सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' Tag: Best Poetry 7 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 12 Oct 2024 · 1 min read बुनियाद के पत्थर जिसने देखा है इमारत को बनते हुए वही जानता है महत्व बुनियाद के पत्थरों का आज जो देखते हैं हम ऊंची ऊंची गगनचुंबी इमारतें सबका भार उठा रखा है इन... Hindi · Best Poetry · Hindipoem · कविता · माता पिता 5 5 212 Share सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 3 Oct 2024 · 1 min read *दुनियादारी की समझ* उसकी तारीफ़ों के पुल नहीं बांधता जो कहता है उस पर भी कभी टोक देता हूं मैं जो भी करता हूं उसकी ख़ुशी के लिए करता हूं फिर भी उसे... Hindi · Best Hindi · Best Poetry · Hindipoem · कविता · ग़ज़ल 2 1 221 Share सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 17 Feb 2024 · 1 min read *आपदा से सहमा आदमी* चंद दिनों की सुर्खियां नहीं बनना चाहता हूं मैं किसी पहाड़ के मलवे में नहीं दबना चाहता हूं मैं हरगिज़ ये नहीं चाहता आपदा की भेंट चढ़ जाऊँ मैं फिर... Poetry Writing Challenge-2 · Best Poetry · Poetry · कविता · ग़ज़ल 1 110 Share सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 17 Feb 2024 · 1 min read *तेरा इंतज़ार* जानता हूँ बुरा मान जाओगे तुम तुम्हारा दिल और दुखाना नहीं चाहता हूँ माफ़ करना कोई गलती हो गई हो अब मैं तुमसे कुछ कहना नहीं चाहता हूँ तुम क्या... Poetry Writing Challenge-2 · Best Poetry · Poetry · कविता · ग़ज़ल 121 Share सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 15 Feb 2024 · 1 min read *तेरी ख़ुशबू* तुझे पहचान लेता हूँ मैं ख़ुशबू से तेरी इंतज़ार है मुझे आज भी तू होगी जब बाहों में मेरी देखता हूँ जब भी मैं आँखों में तेरी खो जाता हूँ... Poetry Writing Challenge-2 · Best Poetry · Hindi · कविता 84 Share सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 15 Feb 2024 · 1 min read *बदले नहीं है आज भी लड़के* भोर हो गई उठते नहीं है रात को देर से सोते ये लड़के चार दिनों तक बदले न कपड़े बदले नहीं है आज भी लड़के जाते हैं कॉलेज पर पढ़ते... Poetry Writing Challenge-2 · Best Poetry · Hindi · कविता · हिन्दी कविता 5 2 859 Share सुरेन्द्र शर्मा 'शिव' 15 Feb 2024 · 1 min read *इंसानियत का कत्ल* इंसान को हैवान बनते देखा है अब तुम्हें क्या कहूं मैं वहशी दरिंदों! देखकर क्रूरता तुम्हारी शर्मसार हो गया हूं मैं शर्मसार है माँ भारती जिसकी धरापर ये कुकृत्य हुआ... Poetry Writing Challenge-2 · Best Poetry · कविता 3 1 1k Share