Rajeev kumar Tag: ग़ज़ल/गीतिका 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rajeev kumar 2 Jul 2022 · 1 min read ज़िन्दगी वक़्त के रेत फिसल ही जाते हैं लोग गिरकर सम्भल ही जाते हैं मुश्तैद हो बुरा दौर चाहे कितना भी लोग उस दौर से निकल ही जाते हैं न खुशी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 127 Share Rajeev kumar 23 Apr 2022 · 1 min read ज़रूरी है ज़रूरी है उम्र के इस पड़ाव पर शुकुन ज़रूरी है ज़िंदगी जीने के लिए जूनून ज़रूरी है खाली लिफाफा से काम नहीं चलता पढ़ने के लिए मज़मून ज़रूरी है ज़िंदगी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 216 Share Rajeev kumar 4 Mar 2022 · 1 min read हवा का रू आज हवा का रूख दिवार सा है लहरों का सा भाव है, मझधार सा है ये तो अभी किनारा है,जाना तो दूर है दिल मेरा हर दिवार गिराने को तैयार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 175 Share Rajeev kumar 20 Sep 2021 · 1 min read ये शहर की उदासी ये शहर की उदासी आ गई क्यों गाँव मे तीखे धूप की बरसात क्यों होने लगी छाँव मे थोड़ी दूर चलकर ही पानी भर गया जिसमे मैं चढ़ा ही क्यों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 508 Share Rajeev kumar 14 Sep 2021 · 1 min read शीशे की हस्ती पत्थर के बने ये शहर शीशे से मुकाबला करते हैं और जब देखनी हो खुद की तस्वीर को शीशे से ही काम निकला करते हैं शीशे की हस्ती नहीं कि... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 610 Share