Sangeeta Darak maheshwari 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sangeeta Darak maheshwari 16 Jun 2022 · 1 min read पिता ही तो है पिता ही तो है शिशु के एहसास,को जो जीता है वो पिता ही तो हैं । उसके सपनो में ,जो रंग भरता है। पल-पल उसके लिये सवँरता बिखरता है। वो... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · एहसास · जमीं · पिता · शिशु · सितारे 3 3 275 Share Sangeeta Darak maheshwari 22 May 2022 · 1 min read राई का पहाड़ कुछ लोग राई का पहाड़ बना लेते है ,और तो और, उस पर चढ़ा भी देते है। खुद तो अपनी जिंदगी मजे से जीते हैं , और दूसरों की जिंदगी... Hindi · कविता 2 1k Share Sangeeta Darak maheshwari 30 Nov 2018 · 1 min read माँ माँ पल पल अपने खून से सींचती है ,जो तुमको । साँसों को तुम्हारी जो अपनी रफ्तार देती है । बीज से शिशु बनने तक, तुमको जो सहेज कर, अपने... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 14 676 Share