Shreedhar 121 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read आएगा ज़माना उलटबांसी का, कह गये थे संत कबीर तक़दीर साथ देती मगर, शायद तदबीर ज़्यादा हो गया, ख़ुदा भी उसी का है आजकल, जो अमीर ज़्यादा हो गया। ***** बेईमानी, हेरा-फेरी, चोरी-डकैती का बोलबाला देखिए, जो कायदे-कानून का... Poetry Writing Challenge-3 1 34 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read कुछ असली दर्द हैं, कुछ बनावटी मुसर्रतें हैं कुछ उम्र के सब्ज़ बाग़ हुए, कुछ हकीकतें हैं, कुछ असली दर्द हैं, कुछ बनावटी मुसर्रतें हैं। **** कब तक मुकरिएगा, पगडंडियों के हालात से, राहों में कदम-कदम पर, नई-नई... Poetry Writing Challenge-3 36 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read कुछ हम निभाते रहे, कुछ वो निभाते रहे आशिक़ी में ज़्यादा उम्मीद भी क्या करते, हम वफ़ा करते रहे, और वो ज़फ़ा करते रहे। **** ज़माने की नज़र में रिश्ता कामयाब रहा, कुछ हम निभाते रहे, कुछ वो... Poetry Writing Challenge-3 24 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read आने दो कुँवार, खिलेगी सुनहरी धान कम आ रहे हो ख़़्वाबों में आजकल, शायद, पौष की लंबी रातों में आओगे। **** रूठे रहो यों ही, दो-चार महीने और, ख़ुद ही एक रोज़ बातों-बातों में आओगे। ****... Poetry Writing Challenge-3 30 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read तुम्हारी गली से आने जाने लगे हैं मेरी पेशानी पे तुम्हारा अक्स देखकर लोग, मुझे तुम्हारे नाम से पुकारने लगे हैं। **** ख़ुदा जाने ये कैसा हसीन माजरा है, लोग मेरा नाम तुमसे जोड़ने लगे हैं। ****... Poetry Writing Challenge-3 36 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read सिर्फ़ तुम्हें सुनाना चाहता हूँ मैं अक्सर, अपने बारे में पता करते रहता हूं, तुम्हीं नहीं, मैं भी ख़ुद को जानना चाहता हूं। ✍️✍️ बारहा मुझसे सवाल न किया करो, मेरे बारे में, मैं भी... Poetry Writing Challenge-3 28 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read कुछ हम निभाते रहे, कुछ वो निभाते रहे वो सुबह सबेरे, ज़्यादा मुस्कुरा कर पेश आया, जिसने कल रात, मेरे पीठ पर वार किया था। ☘️☘️ उसने कभी इज़हार-ए-इश्क़ हमसे किया नहीं, कहता है, उसने उम्रभर हमसे प्यार... Poetry Writing Challenge-3 24 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read जबसे देखा शहर तुम्हारा, अपना शहर भूल गए एक रात, इतने क़रीब आ गया महताब मिरे, दिनों तक हम, राह-ए-रश्क-ए-कम़र भूल गए। ☘️☘️ हम जब भी मिले हैं, महबूब से उनके घर पर, जाने क्यों वापसी में अपने... Poetry Writing Challenge-3 30 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read जहाँ मुर्दे ही मुर्दे हों, वहाँ ज़िंदगी क्या करेगी बीमारों की बस्ती में, ज़िंदादिली क्या करेगी, जहाँ मुर्दे ही मुर्दे हों, वहाँ ज़िंदगी क्या करेगी। ☘️☘️ दौलतें, शान-ओ-शोहरतें, पोशीदा हक़ीक़तें हैं, दिखावटी ज़माने में, तुम्हारी सादगी क्या करेगी। ☘️☘️... Poetry Writing Challenge-3 33 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read अब ठहरना चाहता हूँ, कुछ दिनों तुम्हारे शहर में कहीं बसना चाहता हूँँ, कुछ दिनों, बहुत भटका हूँ, अब ठहरना चाहता हूँ, कुछ दिनों। 