Rakmish Sultanpuri Tag: कविता 22 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rakmish Sultanpuri 26 May 2023 · 1 min read आज गरीबी की चौखट पर (नवगीत) नवगीत _21 आज गरीबी के चौखट पर चित्त पड़ी है क्यों महँगाई । जीवन जीने की प्रत्याशा क्षुब्ध कहीं आँखें मलती है छोड़ शहर के संसाधन सब मजबूरी पैदल चलती... Poetry Writing Challenge · कविता · नवगीत · रकमिश सुल्तानपुरी 209 Share Rakmish Sultanpuri 23 May 2023 · 1 min read हूं नही कवि व्यर्थ अपनी लेखनी (नवगीत? नवगीत 20 हूँ नही कवि व्यर्थ अपनी लेखनी किस पर चलाऊं । सोचता हूँ शांति की छाया कहीं से ढूढ़ लाऊं । भाव में नित लिप्त होकर ठूँठ सी दमदार... Poetry Writing Challenge · Rakmish Sultanpuri · कविता · गीत · नवगीत 149 Share Rakmish Sultanpuri 23 May 2023 · 1 min read निर्भय सोती रही जिंदगी (नवगीत) नवगीत–19 निर्भय सोती रही जिंदगी मौत यहाँ सिरहाने बैठी । जागरूकता खाली पन में पीट रही है रोज ढ़िढोरा आलस की चादर में लिपटा छिछलेपन ने खींस निपोरा पुनः व्यस्तताएं... Poetry Writing Challenge · Rakmish Sultanpuri · कविता · गीत · नवगीत 133 Share Rakmish Sultanpuri 23 May 2023 · 1 min read आदमी की क्रूरता में कौन सा रस है(नवगीत? नवगीत18 आदमी की क्रूरता में कौन सा रस है ? देख जग की रीति इन आँखों में पावस है । रुग्णता से हार जाती तीक्ष्ण क्षमताएँ, आदमी को तोड़ देती... Poetry Writing Challenge · Rakmish Sultanpuri · कविता · गीत · नवगीत · रकमिश सुल्तानपुरी 207 Share Rakmish Sultanpuri 20 May 2023 · 1 min read लाद ले जाती गरीबी (नवगीत) नवगीत _14 -------------- जीर्ण वस्त्रों में छिपाकर हुक़्म पा धनवान का । लाद ले जाती ग़रीबी ढेर कूड़ेदान का । तंग बचपन की गली में ठोकरों से डगमगाई । धूप... Poetry Writing Challenge · Rakmish Sultanpuri · कविता · गीत · नवगीत 258 Share Rakmish Sultanpuri 20 May 2023 · 1 min read जिंदगी है कुछ नही बस(नवगीत) नवगीत _12 एक मुट्ठी भर समय है रेत सी फिसलेगी मानी जिंदगी है कुछ नही बस मात्र दो दिन की कहानी आ गया संसार में इक जीवधारी ज्ञात होकर खिलखिलाई... Poetry Writing Challenge · कविता · गीत · नवगीत 98 Share Rakmish Sultanpuri 20 May 2023 · 1 min read आश दे तो आशना दे (नवगीत) नवगीत_11 आश दे तो आशना दे । देव ! ऐसा ताप न दे । सभ्यताओं को निगलने आज विपदाएं चल पड़ीं हैं व्योम तक ले दुष्ट छमताएँ धर्म चुप है... Poetry Writing Challenge · Rakmish Sultanpuri · कविता · गीत · नवगीत 150 Share Rakmish Sultanpuri 19 May 2023 · 1 min read चर्चाएं आपस में करते नभ के दोनों (नवगीत) नवगीत चर्चाएं आपस में करते नभ के दोनों छोर निलय में । पुरवाई की विरह– वेदना सुनता है सागर पछुआ की लपटें दहती हैं तपता खूब दिवाकर प्यासी– प्यासी नदियां... Poetry Writing Challenge · Rakmish Sultanpuri · कविता · गीत · नवगीत 114 Share Rakmish Sultanpuri 19 May 2023 · 1 min read आज के रिश्ते हुए हैं रोडलाइट (नवगीत) नवगीत_8 ---------------------- आज के रिश्ते हुए हैं रोड लाइट । व्यस्त निजता में यहाँ इंसान साये के स्वार्थ उपजा जल गए रिस्ते किराये के हो गए हैं पास तारों से... Poetry Writing Challenge · कविता · गीत · नवगीत 42 Share Rakmish Sultanpuri 19 May 2023 · 1 min read सन्नाटे गांवों में पसारे (नवगीत) नवगीत _7 ------------ सन्नाटे गाँवों में पसरे कोलाहल है नदी किनारे वक़्त काटता दर्जी बनकर जीवन को नित लेकर कैंची और बुढ़ापा खोल रहा है निजकर्मो की रोज़ अटैची होमवर्क... Poetry Writing Challenge · Rakmish Sultanpuri · कविता · गीत · नवगीत 180 Share Rakmish Sultanpuri 18 May 2023 · 1 min read