पंकज परिंदा 138 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid पंकज परिंदा 23 Nov 2024 · 1 min read बादलों की, ओ.. काली..! घटाएं सुनो। बादलों की, ओ.. काली..! घटाएं सुनो। आ के' माटी की' सारी व्यथाएं.., सुनो। दम्भ स्पंदन पे कैसे....? हृदय को हुआ, मुस्कुराती रहीं........, कोशिकाएं सुनो। चाप भृकुटी से' अद्भुत बनाए ही'... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 8 Share पंकज परिंदा 21 Nov 2024 · 1 min read रफ़ता रफ़ता न मुझको सता ज़िन्दगी.! रफ़ता रफ़ता न मुझको सता ज़िन्दगी.! मैं जियूँ कैसे तुझको..? बता ज़िन्दगी। हादसों में रहा मुब्तला....., हर समय, एक पल को खुशी कर अता ज़िन्दगी। मुद्दतें हो गईं........., तुझको' रूठे... Hindi · ग़ज़ल 14 Share पंकज परिंदा 18 Nov 2024 · 1 min read ग़ज़ल गीत तन्हा......., ही गाने लगेंगे। ग़ज़ल गीत तन्हा......., ही गाने लगेंगे। मुझे भूलने में............, ज़माने लगेंगे। ख़फ़ा हूँ मैं तुमसे, यूँ ही कह दिया बस, मुझे क्या पता था....? वो जाने लगेंगे। अगर रेत में... Hindi · ग़ज़ल 21 Share पंकज परिंदा 18 Nov 2024 · 1 min read जो थे क्रिमिनल..., देख परिंदे, जो थे क्रिमिनल..., देख परिंदे, अब सब सोशल देख परिंदे..! बच्चों से अब.., मार - पिटाई, कितना क्रिटिकल देख परिंदे। कम्पास में' ढीली पेंसिल.. तो, गड़बड़ एंगल..., देख परिंदे..! घूम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 17 Share पंकज परिंदा 16 Nov 2024 · 1 min read समंदर में कोई हलचल नहीं है, समंदर में कोई हलचल....., नहीं है, कहीं काला घना बादल...., नहीं है। इजाज़त दी तुझे चल, इश्क़ कर ले, मेरे जीवन में कोलाहल...., नहीं है। मोहब्बत में नफ़ा-नुक़सान कैसा..? खरा... Hindi · ग़ज़ल 19 Share पंकज परिंदा 14 Nov 2024 · 2 min read बाल दिवस स्पेशल... भज गोविंदम भज गोपालम् (बच्चों के प्रश्न) रोज नयी है एक प्राॅब्लम। भेजे के सब खाली काॅलम। कोई न पूछे हालम चालम। भज गोविंदम् भज गोपालम्। कंधों पर है बस्ता भारी, ये मजबूरी या... Hindi · गीत 1 24 Share पंकज परिंदा 11 Nov 2024 · 1 min read नफ़रतें बेहिसाब आने दो। नफ़रतें बेहिसाब आने दो। एक बोतल शराब आने दो। कब तलक यूँ ख़फा रहोगे अब, ख़त में रक्खे गुलाब आने दो। ख़त्म कर दो न कश्मकश मेरी, वक़्त बे-वक़्त ख़्वाब... Hindi · ग़ज़ल 19 Share पंकज परिंदा 11 Nov 2024 · 1 min read यूँ ही आना जाना है, यूँ ही आना जाना है, दुनिया एक झमेला है। सुख दुख जीवन के पहलू, धूप कहीं, कहीं छाया है। खलिहानों में उम्र गई, कहते लोग निठल्ला है। कारिस्तानी बेटे की,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 18 Share पंकज परिंदा 11 Nov 2024 · 1 min read आपस में क्यों बैर परिंदे। आपस में क्यों बैर परिंदे। ले ले सबकी ख़ैर परिंदे। दिल कमज़ोर हुआ है जब से, रोज करें अब सैर परिंदे। जितनी लंबी चादर उतने, खोलो लंबे पैर परिंदे। कौन... Hindi 18 Share पंकज परिंदा 10 Nov 2024 · 1 min read थक चुका