मदन मोहन सक्सेना 176 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid मदन मोहन सक्सेना 10 Feb 2022 · 1 min read ग़ज़ल(शाम ऐ जिंदगी) ग़ज़ल(शाम ऐ जिंदगी) आँख से अब नहीं दिख रहा है जहाँ ,आज क्या हो रहा है मेरे संग यहाँ माँ का रोना नहीं अब मैं सुन पा रहा ,कान मेरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 180 Share मदन मोहन सक्सेना 8 Feb 2022 · 1 min read दो पल की जिंदगी दो पल की जिंदगी देखा जब नहीं उनको और हमने गीत नहीं गाया जमाना हमसे ये बोला की फागुन क्यों नहीं आया फागुन गुम हुआ कैसे ,क्या तुमको कुछ चला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 253 Share मदन मोहन सक्सेना 6 Jun 2018 · 1 min read ख्बाबों में अक्सर वह हमारे पास आती है दिल के पास है लेकिन निगाहों से जो ओझल है ख्बाबों में अक्सर वह हमारे पास आती है अपनों संग समय गुजरे इससे बेहतर क्या होगा कोई तन्हा रहना नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 232 Share मदन मोहन सक्सेना 17 May 2018 · 1 min read देखना है गर उन्हें ,साधारण दर्जें की रेल देखिये साम्प्रदायिक कहकर जिससे दूर दूर रहते थे राजनीती में कोई अछूत नहीं ,ये खेल देखिये दूध मंहगा प्याज मंहगा और जीना मंहगा हो गया छोड़ दो गाड़ी से जाना ,मँहगा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 364 Share मदन मोहन सक्सेना 8 May 2018 · 1 min read आजकल का ये समय भटका हुआ है मूल से प्यार की हर बात से महरूम हो गए आज हम दर्द की खुशबु भी देखो आ रही है फूल से दर्द का तोहफा मिला हमको दोस्ती के नाम पर दोस्तों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 567 Share मदन मोहन सक्सेना 27 Apr 2018 · 1 min read किसको दोस्त माने हम और किसको गैर कह दें हम मिली दौलत ,मिली शोहरत,मिला है मान उसको क्यों मौका जानकर अपनी जो बात बदल जाता है . किसी का दर्द पाने की तमन्ना जब कभी उपजे जीने का नजरिया फिर... Hindi · कविता 239 Share मदन मोहन सक्सेना 17 Apr 2018 · 1 min read क़यामत से क़यामत तक हम इन्तजार कर लेंगें बोलेंगे जो भी हमसे वो हम ऐतवार कर लेगें जो कुछ भी उनको प्यारा है हम उनसे प्यार कर लेगें वो मेरे पास आयेंगे ये सुनकर के ही सपनो में... Hindi · कविता 235 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Apr 2018 · 1 min read अब सन्नाटे के घेरे में ,जरुरत भर ही आबाजें कंक्रीटों के जंगल में नहीं लगता है मन अपना जमीं भी हो गगन भी हो ऐसा घर बनातें हैं ना ही रोशनी आये ,ना खुशबु ही बिखर पाये हालत देखकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 223 Share मदन मोहन सक्सेना 11 Apr 2018 · 1 min read ग़ज़ल (किस ज़माने की बात करते हो ) किस ज़माने की बात करते हो रिश्तें निभाने की बात करते हो अहसान ज़माने का है यार मुझ पर क्यों राय भुलाने की बात करते हो जिसे देखे हुए हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 409 Share मदन मोहन सक्सेना 5 Apr 2018 · 1 min read जिसे देखिये चला रहा है सारे तीर अँधेरे में क्या सच्चा है क्या है झूठा अंतर करना नामुमकिन है. हमने खुद को पाया है बस खुदगर्जी के