भरत कुमार सोलंकी Tag: मुक्तक 12 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid भरत कुमार सोलंकी 25 May 2024 · 1 min read किस तिजोरी की चाबी चाहिए किस तिजोरी की चाबी चाहिए यादो की खामोशी वारदात पर वो निकल कर बोला आक्रोश ही था वादों की तकरार पर खड़ा होकर बोला हा खामोश होकर मैं सुन रहा... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 2 171 Share भरत कुमार सोलंकी 23 May 2024 · 1 min read क्यो नकाब लगाती हो " क्यो नकाब लगाती हो।" सफर पर जाने वाली मुसाफिर तु आपनी सुरत पर क्यों नकाल लगाती है। क्यो घृणित कार्य करने वाली शातिर अपनी सुरत पर उठने वाले जवाब... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 70 Share भरत कुमार सोलंकी 12 May 2024 · 2 min read पास आना तो बहाना था •. पास तो आना-जाना था" मन की बन तू शायरी मन से लिखता हूँ डायरी खास बनकर खामोश मन के पास तेरा तो आना-जाना था। कलम मेरी खुश हो गयी... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 79 Share भरत कुमार सोलंकी 11 May 2024 · 1 min read वक़्त का समय 3.5.37 वक्त के दरियों में कुदने की मेरी औकात नही रक्त के दरिया में नहाने की मेरी सोगात लगी निश्छल भाव से किसी गैर के मन में समाया था। रक्त... Hindi · मुक्तक 68 Share भरत कुमार सोलंकी 7 May 2024 · 1 min read "मैं मजाक हूँ " "मैं मजाक हूँ " हालात की चक्की में पीसकर बेरुखी से रूककर आज मैं अपनी ही नजर में मजाक हूँ जिन्दगी का एक लम्हा आज किताबो संग बीता कर खामोशी... Hindi · मुक्तक 89 Share भरत कुमार सोलंकी 6 May 2024 · 1 min read एकांत चाहिए "एकान्त चाहिए" वक्त के आधुनिकीकरण में रहकर अपने दिमागी संताप को भूलने खातिर इस मन को शान्ति खातिर एकान्त चाहिए खाना छोड़ में. नीर के दम पर दिन गिना रहा... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 72 Share भरत कुमार सोलंकी 6 May 2024 · 1 min read "एकान्त चाहिए "एकान्त चाहिए" वक्त के आधुनिकीकरण में रहकर अपने दिमागी संताप को भूलने खातिर इस मन को शान्ति खातिर एकान्त चाहिए खाना छोड़ में. नीर के दम पर दिन गिना रहा... Hindi · मुक्तक 103 Share भरत कुमार सोलंकी 6 May 2024 · 1 min read मै थक गया " मैं थक गया खामोश मैं अपने पर आकर अपने पन से थक गया खोखला पन मैं खुद पर रखकर अपने हुनर से थक गया ॥ हाळात पर मेरा वश... Poetry Writing Challenge-3 · मुक्तक 83 Share भरत कुमार सोलंकी 6 May 2024 · 1 min read मै थक गया हु " मैं थक गया खामोश मैं अपने पर आकर अपने पन से थक गया खोखला पन मैं खुद पर रखकर अपने हुनर से थक गया ॥ हाळात पर मेरा वश... Hindi · मुक्तक 97 Share भरत कुमार सोलंकी 4 May 2024 · 1 min read हुनर से गद्दारी हुनर से गद्दारी " सख्त रवैया आज अपनो का देख, मन मेरा खामोशी में खो गया रख इरादा आज सपनों का , आज पागल पन की पगडंडी पर सो गया।... Hindi · मुक्तक 83 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 1 min read हिन्दु नववर्ष हिन्दु पंचांग की ही जीत है हिन्दु पंचाग की ही रीत है नमूना नया नववर्ष का नव बेला का नवाचार है सजना सवरना भूल इस वर्ष का कड़वाहट संग मिठा... Hindi · मुक्तक 97 Share भरत कुमार सोलंकी 22 Apr 2024 · 2 min read एहसास विसय एहसास बिधा शायरी दिनांक. 10: 4;2024 सात सुरो की सौगात बन, सरगम की तुम एहसास हो बकसे में रख बकवास किसी का खास बन, झूठे प्रेम की तुम झूठी... Hindi · मुक्तक 85 Share