वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी Tag: कविता 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी 9 Dec 2018 · 1 min read अटल जी नहीं रहे ! ? ••••• अटल जी नहीं रहे ••••• स्तब्ध नहीं नि:शब्द हूँ मैं अश्रुओं का अंतिम लब्ध हूँ मैं मात्र एक दर्शक इतिहास का स्वच्छंद नहीं प्रतिबद्ध हूँ मैं कांटों से... Hindi · कविता 1 1 250 Share वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी 7 Dec 2018 · 2 min read पश्चाताप ! ।। ॐ ।। (यह कविता आठ जुलाई सन् दो हज़ार पन्द्रह को लिखी गई) * पश्चाताप ! * कोरी जाँच-पड़ताल नहीं न मनभाती बात । ऐसा - ऐसा हो चुका... Hindi · कविता 277 Share वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी 4 Dec 2018 · 1 min read पुकार ? * * * * * पुकार * * * * * आओ मोहन मोहन आओ पलक बिछाऊं करूँ सुआगत ब्याकुल मन मन नहीं मानत कूकर जात बहुत खिजावत हुई... Hindi · कविता 291 Share वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी 29 Nov 2018 · 1 min read नींव के पत्थर (जिन भव्य भवनों, ऊंची अट्टालिकाओं, महलों - राजप्रसादों के शिखर - कंगूरे आकाश से बातें कर रहे हैं, उन्हीं की नींव के पत्थरों को समर्पित है यह कविता) * *... Hindi · कविता 3 528 Share वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी 28 Nov 2018 · 1 min read रामानुज ? * * * रामानुज * * * मतिभ्रष्ट और कामी पिता नृप स्वामी अवध्य नहीं खलकारी हे दाशरथि ! शरण तुम्हारी हे दाशरथि ! शरण तुम्हारी . . .... Hindi · कविता 2 3 395 Share वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी 27 Nov 2018 · 1 min read माँ, मेरी माँ . . . ! ? * * * माँ, मेरी माँ ! * * * ------------------ अवाक् देखता मैं तेरे हाथ को विमान की तरह से नीचे को आ रहा दिल के दालान में... Hindi · कविता 3 3 344 Share वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी 25 Nov 2018 · 1 min read बस एक शब्द, माँ ! ? * * * बस एक शब्द, माँ * * * आसकिरण जन्मी शुभ-लाभ प्रथम बार मिले शाला ऊंची प्रेम की घुटने कई-कई बार छिले उर - अंचल बरसी सुगंध... Hindi · कविता 4 5 352 Share वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी 24 Nov 2018 · 1 min read विश्वास लुटेरे ! * * * विश्वास लुटेरे * * * दिखती नहीं पहली-सी ताकत भुजाओं में सपनीली आँखों का पानी घुल गया हवाओं में यूँ तो दिखते हैं अब भी स्वप्न सुहावने... Hindi · कविता 2 488 Share वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी 19 Nov 2018 · 2 min read लालकोट से डंका ! ? *•••| लालकोट से डंका |•••* आर्यावर्त न रहा न जम्बूद्वीप शेष है जो बच रहा है भारत उस पर भी क्लेश है लुटेरे कहाएं संत जहाँ दानव महान हैं... Hindi · कविता 234 Share