🌺🌺 सोचता, चलता, तलाशता, थकता, बिखर चुका हूँ, तुम्हारे ख़यालों में सिमटना... Poetry Writing Challenge-3 23 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read फ़ानी है दौलतों की असलियत ख़ुमारी अगर सहर तक न रहे, शराब में शब जाया क्या करना। ☘️☘️ गर वो ही न पढ़ें, नज़्म हमारी, अख़बार में साया क्या करना। ☘️☘️ उनसे मिलना कभी होगा... Poetry Writing Challenge-3 23 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read तक़दीर का क्या, कभी रूठी, कभी संभल गई सारी क़वायदें, बेपरवाह जु़स्तुज़ू में लग गई, और उम्र का क्या, उसे ढलना था, ढल गई। 🌺🌺 जवानी, बा-मुराद गुज़र रही थी, गुज़र जाती, मगर, एक रोज़ ये कमबख़्त नज़र... Poetry Writing Challenge-3 17 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read दर्द-ओ-ग़म की टीस हंसाते रहती है तुम्हें क्या बताऊँ, अपने हंसने चहकने का राज़, दर्द-ओ-ग़म की टीस है कि, हंसाते रहती है। 🌺🌺 कई बार हमने छोड़ डाला, हाला प्याला मधुशाला, साकी की ज़िद है कि,... Poetry Writing Challenge-3 23 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read आते जाते रोज़, ख़ूँ-रेज़ी हादसे ही हादसे सोचता हूँ, एक रोज़ अपना भी शहर देख लूँ, जहाँ चौबीसों पहर रहता हूँ, वो घर देख लूँ। ✍️✍️ गुनगुनी धूप, चहकती गौरेया, चमकते मकान, भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में, कभी... Poetry Writing Challenge-3 23 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read फ़ासले ही फ़ासले हैं, मुझसे भी मेरे निकल तो आया हूँ दूर, तलाश में अपनी, किसी को छोड़ आया, किसी से मिल नहीं पाया। ✍️✍️ फ़ासले ही फ़ासले हैं, मुझसे भी मेरे, गैरों को समझा, ख़ुद को... Poetry Writing Challenge-3 18 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read जब से देखा रास्ते बेईमानी से निकलते हैं बदलते मौसम की तरह हो गया हूँ मैं भी, सुबह और, शाम कुछ और, हो गया हूँ मैं भी। ☘️☘️ ख़ुद से ख़ुद के दरमियाँ फ़र्क गिनता हूँ, कि कब... Poetry Writing Challenge-3 21 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read पहचान लेता हूँ उन्हें पोशीदा हिज़ाब में शाम गुज़र तो गई नशीली शराब में, दिन बेचैन रहेगा उन्हीं के ख़्वाब में। ☘️☘️ जाने क्यों, आईना सही बताता नहीं, तलाशता हूँ अक़्स प्याला-ए-आब में। ☘️☘️ उनके बदन की... Poetry Writing Challenge-3 1 21 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read दो ग़ज़ जमीं अपने वास्ते तलाश रहा हूँ बेबसी और बेकसी के बीच रास्ते तलाश रहा हूँ, महँगे बाज़ार में सामान, सस्ते तलाश रहा हूँ। 🌺🌺 कौन आए, दोपहर की धूप में मिलने मुझसे , तंग दौर में... Poetry Writing Challenge-3 29 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read दिया जा रहा था शराब में थोड़ा जहर मुझे कितने धोखे दिए हैं, इस शहर ने मुझे, रात ढलने के बाद गिनाया, सहर ने मुझे। 