घेरे में .. एक जमी वख्शी थी कुदरत ने हमको यारो लेकिन... Hindi · कविता 494 Share मदन मोहन सक्सेना 4 Apr 2018 · 1 min read अमन चैन से रहने बाले दंगे से दो चार हुए कुर्सी और वोट की खातिर काट काट के सूबे बनते नेताओं के जाने कैसे कैसे , अब ब्यबहार हुए दिल्ली में कोई भूखा बैठा, कोई अनशन पर बैठ गया भूख... Hindi · कविता 463 Share मदन मोहन सक्सेना 3 Apr 2018 · 1 min read जिसे देखिये मिलता है अब चेहरे पर मुस्कान लिए किसको अपना दर्द बतायें कौन सुनेगा अपनी बात सुनने बाले ब्याकुल हैं अब अपना राग सुनाने को हिम्मत साथ नहीं देती है खुद के अंदर झाँक सके सबने खूब बहाने... Hindi · कविता 251 Share मदन मोहन सक्सेना 27 Mar 2018 · 1 min read क्यों हर कोई परेशां है बगल बाले की किस्मत से दिल के पास है लेकिन निगाहों से जो ओझल है ख्बाबों में अक्सर वह हमारे पास आती है अपनों संग समय गुजरे इससे बेहतर क्या होगा कोई तन्हा रहना नहीं... Hindi · कविता 219 Share मदन मोहन सक्सेना 26 Mar 2018 · 1 min read अब खुदा बँटने लगा है इस तरह की तूल से प्यार की हर बात से महरूम हो गए आज हम दर्द की खुशबु भी देखो आ रही है फूल से दर्द का तोहफा मिला हमको दोस्ती के नाम पर दोस्तों... Hindi · कविता 229 Share मदन मोहन सक्सेना 23 Mar 2018 · 1 min read किस को गैर कहदे हम और किसको मान ले अपना दुनिया में जिधर देखो हजारो रास्ते दीखते मंजिल जिनसे मिल जाए बह रास्ते नहीं मिलते किस को गैर कहदे हम और किसको मान ले अपना मिलते हाथ सबसे हैं दिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 427 Share मदन मोहन सक्सेना 22 Mar 2018 · 1 min read तन्हा रहता है भीतर से बाहर रिश्तों का मेला है पैसोँ की ललक देखो दिन कैसे दिखाती है उधर माँ बाप तन्हा हैं इधर बेटा अकेला है रुपये पैसोँ की कीमत को वह ही जान सकता है बचपन में गरीवी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 250 Share मदन मोहन सक्सेना 19 Mar 2018 · 1 min read क्या बताएं आपको हम अपने दिल की दास्ताँ मिली दौलत ,मिली शोहरत,मिला है मान उसको क्यों मौका जानकर अपनी जो बात बदल जाता है किसी का दर्द पाने की तमन्ना जब कभी उपजे जीने का नजरिया फिर उसका... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 446 Share मदन मोहन सक्सेना 16 Mar 2018 · 1 min read समय के साथ बहना ही असल तो यार जीबन है गज़ब हैं रंग जीबन के गजब किस्से लगा करते जबानी जब कदम चूमे बचपन छूट जाता है बंगला ,कार, ओहदे को पाने के ही चक्कर में सीधा सच्चा बच्चों का... Hindi · कविता 259 Share मदन मोहन सक्सेना 15 Mar 2018 · 1 min read हालत देखकर मेरी ये दुनिया मुस्कराती है जुदा हो करके के तुमसे अब ,तुम्हारी याद आती है मेरे दिलबर तेरी सूरत ही मुझको रास आती है कहूं कैसे मैं ये तुमसे बहुत मुश्किल गुजारा है भरी दुनियां... Hindi · कविता 476 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Mar 2018 · 1 min read दौलत आज है तो क्या , आखिर कल तो जानी है हर लम्हा तन्हाई का एहसास मुझको होता है जबकि दोस्तों के बीच अपनी गुज़री जिंदगानी है क्यों अपने जिस्म में केवल ,रंगत खून की दिखती औरों का लहू