हूँ बहुत अब.., संभालो न माँ, थक चुका हूँ बहुत अब...., संभालो न माँ, अपने आंचल में मुझको.., छुपा लो न माँ। मुद्दतों हो गईं........., जागते......., जागते, अब तो गोदी में अपनी..., सुला लो न माँ।... Hindi · ग़ज़ल 22 Share पंकज परिंदा 10 Nov 2024 · 1 min read अगर तू दर्द सबका जान लेगा। अगर तू दर्द सबका जान लेगा। ख़ुदा तेरी रज़ा पहचान लेगा। मिलेंगी ठोकरें बस राह में तब, बुजुर्गों का नहीं विज्ञान लेगा। हक़ीकत को बना ले ढाल अपनी, वही होगा... Hindi · ग़ज़ल 26 Share पंकज परिंदा 10 Nov 2024 · 1 min read ग़म हमें सब भुलाने पड़े। ग़म हमें सब भुलाने पड़े। ख़ुद पे' ही जुल्म ढाने पड़े। इस ज़माने के डर से हमें, ज़ख़्म अपने छुपाने पड़े। चंद सिक्को में वो बिक गये, घर में जिनके... Hindi · ग़ज़ल 24 Share पंकज परिंदा 8 Nov 2024 · 1 min read नज़र से क्यों कोई घायल नहीं है...? नज़र से क्यों कोई घायल नहीं है...? किसी भी आंख में काजल नहीं है..! नकारा है ज़माने भर ने' जिसको...! वो' दीवाना है' पर..., पागल नहीं है। सलीक़े से...., छुपाए... Hindi · ग़ज़ल 1 35 Share पंकज परिंदा 8 Nov 2024 · 1 min read कुछ तो स्पेशल देख परिंदे। कुछ तो स्पेशल देख परिंदे। फिल्मी माॅडल देख परिंदे। छूटा गाँव गली चौबारा, मुंबई सेन्ट्रल देख परिंदे। ख़ुद को रख अपडेट हमेशा, ख़बरें ग्लोबल देख परिंदे। गुजरे चिट्ठी तार संदेशा,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 38 Share पंकज परिंदा 6 Nov 2024 · 1 min read देश की अखण्डता देश की अखण्डता को, चाहिए सशक्त रक्त, देह में "भगत" जैसी जान होनी चाहिए...!! हिंदी हिन्दू हिंद और एक राष्ट्रगान अब देश की ही चारों ओर शान होनी चाहिए...!! प्रेम... Hindi · कविता 17 Share पंकज परिंदा 6 Nov 2024 · 1 min read नफ़रतों के जो शोले........,भड़कने लगे नफ़रतों के जो शोले........,भड़कने लगे आशियाँ., फिर गरीबों.., के जलने लगे। एक पल को मैं बुत सा.., बना रह गया जब वो वादे से अपने....., मुकरने लगे। जो हुए थे... Hindi · ग़ज़ल 1 2 29 Share पंकज परिंदा 6 Nov 2024 · 1 min read गर्द अपनी ये ख़ुद से हटा आइने। गर्द अपनी ये ख़ुद से हटा आइने। मुझको मुझसे ज़रा सा मिला आइने। क्यों है खामोश कबसे तुझे सब पता, राज कुछ तो मुझे भी बता आइने। मुद्दतों से न... Hindi · ग़ज़ल 27 Share पंकज परिंदा 5 Nov 2024 · 1 min read वो सितारे फ़लक पर सजाती रही। वो सितारे फ़लक पर सजाती रही। चाँद का ही वो कुनबा बढ़ाती रही। ऐब जाने न उसमें भी कितने छुपे, आइना वो मुझे ही दिखाती रही। चाँद को ज्यों मुकर्रर... Hindi · ग़ज़ल 1 2 33 Share पंकज परिंदा 4 Nov 2024 · 1 min read नाहक को। नाहक को। संभालो। सब सुन लो, फ़नकारो। बदनामी, होने दो। हर क़ीमत, पहचानो। कैसे हो ? सरदारो। ख़ुश्क गला, दारू लो। गुस्सा क्यूं ? बतलाओ। बातें मत, उलझाओ। नखरे कम,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 25 Share पंकज परिंदा 2 Nov 2024 · 1 min read सम्मुख आकर मेरे ये अंगड़ाई