🌺🌺 मैं समझता रहा, ख़ुद को सयाना ज़रूर, कई मर्तबा गिराया, मेरी ही नज़र... Poetry Writing Challenge-3 27 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read जोख़िम दग़ा का अज़ीज़ों से ज़्यादा किसी के ठहरने से, वक़्त कहाँ ठहरता है, ये सिलसिला है, मुसलसल बना रहता है। ☘️☘️ बेपरवाह नहीं होती, नादान ख़्वाहिशें कभी, उल्फ़त को भी, असलियत का पता रहता है।... Poetry Writing Challenge-3 18 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read शाम वापसी का वादा, कोई कर नहीं सकता सोने की वरक़ पे नक़्क़ाशा हूँ, नाम उनका, आड़े वक़्त कभी इसे, बेच भी नहीं सकता। ☘️☘️ इस क़दर लदा हूँ, जाने किसके ख़याल में, पत्थर भी आसानी से, मुझे... Poetry Writing Challenge-3 1 21 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read ‘मंज़र’ इश्क़ में शहीद है मामूली दर्द-ओ-ग़म में, उनका ख़याल काफ़ी है, संजीदा मुश्किलों में लेकिन, शराब ही मुफ़ीद है। 🌺🌺 महबूब ने वायदा तो ख़ूब किया, लंबे सफर का, दिनभर साथ न आए, शाम... Poetry Writing Challenge-3 1 16 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read तुम कहो उम्र दरकिनार कर जाएं इतना भी नहीं अफ़सोस, आशिक़ी का हमें, कि तुम चाहो, और हम इश्क़ से मुक़र जाएं। ☘️☘️ उम्र ढलती रही, लेकिन दिल जवां होता रहा, तुम कहो तो, उम्र को... Poetry Writing Challenge-3 13 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read मौसमों की माफ़िक़ लोग --- साग़र-ओ-मीना-ओ-गुल, मेरेे रूहानी शौक़ तो देखिए पाँवों में परहेज़ों की बेड़ी और रूमानी ख़्वाब देखिए। ☘️☘️ नीम-बाज़-आँखें मिरी, और नीम-बाज़-रुख़सार उनके, फिर भी दरम्यां हमारे, ताज़िंदगी रिश्ता शादाब देखिए।... Poetry Writing Challenge-3 21 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read ये इश्क़ है हमनफ़स! तक़रीबन रोज़ हो जाता है मिलना उनका-मेरा, रास्ता ख़ुद-ब-ख़ुद कट जाता है, उनका-मेरा। 🌺🌺 न वो चाहें, न हम चाहें, यों मिलना बेसाख़्ता, जाने रोज़ क्यों पड़ता है, वास्ता उनका-मेरा।... Poetry Writing Challenge-3 20 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read किसी बिस्तर पर ठहरती रातें न रही इश्क़-ए-सरगर्मी तो क्या हुआ, सुहानी रूमानी पुरानी मीठी यादें तो हैं। ☘️☘️ हैं तुम्हारे मिरे दरम्यां, दूरियाँ माना, साथ-साथ बहती, गर्म साँसें तो हैं। ☘️☘️ माना कि दिनभर... Poetry Writing Challenge-3 17 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read अब वो रूमानी दिन रात कहाँ अब उनकी आँखों में वो बात कहाँ, मुलाकातों में धड़कते हालात कहाँ। ☘️☘️ तबस्सुम उनका गुलशन सा होता था, अब उनकी बातों में वो जज़्बात कहाँ। ☘️☘️ गुफ़्तगू हो जाती... Poetry Writing Challenge-3 30 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read हमसफ़र नहीं क़यामत के सिवा ख़्वाहिशें और भी हैं, ज़िंदगी के सिवा, मोहब्बतें और भी हैं, आशिक़ी के सिवा। ☘️☘️ हज़ारों की महफ़िलें, हज़ारों के मज़मे, नज़र कुछ आता नहीं, ख़ुदाई के सिवा। ☘️☘️ हिसाब... Poetry Writing Challenge-3 20 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read रुसवाई न हो