देख चुप खुद मौन मुझसे प्रश्न कोई (नवगीत) नवगीत –6 _______ शांत रहता हूँ कभी जब धैर्य मेरा टूटता है । देख चुप खुद मौन मुझसे प्रश्न कोई पूछता है । कौन सी तेरी व्यथा जो धूप सी... Poetry Writing Challenge · कविता · गीत · नवगीत 191 Share Rakmish Sultanpuri 18 May 2023 · 1 min read सच का कोई मूल नही है (नवगीत? नवगीत –5 सच का कोई मूल नही है। __________________ धूप सेंक कर झर जायेगा सच कनेर का फूल नही है । झाँक रही पूरब से संध्या भावी का आश्वासन पाकर... Poetry Writing Challenge · Rakmish Sultanpuri · कविता · गीत · नवगीत 1 93 Share Rakmish Sultanpuri 18 May 2023 · 1 min read सहज प्रेम से दूर आदमी (नवगीत) नवगीत-2 सहज प्रेम से दूर आदमी लिए स्वयं की बात अड़ा है । दुनिया की इस चकाचौंध में हमने देखे खूब मुखौटे राह भटकते मिले नयनसुख अंधे रखते है कजरौटे... Poetry Writing Challenge · कविता · गीत · नवगीत 81 Share Rakmish Sultanpuri 11 Nov 2022 · 1 min read सुखमय यादें रह पाती क्या ? कविता कविता सुखमय यादें रह पाती क्या ? दुःख की पीड़ा सह जाती क्या ? जीवन पथ कितने दिन का ? ओझल होता तिनका-तिनका ; निर्झर सुख की बरसात गयी ।... Hindi · कविता 104 Share Rakmish Sultanpuri 23 Jul 2022 · 1 min read कविता –सच्चाई से मुकर न जाना जीत मिलेगी तह तक जाना । सच्चाई से मुकर न जाना ।। कुछ सुखभरी सुहानी यादें बेबस दुखियों की फ़रियादें है धूमिल कुछ रूप अनोखे मुस्कानों में पलते धोखे जीवन... Hindi · कविता 226 Share Rakmish Sultanpuri 30 May 2022 · 1 min read नभ के दोनों छोर निलय में –नवगीत नवगीत चर्चाएं आपस में करते नभ के दोनों छोर निलय में । पुरवाई की विरह– वेदना सुनता है सागर पछुआ की लपटें दहती हैं तपता खूब दिवाकर प्यासी– प्यासी नदियां... Hindi · कविता 2 236 Share Rakmish Sultanpuri 2 Feb 2021 · 1 min read आँसुओं ने ख़त लिखा $$ ग़ज़ल $$ देख दिल पर ज़ख्म गहरा हसरतों ने ख़त लिखा । आज फिर मुझको मेरी तन्हाइयों ने ख़त लिखा । उम्र गुज़री तड़पती यूँ करवटों में रात भर... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 48 523 Share Rakmish Sultanpuri 10 Nov 2018 · 1 min read माँ-ममता की निधि "माँ" -ममता की निधि कुछ आँसू ममता के होंते कुछ खुशियो के ढ़र जाते है । कुछ तखलीफो के सागर में मिलकर मोती बन जाते है । फिर भी लाती... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 30 629 Share Rakmish Sultanpuri 5 Sep 2017 · 2 min read कविता। वही गुरु है अध्यापक है न कि कोई दग़ा पड़ाका । जीवन मे शिक्षक की अनिवार्यता , एवं शिक्षक के कार्य व्यवहार पर प्रश्न उठाने वालों के प्रति ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कविता । ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, आई दिवाली दगा पड़ाका उठती डोली दगा पड़ाका रण... Hindi · कविता 270 Share Rakmish Sultanpuri 1 Sep 2017 · 1 min read ?कविता?दुनियां बस एक तमाशा है । कविता । जीवन तो जिज्ञासा है । यह जीवन तो जिज्ञासा है । दुनियां बस एक तमाशा है । निज कर्मो की लगा बाजिया ,हम रहते है राम भरोसे ।... Hindi · कविता 329 Share Rakmish Sultanpuri 15 Aug 2016 · 2 min read जय हो (कविता) ।।जय हो (कविता)।। भारत माता की सेवा में जिसने सब कुछ त्यागा ।। ताकि देश हमारा सोये रात रात भर जागा ।। इक ही धन ही सिर्फ अमन ही उनका... Hindi · कविता 503 Share Rakmish Sultanpuri 24 Jun 2016 · 2 min read कविता।तुमको इक दिन आना है । गीत।तुमको इक दिन आना है ।। विश्वासों की पृष्टिभूमि पर प्रेम का महल बनाया हूँ भावों की नक्कासी करके दुनियां को झुठलाया हूँ फिर भी ख़ाली ख़ाली सा यह नीरस... Hindi · कविता 460 Share