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16 Mar 2018 · 1 min read

समय के साथ बहना ही असल तो यार जीबन है

गज़ब हैं रंग जीबन के गजब किस्से लगा करते
जबानी जब कदम चूमे बचपन छूट जाता है

बंगला ,कार, ओहदे को पाने के ही चक्कर में
सीधा सच्चा बच्चों का आचरण छूट जाता है

जबानी के नशें में लोग क्या क्या ना किया करते
ढलते ही जबानी के बुढ़ापा टूट जाता है

समय के साथ बहना ही असल तो यार जीबन है
समय को गर नहीं समझे समय फिर रूठ जाता है

जियो ऐसे कि औरों को भी जीने का मजा आये
मदन ,जीबन क्या ,बुलबुला है, आखिर फुट जाता है

समय के साथ बहना ही असल तो यार जीबन है

मदन मोहन सक्सेना

Language: Hindi
255 Views
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