पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" Tag: ग़ज़ल 6 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 3 May 2024 · 1 min read सरपरस्त क्यों ताक-झांक कर रहे पड़ोसी, इसका मुझको पता नहीं। कब-कब पकी घर मेरे खिचड़ी, इसका मुझको पता नहीं।। हम क्या कहते और क्या सहते हैं, बात नहीं यह अपनें जानें।... Hindi · Humour · Memoir · Poem · कविता · ग़ज़ल 2 161 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 25 Apr 2024 · 1 min read तल्खियां चोट शब्दो के न सह पाते, जिनका स्वाभिमान होता है। वो घाव गहरी दे जाता है जो, शख्स बद्दजबान होता है।। किसी और कि क्या बिसात, ऐसे रिश्ते बिगाड़ दे... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 1 120 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 15 Apr 2024 · 1 min read उलझनें हर खुशफ़हमियों से अब हमें, मुँह मोड़ना होगा। मुझे वह बिंधते हैं ऐसे, कि बन्धन तोड़ना होगा।। ये रंगत रिश्तों कि जो मुझे, कल तक अज़ीज़ थे। लगाए शक्ल पर... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 1 165 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 7 Jan 2024 · 1 min read मैं नशे में हूँ ! मापनी:- 1222-1222-1222-1222 बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन अभी उनसे हुई है बात मेरी, मैं नशे में हूँ। अभी मदहोश है हालात मेरी, मैं नशे में हूँ।। सभी... Hindi · ग़ज़ल 1 103 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 7 Jan 2024 · 1 min read याद हो आया ! 2222-1222-1222-1222 जब देखे मर्ज वह मेरा, शिफाया याद हो आया। की दौर-ए- मुफ़लिसीयों में, बकाया याद हो आया।। हम उनसे प्यार करने में, खुदा को भूल बैठे थे। कांपी जब... Hindi · ग़ज़ल 1 137 Share पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप" 7 Jan 2024 · 1 min read रहने दें अभी। मापनी:- 2122-2122-2122-212 बहरे रमल मुसमन महज़ूफ़ फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन जो कहो तो राज वो हम, राज रहने दें अभी। हर दिखावे का सभी को, नाज़ रहने दें अभी।। नाम... Hindi · ग़ज़ल 1 97 Share