Mahendra singh kiroula Language: Hindi 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mahendra singh kiroula 15 May 2023 · 1 min read जीवात्मा जो समय बिताने निकला था, उस अवधि मे स्वयं ही बीत गया परिचर्या थी दिनचर्या जो, उस उपकरण से संगीत गया किसी का प्रासाद माटी मे मिला, ख़्याति कही अपयश... Poetry Writing Challenge · Lovepeaceharmony · कविता 1 458 Share Mahendra singh kiroula 14 May 2023 · 1 min read शायद वो सिर्फ एक सपना ही होगा मंदिर की सीढ़ी पर शांति को पाना राहगीरों को शीतल जल पान कराना उस मिटटी का क़र्ज़ उतारने एक बार मुझे मेरा बचपन दे जाना बरगद के बेलो पे निर्भीक... Poetry Writing Challenge · कविता 1 1k Share Mahendra singh kiroula 14 May 2023 · 1 min read मित्रता कैसा तेरा खेल है ईश्वर , जीवन कितना सूक्ष्म व नश्वर ! क्या मेरी एक इच्छा पूर्ति कर पायेगी तेरी नियति? तू जब कोई पेड़ लगाये पात्र मेरी मिटटी का... दोस्ती- कहानी प्रतियोगिता · Mannu Mahendrakiroula Autho · कविता 4 553 Share Mahendra singh kiroula 4 Aug 2020 · 1 min read नीरज… कैसा तेरा खेल है ईश्वर , जीवन कितना सूक्ष्म व नश्वर ! क्या मेरी एक इच्छा पूर्ति कर पायेगी तेरी नियति? तू जब कोई पेड़ लगाये पात्र मेरी मिटटी का... Hindi · कविता 2 4 496 Share Mahendra singh kiroula 11 Apr 2020 · 1 min read कोरोना :शून्य की ध्वनि आज बटोही न तू पथ का, बिकट शत्रु सच शक संवत का विनाशकारी अविष्कार सफल है, दुष्परिणाम मानव के हठ का शून्य की ध्वनि को सुना आज है इसमें सिमटा,... Hindi · कविता 2 281 Share Mahendra singh kiroula 27 Apr 2017 · 1 min read सत्य धरा का सत्य है कुछ नहीं धरा पर सिवाय उस अजेय मृत्यु के जन्म सच नहीं कर्म सच नहीं ये सामाजिक बंधन और रिवाज साथी सच नहीं, शादी सच नहीं सच नहीं... Hindi · कविता 330 Share Mahendra singh kiroula 27 Apr 2017 · 1 min read साकी तेरा काम है कैसा कैसा जीवन यापन करता वो सबके पात्रों को भरता समाज और परिवार के साथ समय बिताने को वो मरता . दिनचर्या को अपनी भूलकर आधुनिक जीवन का हिस्सा बनकर लोगो... Hindi · कविता 358 Share Mahendra singh kiroula 27 Apr 2017 · 1 min read कहार एक पृष्ठ मेरी आशा से …. क्षितिज पर दिखते है वो कहार, इस क्षण नयनो को मेरे यार, झरने दृग जल के बहते है उसमे बैठा है मेरा प्यार. उनसे... Hindi · कविता 2 370 Share Mahendra singh kiroula 27 Apr 2017 · 1 min read सखी और सम्बन्ध न कोई है रिस्ता न कोई है नाता शायद इसे लिखने भूले बिधाता अगर धागे उससे जुड़े ही न होते तो हर रोज उसको क्यों झरोखे मे पाता निरंतर ही... Hindi · गीत 300 Share Mahendra singh kiroula 27 Apr 2017 · 1 min read प्रेम शांति और सामंजस्य प्रेम शांति और सामंजस्य अपना लो फिर अमन का चिराग जलालो जो बीज नफरतो के बो गए वो अब सास्वत ही सो गए बृक्ष काँटों के हटा कर एक फूलो... Hindi · कविता 1k Share