Mahender Singh Tag: ग़ज़ल/गीतिका 23 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mahender Singh 9 May 2022 · 1 min read छद्म राष्ट्रवाद की पहचान बाहर धूप बहुत है, छतरी बिकती, क्यों नहीं, घर में है सिलेंडर, एक हजार रुपये पास नहीं, मंगता है मगर, मांगता है पैसे, रोटी खाता नहीं, भूख नहीं है तलब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 1 436 Share Mahender Singh 2 Apr 2022 · 1 min read दूर कहीं दूर दूर कहीं दूर निकल न जाना, बस यूं ही समीप बने रहना कम से कम खुदी खोज लेना ग्रास बनने से बचते रहना. मिलते रहेंगे यूं ही हरेक मोड पर,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 244 Share Mahender Singh 26 Feb 2022 · 1 min read नीर का त्याग कर कुदरती कुदरत की घटा,छटा, हमें पता नहीं, निसर्ग है छुपा. . झूम लेगी चूम लगे साथ देगी, मालूम नहीं निसर्ग खाक देगी. . विवेक जगा और समझ जता. भूख प्यास... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 3 423 Share Mahender Singh 4 Feb 2022 · 1 min read गरीबों की बस्तियाँ गरिबों की बस्तियां जलती रही, बनती नहीं कभी फिर उजड़ जाती है. बना देते है बहु मंजिला इमारतें. ठण्ड में काँपते हुए, बरसात मे. दम तोड देते है,गगन चुंब कर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 3 248 Share Mahender Singh 21 Jan 2022 · 1 min read प्रेम के कसीदे हसरतें तो बहुत है,आज भी. मन शरारतें, छोडता नहीं, शरीर कसरतों से बाज़ आता. नहीं. ये समस्या मेरी है तुम्हारी नहीं. पसंद है मुझे, रास तुम्हें आती नही. तुम चाहती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 218 Share Mahender Singh 19 Jan 2022 · 1 min read एक कदम चल जरा तू चल तो एक कदम जरा, पेड़ नहीं तू जो जगह बढा. ठहर न तू बस एक जगहा. सड़ जायेगा,ठहरे नीर तरहा. तू चल तो एक कदम जरा. बन जायेगा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 4 270 Share Mahender Singh 30 Dec 2021 · 1 min read जुडाव तुडाव सब घटना परिचय देकर घर मे घुसे, अपरिचित वो कैसे हुऐ. दिन के उजाले में बती जली, चांदनी रात में,बंद रोशनदान, घटाटोप अंधकार सुहावना हुआ, चांदनी रात में जलप्रपात घटित. ऊभर कर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 258 Share Mahender Singh 21 Nov 2021 · 1 min read प्रेम में सहजता मेरे प्यार को, यूं न नाजायज़ ठहराओ, इसमें में वही प्रेम है, प्रीति है, सजगता, अब बताओ ! . प्रेम में सहजता, सजगता, समर्पण हुआ करता है, हमें तो न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 240 Share Mahender Singh 26 Sep 2021 · 1 min read हवाला हवाला बेवजह उसने देकर, समर्थन जुटा लिया, वजह क्या बताते तुम्हें, चूंगी आधार बना दिया. . अतीत की अनियमितता सम्मुख रखी भुना लिया, न कुछ किया, न ही कुछ करना,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 227 Share Mahender Singh 22 Sep 2021 · 1 min read पात्र एक तूझे रिझाने के खातिर, बने रहा पात्र, जिंदगी भर अभिनय किया, केवल मात्र. सुना है तू खाली नहीं रखता, प्रेम रूपी पात्र. जहान् में फैलता है खुशबू की तरह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 562 Share Mahender Singh 17 Sep 2021 · 1 min read विचार धारा सांस लेते, सांस छोड़ते, जीवंत सत्ता एक प्राणी, पेड़ पौधे करतब करते. सहज सत्ता चक्र वाणी. . जां जन लागे वोहे जाने. भीरु माणस सब हाणी. सब कुछ जग मह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 4 321 Share Mahender Singh 26 Aug 2021 · 1 min read अठखेलियाँ तू मायूस होकर भी, मुस्कुराईं तो. प्राण मुरदे में , जिंदगी लौटाई तो, तू बोलती रही, मैं बस देखता रहा, तेरे हर कटाक्ष को,दवा समझते रहा. . बहते अश्कों की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 472 Share Mahender Singh 21 Aug 2021 · 1 min read किसे फर्क पडता है पडना ही चाहिए फर्क,पर किसे पडता है, मानवीय मूल्यों पर,आज रणनीति भारी है. रणनीति भी वर्चस्व कारणे, लडी लडाई है, किसे पडता है फर्क,जो स्वाभाविक भूख है, धर्म कोई वस्त्र... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 3 340 Share Mahender Singh 5 Aug 2021 · 1 min read प्रेम आराधना कुछ लिखे संध्या तेरे नाम, बन जाये बिगड़े हुए काम, पास नहीं फूटी कौड़ी दाम, संध्या लेकर आती गोदाम. संध्या समय में बजते घंटाल, कौन देखे मुरगाई सी चाल.. पशु... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 4 269 Share Mahender Singh 2 Aug 2021 · 1 min read मजदूर किसान तेरे अरमानों की बलि चढते देखकर, दुखी मन तो बहुत हुआ रुके देखकर पहुंचा सके ना तुम,उन्हें अंजाम तक चले जब वो साथ मिलकर गिर पडे वे संग वैसाखी के,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 6 4 561 Share Mahender Singh 28 Jul 2021 · 1 min read दास्तान पीछा नहीं छोडऩे वाली वो दास्तां, भले न हो तेरा, उससे कोई वास्ता. निकला जब तेरी गली से वो कारवां क्या सोचा, देखा क्या-क्या, हो जवां कह न पाये, कुछ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 4 498 Share Mahender Singh 14 Jul 2021 · 1 min read धोखे खाकर उभर थोडे से और रुक जाते, जल्दी भी क्या है, विश्वास में लेकर जनता को,धोखे दिए है. अभी बहुत लोग है,इसी पथ के मुसाफिर. लोग भी बडे जटिल हैं,बने रहते हमसफर.... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 427 Share Mahender Singh 29 Jun 2021 · 1 min read संवरती है संवार लो, संवरती है तो संवार लो, संभलती है तो संभाल लो, वरन गुजर तो जानी ही है, मत तुम मन में अवसाद लो. कडी नहीं है घडी, संचालक तुम हो. बदलने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 479 Share Mahender Singh 16 Jun 2021 · 1 min read मेरे कहने पे न जाना मेरे कहने पे न जाना, तुम्हें पसंदीदा हो उसे चुनना, मेरे दर्शन से गर बादल तुम्हारे छँटने लगे तो देखना, मैं सुनाऊं लौरिया सुलाने को, तुम जागरण मनाना, गर बिगड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 3 201 Share Mahender Singh 22 Aug 2019 · 1 min read बज़्म 2 हमने सुन ली तुम भी सुन लो अपने दिल से अज़ब कहानी छूट जाये तो कहना मन से बेईमानी दिख रहा है सतत खडा है सुनो कहानी फितरत देती मंशा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 1 619 Share Mahender Singh 8 Jan 2019 · 1 min read इंसान की मनुष्य से अरदास भले गरीब हैं अशक्त असहाय नही, इंसान ही हैं बस इतना सा संभलकर बोल लेना, इंसाफ की जुर्रत नहीं है मुझे, हो सके तो खुद को परख लेना, मेरी मासूमियत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 419 Share Mahender Singh 16 Dec 2018 · 1 min read तमस् से जागरण की ओर. आये है हम प्रेमी बनकर, हर नफरत को मिटा देंगे, लाख फैला दो पाखंड आज, हम जागरण मनाने आये हैं , जल रहा शहर आज क्रोध से, प्रेम पुष्पों से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 291 Share Mahender Singh 17 Nov 2018 · 1 min read परिंदे दीवाने तुम नहीं परवाने हम नहीं, कम से कम परिंदे ही बन देख लेते. . कभी प्रभावी कभी प्रवासी तनिक, सरहदें तोड़ कर जीना सीख लेते .. . न कोई... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 2 302 Share