कविता झा ‘गीत’ Language: Hindi 28 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid कविता झा ‘गीत’ 15 May 2024 · 3 min read जीने का हक़! मुझे तो पूरी जमीन चाहिए, पूरा आसमान चाहिए। चाहिए पर उड़ने को, और एक उड़ान चाहिए। रोक सके कौन मुझे, इतना दम यहाँ किस में? मैं सीता मिट्टी से जन्मी,... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · कविता · नारी का हक़ · हक़ 11 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 2 min read नज़रें! पायल छनकाती चलती, रुन झुन रुन झुन। घर आँगन में दौड़ती, बेख़ौफ़ निडर। यहाँ से वहाँ भागती, बिना डरे नाचती गाती, बिन समहे सब कह जाती, घर-आँगन में दौड़ती, और... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · नज़रें · नारी · मेटाफर 12 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 2 min read बेमेल शादी! खेलने की उम्र में चूल्हा-चौका करने लगी सात बहनों में सबसे बड़ी थी सबकी जिम्मेदारी उठाने लगी। जब हुई थोड़ी सयानी बढ़ी पिता की परेशानी क्या करता लाचार था बेचारा... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · नन्ही बच्ची · बुढ़ा वर · बेमेल शादी 8 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read युग प्रवर्तक नारी! युगों को पैरों से धकेल, मिथ्या भ्रांतिओं को खदेड़, लड़ कर सब से अकेले, आगे बढ़ रही नारी। कभी संस्कारों के बोझ तले दबाया गया, कभी सही-ग़लत के पैमाने पर... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · नारी शक्ति · महिला सशक्तिकरण · युग प्रवर्तक नारी 9 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read प्रेम! देखती रही मैं नदी को बे-परवाह बहते हुए, चुप चाप एक टक दूर तक बस निहारती रही जाने कैसे बह रही थी बस एक दिशा में ना किसी की चिंता... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · नदी का प्यार · प्रेम · फ़िलोफ़ोबॉक 11 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 2 min read चुप्पी! माँ चुप रही, एकदम चुप, जब खाना पकाते वक़्त जल गई थी, तब भी चुप ही रही, जब कपड़े सुखाते धूप में झुलस गई थी, चुप्पी तब भी थी उनके... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · चुप्पी · माँ की चुप्पी · मेटाफर 13 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 2 min read हँसी! बचपन की यादों की पोटली मिली जिसमें सम्भाल कर कई क़िस्से रखे थे और रखी थी मुस्कुराहट की कई लकीरें जो चेहरे पे दिखाई देती थी कभी रखा था सम्भाल... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · झूठ हँसी · मेटाफर · रूपक · हँसी 12 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read भोर के ओस! तुम भोर के ओस साँझ के छटा से मौन चुप-चाप मन में बसे धीमे से पाने जाऊँ तुमको तो वाष्पित हो गुम हो जाते। तुम वन के मोर सावन के... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · प्रेम · भोर के ओस · मेटाफर 11 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read पत्थर तोड़ती औरत! धूप में पत्थर तोड़ती औरत को कभी देखा है निर्भीक, पसीने से लथ-पथ चुप चाप अपने काम में लगी ना किसी से कोई उम्मीद, ना किसी से कोई बात ना... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · नारी शक्ति · नारी सशक्तिकरण · पत्थर तोड़ती औरत 10 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read बंदर का खेल! मदारी आया, मदारी आया सुनो बच्चों और बच्चों की अम्मा बजा रहा डमरू डम डम डुम डुम डुम डम डम साथ में है एक बंदर और एक सजी धजी बंदरिया... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · कविता · जीवन का खेल · बंदर का खेल 10 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read बेबसी! अज़ीब बेबसी है सब लाचार, चुप चाप वक्त भी हाथों से बह गया है दुआओं में असर ज़रा कम है सूर्ख आँखें भी आज नम है बेबसी का अजब आलम... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · कविता · गरीबी · बेबसी 12 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 2 min read रोटी की क़ीमत! दिन भर तपता रहा धूप में, रात बिताई बारूद में झुलसकर, फिर भी नसीब ना हुई जिसे, दो वक्त की रोटी और नमक, उस से पूछो रोटी की क़ीमत, जिसने... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · गरीबी · रूपक · रोटी की क़ीमत 9 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 2 min read नन्ही भिखारन! सड़क किनारे रोशनी में बैठी कैसे देख रही टुकुर-टुकुर और कार आते ही लाल लाइट पर दौड़ती पूरे ज़ोर से उस कार के तरफ़ एक नन्ही भिखारन। नाम शायद उसे... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · नन्ही भिखारन · मेटाफर · रूपक 10 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read मुखौटा! जैसे चाँद छुपा गहरे बादल में वैसे ही चेहरे पे चेहरा हैं यहाँ मुखौटा में छिपा कोई चेहरा मुखौटे पे मुखौटा और फ़िर एक और मुखौटा। अंदर से टूटटा इंसान... