रिपुदमन झा "पिनाकी" Tag: मुक्तक 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid रिपुदमन झा "पिनाकी" 22 Apr 2022 · 1 min read पिता दिन-रात एक करके पिता करता कमाई। बच्चों के लिए ख़ुद की भी तकलीफ़ भुलाई। करता है त्याग और तपस्या वो हर क़दम- लेकिन पिता ने मान कहांँ मांँओं सी पाई।... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · मुक्तक 6 4 369 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 7 Jul 2021 · 1 min read रहें सलामत वो ठाने रहते हैं सदा अपनों से अदावत वो। ढाते हैं सब पे सितम बनके इक क़यामत वो। लिहाज़ है ही नहीं उनको बड़े छोटे का- हर घड़ी ढूंढते हैं मौका... Hindi · मुक्तक 2 298 Share