बिमल तिवारी “आत्मबोध” Tag: कविता 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid बिमल तिवारी “आत्मबोध” 23 Aug 2023 · 1 min read चंद्रयान 3 "आखिर मैं चूम लिया सतह को तेरी मैं इंसान हूं नहीं हारना फितरत मेरी गलतियों को सुधार कर दौड़ता हूं मैं और कभी पीछे नहीं मुड़ता हूं मैं हौसला हिम्मत... Hindi · Chandrayan · कविता · चंद्रयान 311 Share बिमल तिवारी “आत्मबोध” 5 Jun 2023 · 1 min read पर्यावरण दिवस पर विशेष गीत कितनें दिन हो गए,खुल कर हँसें हुए,याद नहीं कितनें दिन हो गए,हवा में झूलें हुए,याद नहीं कितनें दिन हो गए,दराज़ों में कैद हुए,याद नहीं कितनें दिन हो गए,बहारों से मिलें... Hindi · कविता · गीत · पर्यावरण दिवस 1 291 Share बिमल तिवारी “आत्मबोध” 21 Oct 2021 · 1 min read शरद पूर्णिमा का चाँद *शरद ऋतु का चाँद* ---------------------------------------- आज शरद ऋतु का चाँद उतर आया है मेरें आँगन में भर कर अमृत की बूंदें उड़ेल दिया हैं गागर से सराबोर शीतल हो आया... Hindi · कविता 2 1 611 Share बिमल तिवारी “आत्मबोध” 30 Aug 2021 · 1 min read श्रीकृष्ण जन्माष्टमी #श्रीकृष्ण_के_4542वें_प्राकट्य_वर्ष_की_हृदय_से_अभिनन्दन ************************* दूर करनें को सभी विपदा कहीं से आ जाएं खो चुकी जो धरा सम्पदा, देने कहीं से आ जाएं साध कर जियें अपना ज़िंदगी ज़िसके तरह सब जग... Hindi · कविता 202 Share बिमल तिवारी “आत्मबोध” 26 May 2021 · 1 min read भगवान बुद्ध ।। बुद्ध पूर्णिमा और भगवान बुद्ध ।। ---------------------------------------- संसार के ख़ातिर जो त्यागें ख़ुद की इच्छा, बुद्ध वहीं हैं त्यागकर महलों की सुविधा मांगें भिक्षा, बुध्द वहीं हैं मानव के... Hindi · कविता 1 1 555 Share बिमल तिवारी “आत्मबोध” 28 Mar 2021 · 1 min read होलिका दहन *होलिका दहन* हर साल मुझकों जलाने का अर्थ क्या हुआ ? सोच से अपनें मेरें जैसे सामर्थ सा हुआँ हाथ में मशाल वालों से पूछतीं हैं होलिका जलाने का प्रयास... Hindi · कविता 1 534 Share बिमल तिवारी “आत्मबोध” 16 Jan 2021 · 1 min read आसमां का सफ़र *आसमां का सफर* आसमां के सफ़र में होता हैं क्या ? हल्के फुल्के आते जाते रुई से फाहों सी बादलों के नन्हें मुन्ने श्वेत भूरे झुंड औऱ आसमान के झूठें... Hindi · कविता 1 620 Share बिमल तिवारी “आत्मबोध” 16 Jan 2021 · 2 min read सैनिक दिवस पर विशेष *सैनिक दिवस पर विशेष* सीमाओं पर डटें, जो देश की रखवाली करतें हैं बिना स्वार्थ हित लाभ के जो पहरेदारी करतें हैं सर्दी शीत धूप ताप से लड़ते जो प्रतिक्षण... Hindi · कविता 1 194 Share