DEVSHREE PAREEK 'ARPITA' Tag: मुक्तक 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid DEVSHREE PAREEK 'ARPITA' 28 Dec 2021 · 1 min read राम... जीवन की अभिलाषा राम है धैर्य और धर्म में आस्था राम है ... आदर्शों के चरमोत्कर्ष शिखर की परिपूर्ण परिकाष्ठा राम है... -✍️देवश्री पारीक 'अर्पिता' Hindi · मुक्तक 1 2 710 Share DEVSHREE PAREEK 'ARPITA' 23 Dec 2021 · 1 min read उनकी मोहब्बत... उनकी मोहब्बत, हमें रोज रुलाती रही गुनाह-ए-इश्क़ का, फरमान सुनाती रही तन्हा जीने की सजा, हमको सुनाकर पहलू से कभी पास, कभी दूर जाती रही... -✍️देवश्री पारीक 'अर्पिता' Hindi · मुक्तक 2 5 456 Share DEVSHREE PAREEK 'ARPITA' 2 Dec 2021 · 1 min read बिन मतलब... मोहब्बत में मिलावट का दौर है दोस्तों सब अपने हिसाब से रिश्ते जोड़ लेते हैं... तू किस ज़माने की सोच रखती है 'अर्पिता' बिन मतलब तो अपने भी मुँह मोड़... Hindi · मुक्तक 1 2 502 Share DEVSHREE PAREEK 'ARPITA' 15 Nov 2021 · 1 min read मनाने की बारी... चूँकि रिश्ता निभाने की, ज़िम्मेदारी मेरी है ज़ाहिर है हर बार, तुम्हें मनाने की बारी मेरी है... जिस दिन, मैंने मनाना छोड़ दिया तुमनें एक पल में, रिश्ता तोड़ दिया... Hindi · मुक्तक 1 304 Share DEVSHREE PAREEK 'ARPITA' 22 Oct 2021 · 1 min read मशहूर... ग़म-ए-जिंदगी ने इतना भी,बेज़ार ना किया तेरे इश्क ने इतना भी, बेकरार ना किया यूँ खामखाँ ही कुछ किस्से मशहूर हो गए, वरना हकीकतों से कभी खुद को तलबगार ना... Hindi · मुक्तक 3 2 390 Share DEVSHREE PAREEK 'ARPITA' 4 Oct 2021 · 1 min read ऊपरवाला... मंदिरों में फूल चढ़ाओ चाहे मज़ारों पर माला गर बाँट सको दर्द किसी का तो खुश होगा ऊपरवाला -✍️देवश्री पारीक 'अर्पिता' Hindi · मुक्तक 2 4 796 Share DEVSHREE PAREEK 'ARPITA' 16 Sep 2021 · 1 min read तेरी याद... ग़म-ए-शाम इसकदर, तन्हाँ कर जाती है मुझे बेवजह, बेवक़्त तेरी बेख्याली, सताती है मुझे लाख चाहा तुझे भूल जाना, ए ख़ुलुस-ए-दिल, मग़र भूलाने की कोशिश भी, तेरी याद दिलाती है... Hindi · मुक्तक 2 2 485 Share DEVSHREE PAREEK 'ARPITA' 29 Aug 2021 · 1 min read ग़म नहीं... ये दुनिया लाख सताए मुझे, तो ग़म नहीं मेरी चाहत मेरी जिंदगी है, कोई वहम नहीं बेगानों से गले मिलो या चाहो गैर को सज़दा तेरा ही करेंगे तुम, खुदा... Hindi · मुक्तक 5 4 488 Share DEVSHREE PAREEK 'ARPITA' 13 Aug 2021 · 1 min read स्मृतियां.... आस की संध्या आती रही, दीप जलाकर यामिनी बीती जाती रही, अश्रु बहाकर मैं निर्निमेष कब तक निहारू, द्वार की चौखट स्मृतियां सहलाती रही, घावों की धूल हटाकर... - ✍️देवश्री... Hindi · मुक्तक 6 10 596 Share