क्यों.? सम्मुख आकर मेरे ये अंगड़ाई क्यों.? उधड़े रिश्ते पर फिर से तुरपाई क्यों? प्यार कहूँ या कह दूँ इसको पागलपन, जब जब आँखें चार हुईं सकुचाई क्यों? हमले सब सीने... Hindi · ग़ज़ल 21 Share पंकज परिंदा 2 Nov 2024 · 1 min read थे जो आलमगीर परिंदे। थे जो आलमगीर परिंदे। ले डूबी तक़दीर परिंदे। पहना दी शहज़ादों ने ही, लोहे की ज़ंजीर परिंदे। जिल्लेलाही कहते ख़ुद को, छोड़ गये जागीर परिंदे। वक़्त का पहिया घूमा साहब,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 27 Share पंकज परिंदा 31 Oct 2024 · 1 min read आजकल तो हुई है सयानी ग़ज़ल, आजकल तो हुई है सयानी ग़ज़ल, दर्द दिल के बताती ज़ुबानी ग़ज़ल। ग़र पता है बता दो मुझे यार तुम, है कहाँ खो गयी वो दीवानी ग़ज़ल। जश्न होगा यक़ीनन... Hindi · ग़ज़ल 37 Share पंकज परिंदा 30 Oct 2024 · 1 min read गांव में जब हम पुराने घर गये, गांव में जब हम पुराने घर गये, देखकर मंज़र वहाँ का डर गये। गूँजा करती थीं जहाँ किलकारियाँ, क्यूं वहाँ हालात हो बदतर गये। एक थी दीवार आँगन में खड़ी,... Hindi · ग़ज़ल 30 Share पंकज परिंदा 30 Oct 2024 · 1 min read झूठे परदे जो हम हटाने लगे, झूठे परदे जो हम हटाने लगे, लोग आँखें हमें दिखाने लगे। जब हकीकत बयां गज़ल में की, वो क़लम ही मेरा चुराने लगे। पल दो पल की खुशी मिली थी... Hindi · ग़ज़ल 31 Share पंकज परिंदा 30 Oct 2024 · 1 min read रुख़ से परदा हटाना मजा आ गया। रुख़ से परदा हटाना मजा आ गया। बिजलियाँ यूँ गिराना मजा आ गया। बात जाने न हमने क्या कह दी मगर, देखकर मुस्कुराना मजा आ गया। तोड़कर बंदिशें इस ज़माने... Hindi · ग़ज़ल 33 Share पंकज परिंदा 26 Oct 2024 · 1 min read गीत ग़ज़लों की साक्षी वो अट्टालिका। गीत ग़ज़लों की साक्षी वो अट्टालिका। याद मुझको है आती वो अट्टालिका। पूछता कौन किसकी वो अट्टालिका? घर के ऊपर अभागी वो अट्टालिका। खेत खलिहान सबने लिए चाव से, मेरे... Hindi · ग़ज़ल 37 Share पंकज परिंदा 24 Oct 2024 · 1 min read मैं मासूम "परिंदा" हूँ..!! जाने कबसे लटका हूँ, फांसी का इक फंदा हूँ। देख रहे वो नब्ज़ मेरी, ज़िन्दा हूँ या मुर्दा हूँ। हर चहरे पर पर्दा है, पर सबको पढ़ लेता हूँ। माँ... Hindi · ग़ज़ल 30 Share पंकज परिंदा 23 Oct 2024 · 1 min read वो प्यासा इक पनघट देखा..!! घूम रहे बिन चुन्नट देखा, जिन चहरों पर घूंघट देखा। गुजरा प्यास बुझाते जीवन, वो प्यासा इक पनघट देखा। कुछ लंगड़ों को दिन ढलते ही, दौड़ लगाते सरपट देखा। ऊंचे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 30 Share पंकज परिंदा 20 Oct 2024 · 1 min read गुफ़्तगू आज चारों तरफ हो रही, गुफ़्तगू आज चारों तरफ हो रही, सामना चांद का है मिरे चांद से। पंकज परिंदा 🕊 Hindi · शेर 48 Share पंकज परिंदा 20 Oct 2024 · 1 min read ओ आदम! तू चल आहिस्ता। ओ आदम! तू चल आहिस्ता। हो सब रोशन, जल आहिस्ता। जब जब तड़पेगी ये धरती, बरसेंगे बादल आहिस्ता। सागर की लहरें अंबर तक, नदिया की कल कल आहिस्ता। डरना