Motilal Das Tag: कविता 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Motilal Das 27 Jul 2019 · 1 min read डर उसने कुछ कहा मैंने कुछ सुना कुछ सुन न सका उसने साफ कहा तुम डरे हुए हो मैं कैसे कहता कि तुम भी मुझसे डरे हुए हो. Hindi · कविता 498 Share Motilal Das 23 Jul 2019 · 1 min read डर आँखें चौन्धिया गई उस डर के खबर पर लिखा था जिसमें डर की वज़ह और मेरे डर में उसका डर पैठ गया. Hindi · कविता 476 Share Motilal Das 20 Jul 2019 · 1 min read अँधेरा एक दीपक मेरे साथ चलने को है तत्पर अंधेरों के विरुद्ध मैं कैसे कहता उसे तू न चल मेरे साथ मैं ही तो हूँ वो अँधेरा. Hindi · कविता 1 317 Share Motilal Das 17 Jul 2019 · 1 min read डर मुझे डर लगता है किसी बंदूक से नहीं किसी हिंसा से नहीं बल्कि तुम्हारे विचारों से विचारों के नाख़ून इतने पैने होते हैं कि मेरे भय को बढ़ाते हैं मेरे... Hindi · कविता 303 Share Motilal Das 15 Nov 2018 · 1 min read माँ माँ मैं रोज सूरज के उगने और सूरज के डूबने की प्रतीक्षा करती हूँ. रसोई में चूल्हा जलाती हूँ तब मेरे लिए सूरज उग जाता है जब बुझा देती हूँ... Hindi · कविता 2 2 449 Share