद्रा तल्लीन हुए आँखों ने ठानी! बढ़ता गया समय का वेग तब हाथों ने ठानी! बहुत हो गयी चिर निद्रा... Hindi · कविता 496 Share शालिनी साहू 26 May 2017 · 1 min read खिलौने का मोह..... नहीं छोड़ पाया अपने खिलौने का मोह वो बालमन! छीना-झपटी करते रहे घण्टों एक-दूसरे के संग! नजर मेरी टकटकी लगाये देख रही थी उनके गुन! सहसा एक किनारे जा खड़ा... Hindi · कविता 597 Share शालिनी साहू 24 May 2017 · 1 min read भारत के वीर जवानों भारत के वीर- . हे!भारत के वीर जवानों तुम मातृभूमि की रक्षा करना! रणयुद्ध में दिखला देना अपनी वीरता का वेग दुश्मन हिल जाए तनिक न लगे उनको देर! हे!... Hindi · कविता 279 Share शालिनी साहू 23 May 2017 · 2 min read सरकारी स्कूलों की व्यथा.... . मास्टर जी विद्यालय में बैठ बच्चों से पंखा झलवा रहे थे खुद भी हवा और अपने रिश्तेदार को भी खिलवा रहे थे! सरकारी भोजन से अतिथि सत्कार करवा रहे... Hindi · कविता 654 Share शालिनी साहू 22 May 2017 · 1 min read दो किनारे रह गये... अपनों के लिए हमेशा हारती रही! जीतने का हुनर धीरे-धीरे भूलती गयी सोचा था एक दिन सब सुलझ जायेगा ये कहाँ मालूम कि मैं इतना उलझ जाऊँगी! हारने की अब... Hindi · कविता 405 Share शालिनी साहू 21 May 2017 · 2 min read जब भी सुनी बात.... जब भी सुनी बात खुले वातावरण की गाँव की कल्पना मन में उभर आयी जब भी मन ऊबा शहर की तंग गली से गाँव का सौम्य, स्वच्छ परिवेश याद आया... Hindi · कविता 499 Share शालिनी साहू 19 May 2017 · 1 min read प्रभु तुम ध्यान रखना.. . हम अबोध हम नादान प्रभु तुम ध्यान रखना! . असत्य के मार्ग से हटे सत्य पर विजय करें! हर घड़ी ये उपकार करना! . हम अबोध हम नादान प्रभु तुम... Hindi · कविता 607 Share शालिनी साहू 16 May 2017 · 1 min read साथ अधूरे थे.. .. भाव भी गहरे थे राज भी सुनहरे थे बस चेहरे की रंगत फीकी पड़ गयी थी क्योंकि साथ अधूरे थे! . शब्दों को ढालने की कोशिश की लफ्जों को सहेजने... Hindi · कविता 1 398 Share शालिनी साहू 9 May 2017 · 1 min read खुदा से मिलन के लिए.. .. फिजाएँ भी रोक रहीं हवाओं के जरिये! मत जा तू सूना रह जायेगा ये शहर! आसमान भी रोया लिपट कर धरती की बाँहों में! रोक ले उसे बस! सूना रह... Hindi · कविता 298 Share शालिनी साहू 5 May 2017 · 1 min read ये अखबार... . समय की अहमियत बताता ये अखबार कैसे केवल एक दिन का मेजबान दूसरी सुबह ही उसका काम तमाम! सुबह होते ही आँखों की नजर में दिन बीतते ही होता दरकिनार!... Hindi · कविता 249 Share शालिनी साहू 30 Apr 2017 · 1 min read अपनी पीड़ा... कब तक दबाती फिरोगी अपने दर्द की पीड़ा को इन जुल्मों को सहना पाप है! जागो,उठो अपने अधिकारों को समझो अब और मत होने दो चीर-हरण! बचा लो अपने अस्तित्व... Hindi · कविता 257 Share शालिनी साहू 29 Apr 2017 · 1 min read जरुरत ही क्या जख्मों को कुरेदने की... जरूरत ही क्या