MAHIPAL SINGH 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid MAHIPAL SINGH 3 Nov 2019 · 1 min read दर्द जुबान ए दर्द के दिल खुद कहानी बोल देता है ! सुनाना जो ना था अश्कों के जरिये बोल देता है !! छुपाना लाख चाहो राज अपना खुद के कातिल... Hindi · मुक्तक 420 Share MAHIPAL SINGH 27 Oct 2019 · 1 min read दीपावली नव हर्ष प्रदायक दीप जले ,कमला घर बार विहार करे ! चमके नव रूप सुयौवन सा ,वसुधा नव रूप सिंगार करे !! नव मोद भरे सबही मन में ,सुखदा शुभदा... Hindi · मुक्तक 2 4 616 Share MAHIPAL SINGH 25 Oct 2019 · 1 min read नेह निमंत्रण नेह निमंत्रण सजल नयन का ,क्यूँ मन समझ ना पाया मौन मुखर होता है कब तक ,अब तक समझ ना आया !! १ !! टूट चुकी मन की प्रतिमाएं ,प्रतिमाओं... Hindi · गीत 1 1k Share MAHIPAL SINGH 20 Oct 2019 · 1 min read कसक महक मीठी सुनहरी रेत की मैं छोड़ आया हूँ कसक काचर ओ मीठे बेर की मै छोड़ आया हूँ जहाँ गूंजे कभी मरवण ओ मूमल के मधुर किस्से धरा मीठे... Hindi · मुक्तक 2 518 Share MAHIPAL SINGH 13 Oct 2019 · 2 min read मेरा गोँव छोड़ आ गये सूखे टीले, जहाँ कभी बीता था बचपन अमराइयों से मधुर स्वप्न पर यहाँ मिले पाषाण भरे वन इन निर्मम पाषाण वनों में मिली ना मुझको छाँव रे,... Hindi · गीत 2 258 Share MAHIPAL SINGH 7 Oct 2019 · 1 min read बेटी का संघर्ष गंगाजल सी पावन बेटी वसुधा पे आने को आतुर, खड़े किनारे लोभी लम्पट व्याधि ग्रस्त जो है कामातुर बेटी सी पावन प्रतिमा की लाज बचा ना पाएंगे , बेटी तुम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 305 Share MAHIPAL SINGH 2 Oct 2019 · 1 min read पिंजरे पत्थर के प्यासे परेशान पंछी ,हौसलों के पंख लिए, नहीं आसमां के आशियाने पहचानते ! आंधी, बरसात, शीत,उष्णता ,की मार झेल ,सपनों की दुनिया में अपने तलाशते !! पत्थरों के शहर है... Hindi · मुक्तक 1 297 Share MAHIPAL SINGH 22 Jan 2017 · 1 min read बेटी साल अठारह गुजरे जब से मेरे घर मे आई बेटी जीवन की फुलवारी बनकर, घर आंगन मे छाई बेटी महक उठी जीवन की बगिया नन्ही सी किलकारी से पग पग... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 684 Share