डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि' Tag: कविता 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि' 16 Feb 2022 · 1 min read यादें यादें जो मन को हरदम कुछ सुनहरी बातों का एहसास दिलाती। जब भी आती मन ही मन रुला कर या हंसा कर जाती। जैसी भी आती भूली बिसरी यादों को... Hindi · कविता 1 183 Share डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि' 31 Dec 2021 · 1 min read नए प्रयास से नववर्ष हम मनाये नयी आस ,विश्वास के साथ, नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है। आओ बीती बातों को भूल कर , हम सबको गले लगाएं। नए प्रयास से नववर्ष हम मनाएये। अहंम को दूर... Hindi · कविता 190 Share डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि' 31 Dec 2021 · 1 min read कितना कुछ अनकहा रह गया, कितना कुछ अनकहा रह गया, तुम चले गए खामोशी से, वह लम्हा मेरे ज़हन में बस गया। वक्त का सितम देखो, कल तुम पास थे मेरे , जिंदगी रंगीन थी,... Hindi · कविता 3 4 422 Share डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि' 15 Dec 2021 · 1 min read माता स्तुति हे मंगला काली शरण आई तेरे मंगल करो मांँ। विंध्यवासिनी जगत मातेश्वरी कष्ट हरो मेरे शरण आई तेरे। हे असुर संघारिणी शरण आई तेरे शत्रु हरो मेरे। हे माँ चंडिका... Hindi · कविता 1 269 Share डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि' 15 Dec 2021 · 1 min read सप्तपदी के ग्यारह वर्ष सप्तपदी के ग्यारह वर्ष कैसे निकल गये...... उन अद्भुत क्षणों को सोच- सोच, मैं आज भी मंद -मंद मुस्काती हूं! वह पल भी बड़ा सुहाना था, जब अजनबी बन हम... Hindi · कविता 381 Share डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि' 13 Dec 2021 · 1 min read सांसे कम है मेरे पास तुम आओ इतना करीब कि मैं महक जाऊं, तेरी आग़ोश में आकर मैं बहक जाऊं। मैं जब दूर हो जाऊंगी तुझसे, मेरे साथ बिताए शाम ,तू सोच कर मंद मंद... Hindi · कविता 2 2 203 Share डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि' 6 Dec 2021 · 1 min read दस्तक देती गुलाबी ठंडक आई* दस्तक देती गुलाबी ठंडक आई। आंँखें खुली तो देखा ,चाहूंँ ओर कोहरे ने धुंधली सी चादर तानी। मंद -मंद मैं मन में मुस्काई ,दस्तक देती देखो गुलाबी ठंडक आई। चिड़ियों... Hindi · कविता 1 2 484 Share डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि' 29 Nov 2021 · 1 min read टीस मेरे मन में भी टीस थी! पर न जाने क्यों आज , पन्नों पर नहीं उतार पाई? कोशिश बहुत की लिख दूं बहुत कुछ, पर शब्दों में न मिली गहराई!... Hindi · कविता 4 318 Share डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि' 24 Nov 2021 · 1 min read नारी तुम श्रद्धा स्वरूपा नारी तुम श्रद्धा स्वरूपा, तुम हो ममता का प्याला। बेटी बनकर घर को महकाती, घर की शान कहलाती। बनकर प्यारी बहना भाई का, हर पग पर साथ निभाती। बहु रूपधर... Hindi · कविता 2 4 210 Share डॉ माधवी मिश्रा 'शुचि' 23 Nov 2021 · 1 min read लम्हे तेरे साथ के वो हसीं लम्हे, दोबारा वापस ना आएंगे! माना जिंदगी के चार दिन, हसीं लम्हे बाकी गम के। आओ जी ले मुस्कुरा के, यह लम्हे दोबारा न वापस... Hindi · कविता 3 4 343 Share