प्रवीण माटी Tag: कविता 13 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid प्रवीण माटी 19 Jan 2022 · 1 min read बदलाव स्वयं में उभरती हीनता को तोड़ मरोड़ कर जीवन का अर्थ समझ आए शायद! इस वजह से कि कोई भी किसी को उसके अनुकूल समझता ही नहीं! दूसरी वजह शायद... Hindi · कविता 198 Share प्रवीण माटी 19 Jan 2022 · 1 min read नाम मेरा महाराणा नहीं है स्वीकार मुझको हार हृदय तंत्रिकाओं से जुड़ा मेरे देश का ताना-बाना नाम मेरा महाराणा मां रणचंडी की शपथ लूंगा मेरी धरा की दूब भी ना लेने दूंगा वार... Hindi · कविता 209 Share प्रवीण माटी 9 Jan 2022 · 1 min read जीत जीत की ललकार है खून मार रहा उबाल उठा लो तुम अपनी ढाल युद्ध का उद्घोष हो तलवारों में जोश हो रक्त रंजित धरा क्रोध हुआ प्रचंड अहंकार अरि का... Hindi · कविता 358 Share प्रवीण माटी 8 Jan 2022 · 1 min read याद उनकी शरद की ठिठुरन साथ दे रही हिमालय से आती ठंडी हवाएं कह रही छत पर बैठे क्यों अकेले? क्या किसी की याद आई!!! ना आसमां में चाँद की रोशनी ना... Hindi · कविता 170 Share प्रवीण माटी 5 Dec 2021 · 1 min read ये कैसा इंसान हो रहा है! तू छोटा मैं बड़ा का घमासान हो रहा है समझ में नहीं आता ये कैसा इंसान हो रहा है जोड़ तोड़ कर पैसा कमाया बहुत ज़्यादा मुद्दा उसका बस रुपया... Hindi · कविता 181 Share प्रवीण माटी 3 Dec 2021 · 1 min read मां आस है मेरी ये माँ जो है आस है मेरी टूटती नहीं कभी वक्त पर आती है बिछौना,खिलौना, पानी,खाना लेकर अपने जख्मों को गुनगनाकर मरहम लगाती है मेरे सपनों की... Hindi · कविता 2 356 Share प्रवीण माटी 3 Dec 2021 · 1 min read मैं चला हूं दूर क्षितिज पर मंजिल है मैं चला हूं छूने अपनी मंजिल जब कदम साथ हो तो डरने की क्या बात हो गवाही देगा कंठ मेरा पीड़ा सही बहुत मगर कभी... Hindi · कविता 2 472 Share प्रवीण माटी 3 Dec 2021 · 1 min read बेटी सोच में पड़े हैं लोग ये कैसा इम्तिहान है दिल पर हाथ रख कर देखो ! बेटी भी एक वरदान है कभी भी अलग नहीं छोड़ना, देना उस को प्यार... Hindi · कविता 2 348 Share प्रवीण माटी 3 Dec 2021 · 1 min read वक्त ये वक्त किसी का नहीं होता है वक्त के सब होते हैं किस पल किसी समय पता नहीं कब जिंदगी दामन छोड़ दें और कब मौत हाथ थाम कर ले... Hindi · कविता 413 Share प्रवीण माटी 2 Dec 2021 · 1 min read आवारा रहने दो ना बांधो मुझे बंदिशों में मुझे आवारा रहने दो परे रखो साजिशों को मुझे आवारा रहने दो मुझे आवारा रहने दो नहीं चाहिए शोहरत आसमान की नहीं आरजू चमकती-दमकती रात... Hindi · कविता 1 4 190 Share प्रवीण माटी 2 Dec 2021 · 2 min read मैं मौन अपाहिज सा गुजर जाता हूं मैं मौन उस फुटपाथ से उस फ्लाईओवर के नीचे से और बहुत सारे मेट्रो स्टेशन से अपाहिज सा गुजर जाता हूं मैं मौन जब चलता... Hindi · कविता 2 162 Share प्रवीण माटी 2 Dec 2021 · 1 min read सुनने वाले जब मेरी पहली किलकारी लगी उस पुराने पड़े रेल के डिब्बे में मैं जानता हूं आसपास सुन रहे थे सब जब बचपन में दो कदम रखे फैलाए रोटी के लिए... Hindi · कविता 2 502 Share प्रवीण माटी 2 Dec 2021 · 1 min read कवि कौन है? कवि कौन है? कवि कौन है ? ये कवि कौन है ? राजनिति की बलि जो चढते भ्रष्टाचार की धुरी जो मढते गुलाम जो बड़े बड़े घरों के जो करते... Hindi · कविता 2 4 191 Share