तुम्हारी, नाम नहीं है हमारा एक अरसे के बाद, ख़त आया है तुम्हारा, पता सही है मगर, नाम भूल गये हो हमारा। ☘️☘️ ख़त के आखिर में जो शे'र लिखे हो उम्दा, हाल-ए-जिगर की तरफ़... Poetry Writing Challenge-3 31 Share Shreedhar 29 May 2024 · 1 min read लंबे सफ़र को जिगर कर रहा है तरक्की हो रही है, जिगर सिमट रहा है, आदमी पनप रहे हैं, इंसान घट रहा है। ☘️☘️ लिखने की हसरतें बेइंतहा हैं, मगर, उम्दा कुछ लिखते में हाथ कसक रहा... Poetry Writing Challenge-3 26 Share Shreedhar 24 Apr 2024 · 1 min read अच्छा ख़ासा तआरुफ़ है, उनका मेरा, अच्छा ख़ासा तआरुफ़ है, उनका मेरा, जाने क्यों मेरा हाल, रिंदों से पूछा करते हैं। वो ख़ुद ही उठकर गये थे मिरी महफ़िल से, जाने क्यों तन्हाई में मेरी ग़ज़ल... Quote Writer 37 Share Shreedhar 24 Apr 2024 · 1 min read वो लुका-छिपी, वो दहकता प्यार... अब कहांँ कभी पेड़ों की छांव में कभी गेंदा गुलाब की झुरमुटों में कभी नदी किनारे कभी खेतों कुछ मेंढ़ों की आड़ में वो प्रेम, वो प्रणय-बंधन। — अब कहांँ... 22 Share Shreedhar 24 Apr 2024 · 1 min read वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार— वो लुका-छिपी वो दहकता प्यार— ****** अब कहांँ कभी पेड़ों की छांव में कभी गेंदा गुलाब की झुरमुटों में कभी नदी किनारे कभी खेतों कुछ मेंढ़ों की आड़ में वो... Quote Writer 52 Share Shreedhar 24 Apr 2024 · 1 min read क़त्ल कर गया तो क्या हुआ, इश्क़ ही तो है- हो गया तो हो गया, क्या हुआ, इश्क़ ही तो है, कर गया बीमारे-जिगर तो क्या हुआ, इश्क़ ही तो है। आशिक़ भी दौर-ए-ग़ुरबत, क्या से क्या हो गया, न... Quote Writer 38 Share Shreedhar 24 Apr 2024 · 1 min read आख़िरी इश्क़, प्यालों से करने दे साकी- मय को मेरे पास ही रहने पीने दे साकी, तू दूर रह, सिर्फ़ मुझे निहारने दे साकी। ज़ुर्रत रही नहीं, जफ़ाएं और झेलने की, अपने जिगर के साथ, वफ़ा करने... Quote Writer 58 Share Shreedhar 24 Apr 2024 · 1 min read कभी अपनेे दर्दो-ग़म, कभी उनके दर्दो-ग़म- कभी अपनेे दर्दो-ग़म ने परेशां किया, कभी उनके दर्दो-ग़म ने हैरां किया। अपनी तो जैसे कटी,कट गई जवानी, उन्हें भी ताउम्र मेरे ख़यालों में जीना पड़ा। मुकर्रर न हुआ फिर,... Quote Writer 38 Share Shreedhar 24 Apr 2024 · 1 min read ये इश्क़-विश्क़ के फेरे- मज़ाज़ी इश्क़ नहीं, हक़ीक़ी शायरी से मोहब्बत है, हमें हक़ीक़त के सिवा, दुनियादारी से नफ़रत है। इश्क़-विश्क़ के फेरे में, न हम पड़े न पड़ने वाले, शायरी तो हमारे दिल-ओ-जां-ख़ूं... Quote Writer 74 Share Shreedhar 24 Apr 2024 · 1 min read न वो बेवफ़ा, न हम बेवफ़ा- अच्छा ख़ासा तआरुफ़ है, उनका मेरा, जाने क्यों मेरा हाल, रिंदों से पूछा करते हैं। वो ख़ुद ही उठकर गये थे मिरी महफ़िल से, जाने क्यों तन्हाई में मेरी ग़ज़ल... Quote Writer 56 Share Shreedhar 24 Apr 2024 · 1 min read बीती एक और होली, व्हिस्की ब्रैंडी रम वोदका रंग ख़ूब चढे़-- मेलमिलाप ईद होली दिवाली, जेब से डायरेक्ट लिंक देखिए पैसों के हिसाब से रंग बदलने वाली, प्यार की इंक देखिए। बीती एक और होली, व्हिस्की ब्रैंडी रम वोदका रंग