उन जख्मों को फिर से कुरेदने की! जिनका अस्तित्व मर चुका हो! मानवीय संवेदनाएँ लुप्त हो गयीं हों! जब तुम्हें सहारे की जरुरत तब तुमसे मुँह मोड़... Hindi · कविता 1 419 Share शालिनी साहू 28 Apr 2017 · 1 min read मित्र की मित्रता.. तुम्हें शब्दों में परिभाषित करना आसान नहीं है मित्र! प्रेरणा मिली तुमसे अनुभव हुए गहरे श्रृंगारिकता का एक पक्ष हिस्से में दर्ज हुआ मेरे! कुछ गहरे कुछ उथले संवेगों की... Hindi · कविता 405 Share शालिनी साहू 27 Apr 2017 · 1 min read कुछ देर ठहरो.. . कुछ देर और ठहरो अभी बातें बहुत बाकी हैं! हवा के इस रुख से परेशान मत हो जाना है, दूर तलक अभी! कुछ पल ठहर कर, फिर से सोचो तुम्हारी... Hindi · कविता 284 Share शालिनी साहू 22 Apr 2017 · 2 min read नेता जी के कारनामे... मौसमी फलों के सेवन की तरह है ,चुनावी मौसम में नेताओं का दरवाजे पर आना! घर-घर जाकर खाना खाने की प्रथा और मीडिया में छाने की वजह कि आज नेता... Hindi · कविता 286 Share शालिनी साहू 21 Apr 2017 · 1 min read हो गये अब तुम बड़े... . अब तुम बड़े हो गये बेटा मैं अपने सब अधिकार खो चली! कभी मेरे प्रेम से तुम थे आज मेरी ओर देखना भी सही नहीं हाँ फर्क है, कल... Hindi · कविता 367 Share शालिनी साहू 16 Apr 2017 · 1 min read प्यारी बहना... . "बहना"कभी आँसुओं के संग मत बहना हमेशा हर घड़ी संग-संग रहना! . भइया है तुम्हारा सबसे प्यारा मम्मी नहीं तो क्या हुआ भइया की परी हो! . जिम्मेदारियाँ तुम्हारी सब... Hindi · कविता 933 Share शालिनी साहू 14 Apr 2017 · 1 min read दिल के मेहमान... . दिल में रह कर दिल के मेहमान बन गये नजरों में मुहब्बत भरके सरेआम कर गये! . रखता है दिल ख्याल इस कदर तुम्हारा लफ्जों में मधुरता,सम्बन्धों की सरलता जाते-जाते... Hindi · कविता 515 Share शालिनी साहू 13 Apr 2017 · 1 min read घरौंदा.... घरौंदा... ख्वाबों का घरौंदा मिलकर बनाया था कभी साथ रहने की बातें एक छत के तले तिनका-तिनका जुटाया हरपल एक दिन बनकर तैयार हुआ जब घरौंदा तब हजारों खुशियाँ और... Hindi · कविता 637 Share शालिनी साहू 9 Apr 2017 · 1 min read इबारतें जीवन की... इबारतें लिख दी तुमने मेरे जीवन की मसले इस ज़िन्दगी के बस हल करने बाकी है! . तुम होती तो सब आसान होता तुम्हारे बगैर अब मसले हल नहीं होते!... Hindi · कविता 205 Share शालिनी साहू 10 Nov 2016 · 1 min read कविता देवउठनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएँ..... सूप की पिटाई गन्ने के साथि भगाये दलिदर बसाये घरे राम दादी आज सुबह-सुबह बस यही करे काम! खूब पीटे जायेगें सूप भइया आजु की... Hindi · कविता 626 Share शालिनी साहू 10 Nov 2016 · 1 min read कविता किसी का बेवजह रूठ जाना भी क्या रूठना हुआ! बिना वादे किये वादों का टूट जाना भी क्या टूटना हुआ! सफर चलता रहा साथ बनकर बिना हाथों के साथ छूट... Hindi · कविता 519 Share