मत... Hindi · ग़ज़ल 40 Share पंकज परिंदा 16 Oct 2024 · 1 min read मौत का पैग़ाम होकर रह गई, मौत का पैग़ाम होकर रह गई, ज़िंदगी बेदाम होकर रह गई, जुस्तजू इक आशियाँ की थी मगर, सुब्ह से बस शाम होकर रह गई.!! Hindi 20 Share पंकज परिंदा 16 Oct 2024 · 1 min read पर्वत, दरिया, पार करूँगा..! *बह्र -- फेलुन*4* कब तक यूं दीदार करूँगा, आ जाओ श्रृंगार करूँगा। एक नज़र ग़र देख लिया तो, कुछ पल आँखे चार करूँगा। दुनिया के सब छोड़ झमेले, जी भर... Hindi · ग़ज़ल 20 Share पंकज परिंदा 15 Oct 2024 · 1 min read मोहब्बत में ग़र बेज़ुबानी रहेगी..! मोहब्बत में ग़र बेज़ुबानी रहेगी, तो इन्सां की दुश्मन जवानी रहेगी। गुज़ारिश है तुमसे खफ़ा ना रहो तुम, अदावत ये कब तक पुरानी रहेगी। यूं नफ़रत करोगे अगर तुम जो... Hindi · ग़ज़ल 26 Share पंकज परिंदा 15 Oct 2024 · 1 min read हुनर का ग़र समंदर है..! *बह्र- 1222 1222* हुनर का ग़र समंदर है, भला फिर क्यूं तुझे डर है..? ज़माने को बतायें क्या, लगी कंकड़ से ठोकर है। यक़ीनन वक़्त बदलेगा, अभी तो हाल बदतर... Hindi · ग़ज़ल 40 Share पंकज परिंदा 15 Oct 2024 · 1 min read चलो गगरिया भरने पनघट, ओ बाबू, *किशोर छंद* चलो गगरिया भरने पनघट, ओ बाबू, तन मन डोले पाकर आहट, ओ बाबू, बंधी प्रेम की डोर तेरी साँसों से, यूँ मत खोलो मेरा घूँघट, ओ बाबू..! *पंकज... Hindi · मुक्तक 36 Share पंकज परिंदा 15 Oct 2024 · 1 min read हलधर फांसी, चढ़ना कैसे, बंद करें.?? रास छंद [सम मात्रिक] *विधान - 22 मात्रा, 8,8,6 पर यति, अंत में 112, चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत।* भरी दुपहरी, गर्मी में तन, लाल पड़ा, पर बेचारा, लेकर... Hindi · मुक्तक 37 Share पंकज परिंदा 13 Oct 2024 · 1 min read विश्व धरोहर हैं ये बालक, विश्व धरोहर हैं ये बालक, इनका ताज बुलंद करो। शिक्षित करना हर बच्चे को, धर्म यही स्वच्छंद करो।। राष्ट्र नींव हैं ये कहलाते, श्रम इनसे करवाते क्यों। करते जो पथभ्रष्ट... Hindi · गीत 32 Share पंकज परिंदा 13 Oct 2024 · 1 min read चाहे हो शह मात परिंदे..! चाहे हो शह मात परिंदे। मत ले तू खैरात परिंदे। वक़्त बुरा है आज मगर कल, बदलेंगे हालात परिंदे। डर मत, रख उम्मीद खुदा पर, किसकी क्या औक़ात परिंदे..? नेकी... Hindi · ग़ज़ल 30 Share पंकज परिंदा 13 Oct 2024 · 1 min read बेघर एक "परिंदा" है..! यूँ ही आना जाना है, दुनिया एक झमेला है। सुख दुख जीवन के पहलू, धूप कहीं, कहीं छाया है। खलिहानों में उम्र गई, कहते लोग निठल्ला है। कारिस्तानी बेटे की,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 30 Share पंकज परिंदा 13 Oct 2024 · 1 min read मौसम है मस्ताना, कह दूं। मौसम है मस्ताना, कह दूं। किस्सा कोई पुराना, कह दूं। छलके आँसू ज्यों आँखों से, आँखों को मयखाना कह दूं। घाटा और मुनाफ़ा छोड़ो, मुश्किल रोज़ कमाना कह दूं। बैठो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 34 Share पंकज परिंदा 13 Oct 2024 · 1 min read