ख़ूब... Quote Writer 43 Share Shreedhar 24 Apr 2024 · 1 min read बर्फ़ के भीतर, अंगार-सा दहक रहा हूँ आजकल- बडा शर्मसार हो रहा हूँ मैं, ख़ुद से आजकल, फिर उन्हीं की याद में खो जाता हूँ आजकल। बड़ी नख़वत से पी लिए थे हम जहर-ए-ज़फ़ा, वक़्त-बे-वक़्त बीमार पड़ने लगा... Quote Writer 59 Share Shreedhar 4 Sep 2023 · 1 min read अब उनकी आँखों में वो बात कहाँ, अब उनकी आँखों में वो बात कहाँ, मुलाकातों में धड़कते हालात कहाँ। तबस्सुम उनका गुलशन सा होता था, अब उनकी बातों में वो जज़्बात कहाँ। गुफ़्तगू हो जाती है उनसे... Quote Writer 2 298 Share Shreedhar 4 Sep 2023 · 1 min read कम आ रहे हो ख़़्वाबों में आजकल, कम आ रहे हो ख़़्वाबों में आजकल, शायद, पौष की लंबी रातों में आओगे। रूठे रहो यों ही, दो-चार महीने और, ख़ुद ही एक रोज़ बातों-बातों में आओगे। आने दो... Quote Writer 2 112 Share Shreedhar 4 Sep 2023 · 1 min read तुम्हें पाना-खोना एकसार सा है-- तुम्हें पाना-खोना एकसार सा है-- Quote Writer 226 Share Shreedhar 4 Sep 2023 · 1 min read सारी तल्ख़ियां गर हम ही से हों तो, बात ही क्या है, सारी तल्ख़ियां गर हम ही से हों तो, बात ही क्या है, बस रोज़ हमें आदाब लिखो और भूल जाया करो। देखो बरसात जा रही है, मौसम सूखे-सूखे आएंगे, गुजरती... Quote Writer 434 Share Shreedhar 4 Sep 2023 · 1 min read मेरी पेशानी पे तुम्हारा अक्स देखकर लोग, मेरी पेशानी पे तुम्हारा अक्स देखकर लोग, मुझे तुम्हारे नाम से पुकारने लगे हैं। ख़ुदा जाने ये कैसा हसीन माजरा है, लोग मेरा नाम तुमसे जोड़ने लगे हैं। यों तो... Quote Writer 297 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read क्षणिकाऐं (1) उदास धूप की परतों पर आसमां की चमक सो रही है सूरज डरा सा मिला, चाँद सुस्त सोया है जनतंत्र के बादल बहुत हैं मगर बारिश की बूँदें नहीं,... Poetry Writing Challenge 1 2 187 Share Shreedhar 19 May 2023 · 2 min read तुम सर्वदृष्टा मैं इंसान तुच्छ अपनी जरूरत के मुताबिक सबने ढाला अपना खुदा अपने अपने सांचे में दूर दुनिया के कोनों में नहीं आस पास घर घर में अलग आदमी आदमी के लिए जुदा कितनी... Poetry Writing Challenge 184 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read खुद को चिठ्ठी भेजते रहता हूँ अब कोई नहीं लिखता खत मुझे इसलिए खुद ही डाकखाने जाकर खुद को चिठ्ठी भेजते रहता हूँ डाकिया बार बार ले आता है चिठ्ठियाँ और पूछता है हाल मेरा, मैं... Poetry Writing Challenge 104 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read सौतेले शब्द धीरे-धीरे कुछ शब्द जैसे भ्रष्ट-भ्रष्टाचार, अन्याय-अत्याचार अपने काव्यकोष प्रयोग से कम कर रहा हूँ शब्दों के विपक्षी बहुत कम रह गये पक्षधर ज्यादा हैं, कुछ खुलकर ज्यादा भीतर भीतर दीमक... Poetry Writing Challenge 105 Share Shreedhar 19 May 2023 · 1 min read जन्म-मृत्यु के सिमटते अन्तर बड़ा शहर है लाशें रोज के रोज किनारे कर दी जाती हैं महानगरी है दुर्घटनाएं होते रहती हैं विस्फ़ोट गिन लिए जाते हैं भुला दिए जाते हैं अख़बार भरने के... Poetry Writing Challenge 82 Share Page 1 Next