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · मुखौटा · मेटाफर 8 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read तस्वीर! घर के किसी कोने के दीवार पे टंगी, तस्वीर हूँ मैं, एक सुंदर तस्वीर। सुनहरे सुंदर फ्रेम मे ज़करी बेजान सी, मात्र शोभा बढ़ाने की चीज़। जो बोल नहीं सकती,... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · तस्वीर · दीवार पे तंगी · रूपक 9 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read मेरी पहचान! कौन हूँ मैं, मेरा परिचय क्या है? क्या मैं वो जो घुटने पे चल रही, या फिर दौड़ कर कुर्सी पकड़ रही? क्या मैं वो जो बस्ता लिए स्कूल जा... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · कविता · पहचान · रूपक 9 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read पुकार! मन में हलचल करती, नींद से अनायास जगाती, वो एक ‘पुकार’ रह-रह कर, क्यों आज भी मुझे बुलाती? मैंने तो अनजाने में बस यूँ टोका, भूखा समझ कुछ खाना खिलाया,... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · नादान · पुकार · बच्ची 10 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read चाय की प्याली! प्यारी लगती सुकून देती, गरम गरम चाय की प्याली, मन को प्रसन्न कर जाती, ये सुबह की चाय की प्याली। मधुर रस में मन को डूबा जाती, एक एक घूँट... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · चाय की प्याली · रूपक 9 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read प्लास्टिक की गुड़िया! प्लास्टिक की गुड़िया सी बेजान चुप चाप एकदम शांत हिलाने डुलाने पे उठाने पे आँखें खोलती आवाज़ निकालती बिना सोचे समझे एकदम बेमन हंस देती किसी को देख बड़ी बड़ी... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · कविता · प्लास्टिक की गुड़िया 11 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read श्रृष्टि का आधार! अब नहीं चिंता किसी को, फ़िक्र नहीं ज़रा भी तेरी आज, उठना होगा स्वयं से तुझे हे नारी! करना होगा प्रतिघात। सहने की उम्र गयी, बीत गए लम्हे सब जल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · नारी- श्रृष्टि का आधार · स्वयं शक्ति 9 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read मूरत रंग बिरंगी सुंदर मूरत, सजी धजी बेजान सी, क्या जाने किस घर जाएगी, ओढ़े कपट की परिधान सी। सजा कर ले जाएगा कोई, धर हाथ वचन खाएगा वो, जीने मरने... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · कविता · मूरत · मूरत की क़ीमत · रूपक 8 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read वैवाहिक चादर! बड़े प्यार से माँ ने अपने ख़ाली समय में सिखाया था अपनी बेटी को कढ़ाई और बुनाई और इस कला को संस्कार की गठरी में बांध दिया था चुप-चाप। बेटी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · लड़की का विवाह · विवाह 11 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read विनती कल जोड़ प्रथम नमन तुमको करते आदि शक्ति। संसार का मूल आधार है तू और तुझसे ही नियति। स्वच्छ कर मन करे यज्ञाहुति में तुमको अर्पण। पावन अग्नि में निर्मल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · विनती 1 11 Share कविता झा ‘गीत’ 3 Feb 2021 · 1 min read जब तुम मिलोगे प्रिय! कैसे भर नयन उठा तुझे देखूँगी, संकोच से हृदय भार कैसे सम्भालूँगी, इन अश्रुओं से तेरे पाँव पखारूँगी, अपने स्पंदन को कैसे रोक पाऊँगी, जब तुम मिलोगे प्रिय! तेरा बाट... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 30 56 758 Share कविता झा ‘गीत’ 26 Jan 2021 · 1 min read मेरा भारत महान?? देश मेरे! तू मेरी जान मेरे माथे की तिलक मेरे मन का स्वाभिमान मेरे सर का पग उस से जुड़ी शान भारत गणतंत्र महान पावन यज्ञ समान तिरंगा है जिसकी... Hindi · कविता 1 501 Share कविता झा ‘गीत’ 20 Jan 2021 · 1 min read ठूँठा पेड़ (बुज़ुर्ग पिता) सड़क के किनारे खड़ा ठूँठा पेड़ आते जाते सब को देखता रहता जीवन से ना-उम्मीद, दिशा हीन चुप-चाप खड़ा रहता वो ठूँठा पेड़। किसी ने लात मार ठुकराया उसे तो... Hindi · कविता 7 7 708 Share कविता झा ‘गीत’ 15 Jan 2021 · 1 min read हाँ मैं किसान हूँ। मुख की मीठी रोटी हूँ, जीवन का आधार हूँ, हाँ मैं किसान हूँ। भूखे रहकर सींचता, रक्त से खेत हल जोतता, भले ख़ाली हो पेट जिस पर चले राजनीति की... Hindi · कविता 12 6 850 Share कविता झा ‘गीत’ 11 Jan 2021 · 1 min read कोरोना है जिसका नाम। शक्ल है ना कोई, धुंधली है पहचान मौत के रूप में आ रहा अज़ीब मेहमान अब तो सम्भल जाओ, ना बनो नादान हल्के में मत लो, कोरोना है जिसका नाम।... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 41 70 1k Share