बहता ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 258 Share मदन मोहन सक्सेना 7 Mar 2018 · 1 min read तुम्हारी मोहनी सूरत तो हर पल आँख में रहती तुम्हारी याद जब आती तो मिल जाती ख़ुशी हमको तुमको पास पायेंगे तो मेरा हाल क्या होगा तुमसे दूर रह करके तुम्हारी याद आती है मेरे पास तुम होगें तो... Hindi · कविता 405 Share मदन मोहन सक्सेना 6 Mar 2018 · 1 min read रिश्तों को निभाने के अब हालात बदले हैं दीवारें ही दीवारें नहीं दीखते अब घर यारों बड़े शहरों के हालात कैसे आज बदले है. उलझन आज दिल में है कैसी आज मुश्किल है समय बदला, जगह बदली क्यों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 218 Share मदन मोहन सक्सेना 28 Feb 2018 · 1 min read हम भी बोले होली है तुम भी बोलो होली है . मन से मन भी मिल जाये , तन से तन भी मिल जाये प्रियतम ने प्रिया से आज मन की बात खोली है मौसम आज रंगों का छायी अब खुमारी... Hindi · कविता 233 Share मदन मोहन सक्सेना 26 Feb 2018 · 1 min read दुआओं का असर होता दुआ से काम लेता हूँ हुआ इलाज भी मुश्किल ,नहीं मिलती दबा असली दुआओं का असर होता दुआ से काम लेता हूँ मुझे फुर्सत नहीं यारों कि माथा टेकुं दर दर पे अगर कोई डगमगाता... Hindi · कविता 229 Share मदन मोहन सक्सेना 20 Feb 2018 · 1 min read ग़ज़ल( बीते कल को हमसे वो अब चुराने की बात करते हैं) सजाए मौत का तोहफा हमने पा लिया जिनसे ना जाने क्यों वो अब हमसे कफ़न उधार दिलाने की बात करते हैं हुए दुनिया से बेगाने हम जिनके इक इशारे पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 294 Share मदन मोहन सक्सेना 30 Jan 2018 · 1 min read क्या मदन ये सारी दुनिया है बिरोधाभास की नरक की अंतिम जमीं तक गिर चुके हैं आज जो नापने को कह रहे हमसे वो दूरियाँ आकाश की आज हम महफूज है क्यों दुश्मनों के बीच में दोस्ती आती... Hindi · कविता 354 Share मदन मोहन सक्सेना 25 Jan 2018 · 1 min read उसकी यादों का दिया अपने दिल में यार जलता है मुसीबत यार अच्छी है पता तो यार चलता है कैसे कौन कब कितना, रंग अपना बदलता है किसकी कुर्बानी को किसने याद रक्खा है दुनिया में जलता तेल और बाती... Hindi · कविता 411 Share मदन मोहन सक्सेना 17 Jan 2018 · 1 min read जो सीधे सादे रहतें हैं मुश्किल में क्यों रहतें है जो सीधे सादे रहतें हैं मुश्किल में क्यों रहतें है मेरे मालिक मेरे मौला ये क्या दुनिया बनाई है किसी के पास खाने को मगर वह खा नहीं पाये तेरी... Hindi · कविता 218 Share मदन मोहन सक्सेना 28 Dec 2017 · 1 min read ग़ज़ल (दुनियाँ जब मेरी बदली तो बदले बदले यार दिखे) ग़ज़ल (दुनियाँ जब मेरी बदली तो बदले बदले यार दिखे) हिन्दू देखे ,मुस्लिम देखे इन्सां देख नहीं पाया मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में आते जाते उम्र गयी अपना अपना राग लिए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 402 Share मदन मोहन सक्सेना 20 Dec 2017 · 1 min read चाँद सूरज फूल में बस यार का चेहरा मिला हर सुबह रंगीन अपनी शाम हर मदहोश है वक़्त की रंगीनियों का चल रहा है सिलसिला चार पल की जिंदगी में मिल गयी सदियों की दौलत