रतन टाटा जी..!! आसमां में छा गया, टाटा रतन। पंछियों जैसा उड़ा, टाटा रतन। दाद हिम्मत की रही है मिल उसे, प्यार में गिर गिर उठा, टाटा रतन। थीं हज़ारों मुश्किलें भारी मग़र,... Hindi · ग़ज़ल 37 Share पंकज परिंदा 13 Oct 2024 · 1 min read डर डर जीना बंद परिंदे..! डर डर जीना बंद परिंदे। कर आवाज़ बुलंद परिंदे। कांटों की संगत में रहकर, गुल बनता गुलकंद परिंदे। जंग यहाँ ख़ुद से ही लड़नी, कस ले बख्तरबंद परिंदे। भवरों से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 38 Share पंकज परिंदा 10 Oct 2024 · 1 min read जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी…! जब हक़ीक़त झूठ से टकरा गयी, सल्तनत तब झूठ की घबरा गयी। बे-ख़बर थे वक़्त की जो मार से, ज़िन्दगी उनकी क़फ़स में आ गयी। मुफ़लिसी को पालता हूँ आज... Hindi · ग़ज़ल 37 Share पंकज परिंदा 10 Oct 2024 · 1 min read नफ़रतों में घुल रही ये जिंदगी है..! नफ़रतों में घुल रही ये जिंदगी है, अन्जुमन में हर तरफ बस तीरगी है। पूछता मैं फिर रहा हर इक बशर से, मुफ़लिसी में कैद क्यों लाचारगी है। राह चलते... Hindi · ग़ज़ल 1 22 Share पंकज परिंदा 10 Oct 2024 · 1 min read बिटिया मेरी सोन चिरैया…! ◆ मधुशाला छन्द (रुबाई) ◆ आँगन की वह वृंदा मेरी या लगती कुंदन सोना रश्मि चंद्रमा सी वह दमकत है अद्भुत रूप सलौना स्वर घोलत मकरंद श्रवण में वो लगती... Hindi · मुक्तक 1 37 Share पंकज परिंदा 10 Oct 2024 · 1 min read बेदर्द ज़माने ने क्या खूब सताया है…! बेदर्द ज़माने ने क्या खूब सताया है मज़लूम सर-ए-महफ़िल नज़रों से गिराया है। यह बात सितम की है बदनाम किया हमको हर फ़र्ज़ मुहब्बत का शिद्दत से निभाया है। गुलज़ार... Hindi · ग़ज़ल 32 Share पंकज परिंदा 6 Oct 2024 · 1 min read बग़ावत की लहर कैसे.? बग़ावत की लहर कैसे.? उठी आख़िर नज़र कैसे.? कहाँ कब और, किधर कैसे.? मचा है ये ग़दर, कैसे.? बड़ी ज़ालिम ये दुनिया है, यहाँ अब हो गुज़र कैसे.? मुझे मत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 34 Share पंकज परिंदा 6 Oct 2024 · 1 min read लुट गया है मक़ान किश्तों में। लुट गया है मक़ान किश्तों में। फंस गई मेरी जान किश्तों में। है नवाज़िश तेरी ही शायद,जो चल रही है दुकान किश्तों में। दस्तख़त ले लिए जो मुंसिफ ने, रोज़... Hindi · ग़ज़ल 40 Share पंकज परिंदा 6 Oct 2024 · 1 min read जिस दिल में ईमान नहीं है, जिस दिल में ईमान नहीं है, कुछ भी हो इंसान नहीं है। नामाक़ूल रहोगे, जब तक, नीयत में पैमान नहीं है। क्या लाये जो खोया तुमने..? शायद गीता ज्ञान नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 41 Share पंकज परिंदा 3 Oct 2024 · 1 min read इतना आसां नहीं ख़ुदा होना..! *बह्र -- 2122 1212 22* आम सी बात है ख़ता होना। इतना आसां नहीं ख़ुदा होना। किसको फ़ुरसत है कौन सुनता है, सीख लो ख़ुद में गुमशुदा.., होना। सिलसिले दरमियां... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 55 Share Page 1 Next