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16 Sep 2021 · 1 min read

तेरी याद...

ग़म-ए-शाम इसकदर, तन्हाँ कर जाती है मुझे
बेवजह, बेवक़्त तेरी बेख्याली, सताती है मुझे
लाख चाहा तुझे भूल जाना, ए ख़ुलुस-ए-दिल, मग़र
भूलाने की कोशिश भी, तेरी याद दिलाती है मुझे…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’
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