जब मिल गयी नजरें... Hindi · कविता 240 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Dec 2017 · 1 min read ग़ज़ल ( शायद दर्द से अपने रिश्ते पुराने लगते हैं) वो हर बात को मेरी क्यों दबाने लगते हैं जब हक़ीकत हम उनको समझाने लगते हैं जिस गलती पर हमको वो समझाने लगते है उस गलती को फिर क्यों दोहराने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 327 Share मदन मोहन सक्सेना 15 Dec 2017 · 1 min read संग साथ की हार हुई और तन्हाई की जीत हो रही पाने को आतुर रहतें हैं खोने को तैयार नहीं है जिम्मेदारी ने मुहँ मोड़ा ,सुबिधाओं की जीत हो रही साझा करने को ना मिलता , अपने गम में ग़मगीन हैं... Hindi · कविता 459 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Dec 2017 · 1 min read घायल हुए उस रोज हम जिस रोज मारा प्यार से जालिम लगी दुनियाँ हमें हर शख्श बेगाना लगा हर पल हमें धोखे मिले अपने ही ऐतबार से नफरत से की गयी चोट से हर जख़्म हमने सह लिया घायल हुए... Hindi · कविता 213 Share मदन मोहन सक्सेना 8 Dec 2017 · 1 min read वह शख्श मेरा यार था ये कल की बात है उनको तो हमसे प्यार है ये कल की बात है कायम ये ऐतबार था ये कल की बात है जब से मिली नज़र तो चलता नहीं है बस मुझे दिल... Hindi · कविता 252 Share मदन मोहन सक्सेना 6 Dec 2017 · 1 min read जिंदगी तुम हो हमारी और तुम से जिंदगी है जानकर अपना तुम्हें हम हो गए अनजान खुद से दर्द है क्यों अब तलक अपना हमें माना नहीं नहीं है अब सुबह से शाम तक बस नाम तेरा है लबों... Hindi · कविता 477 Share मदन मोहन सक्सेना 5 Dec 2017 · 1 min read भरोसा हो तो किस पर हो सभी इक जैसे दिखतें हैं किसको आज फुर्सत है किसी की बात सुनने की अपने ख्बाबों और ख़यालों में सभी मशगूल दिखतें हैं सबक क्या क्या सिखाता है जीबन का सफ़र यारों मुश्किल में बहुत... Hindi · कविता 266 Share मदन मोहन सक्सेना 7 Nov 2017 · 1 min read दर्द मुझसे मिलकर अब मुस्कराता है दर्द मुझसे मिलकर अब मुस्कराता है बक्त कब किसका हुआ जो अब मेरा होगा बुरे बक्त को जानकर सब्र किया मैनें किसी को चाहतें रहना कोई गुनाह तो नहीं चाहत... Hindi · कविता 415 Share मदन मोहन सक्सेना 31 Oct 2017 · 1 min read चेहरे की हकीकत को समझ जाओ तो अच्छा है मिली दौलत ,मिली शोहरत,मिला है मान उसको क्यों मौका जानकर अपनी जो बात बदल जाता है . किसी का दर्द पाने की तमन्ना जब कभी उपजे जीने का नजरिया फिर... Hindi · कविता 337 Share मदन मोहन सक्सेना 18 Oct 2017 · 1 min read दिवाली आज आयी है, जलाओ प्रेम के दीपक दिवाली आज आयी है, जलाओ प्रेम के दीपक मंगलमय हो आपको दीपों का त्यौहार जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही... Hindi · कविता 299 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Oct 2017 · 1 min read तुम्हारा साथ जब होगा नजारा ही नया होगा तुम्हारी याद जब आती तो मिल जाती ख़ुशी हमको तुमको पास पायेंगे तो मेरा हाल क्या होगा तुमसे दूर रह करके तुम्हारी याद आती है मेरे पास तुम होगे तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 412 Share मदन मोहन सक्सेना 12 Oct 2017 · 1 min read मेरे दिलबर तेरी सूरत ही मुझको रास आती है जुदा हो करके के तुमसे अब ,तुम्हारी याद आती है मेरे दिलबर तेरी सूरत ही मुझको रास आती है कहूं कैसे मैं ये तुमसे बहुत मुश्किल गुजारा है भरी दुनियां... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 301 Share मदन मोहन सक्सेना 11 Oct 2017 · 1 min read कौन साथ ले जा पाया है रुपया पैसा महल अटारी कौन किसी का खाता है अपनी किस्मत का सब खाते मिलने पर सब होते खुश हैं ना मिलने पर गाल बजाते कौन साथ ले जा पाया है रुपया पैसा महल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 305 Share मदन मोहन सक्सेना 10 Oct 2017 · 1 min read भरोसा टूटने पर यार सब कुछ टूट जाता है भरोसा है तो रिश्तें हैं ,रिश्तें हैं तो खुशहाली भरोसा टूटने पर यार सब कुछ टूट जाता है यारों क्यों लगा करतें हैं दुश्मन जैसे अपने भी किसी के यार... Hindi · कविता 571 Share मदन मोहन सक्सेना 19 Sep 2017 · 1 min read ग़ज़ल (दोस्त अपने आज सब क्यों बेगाने लगतें हैं) जब अपने चेहरे से नकाब हम हटाने लगतें हैं अपने चेहरे को देखकर डर जाने लगते हैं वह हर बात को मेरी क्यों दबाने लगते हैं जब हकीकत हम उनको... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 268 Share मदन मोहन सक्सेना 13 Sep 2017 · 1 min read जय हिंदी जय हिंदुस्तान मेरा भारत बने महान जय हिंदी जय हिंदुस्तान मेरा भारत बने महान गंगा यमुना सी नदियाँ हैं जो देश का मन बढ़ाती हैं सीता सावित्री सी देवी जो आज भी पूजी जाती हैं यहाँ... Hindi · कविता 472 Share मदन मोहन सक्सेना 12 Sep 2017 · 1 min read पैसों की ताकत के आगे गिरता हुआ जमीर मिला सपनीली दुनियाँ मेँ यारों सपनें खूब मचलते देखे रंग बदलती दूनियाँ देखी ,खुद को रंग बदलते देखा सुबिधाभोगी को तो मैनें एक जगह पर जमते देख़ा भूखों और गरीबोँ को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 304 Share मदन मोहन सक्सेना 14 Aug 2017 · 2 min read अर्थ का अनर्थ (अब तो आ कान्हा जाओ) अर्थ का अनर्थ (अब तो आ कान्हा जाओ) अब तो आ कान्हा जाओ, इस धरती पर सब त्रस्त हुए दुःख सहने को भक्त तुम्हारे आज क्यों अभिशप्त हुए नन्द दुलारे... Hindi · कविता 658 Share मदन मोहन सक्सेना 15 May 2017 · 1 min read बेबसी में मन से बहता यह नयन का तीर है गज़ल गाना चाहता हूँ ,गुनगुनाना चाहता हूँ ग़ज़ल का ही ग़ज़ल में सन्देश देना चाहता हूँ ग़ज़ल मरती है नहीं बिश्बास देना चाहता हूँ गज़ल गाना चाहता हूँ ,गुनगुनाना चाहता... Hindi · कविता 551 Share मदन मोहन सक्सेना 12 May 2017 · 1 min read मुहब्बत में मिटकर फना हो गया हूँ . नजर फ़ेर ली है खफ़ा हो गया हूँ बिछुड़ कर किसी से जुदा हो गया हूँ मैं किससे करूँ बेबफाई का शिकबा कि खुद रूठकर बेबफ़ा हो गया हूँ बहुत... Hindi · कविता 242 Share मदन मोहन सक्सेना 11 May 2017 · 1 min read ग़ज़ल(ये रिश्तें काँच से नाजुक) ग़ज़ल(ये रिश्तें काँच से नाजुक) ये रिश्तें काँच से नाजुक जरा सी चोट पर टूटे बिना रिश्तों के क्या जीवन ,रिश्तों को संभालों तुम जिसे देखो बही मुँह पर ,क्यों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 266 Share Page 1 Next