Saraswati Bajpai Tag: कविता 124 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Saraswati Bajpai 5 May 2024 · 1 min read संवेदना जगत की इस दौड़ में अब नित खो रहीं संवेदनाएँ, कल्पना के शिखर चढ़ने को पाँव तले दबती संवेदनाएँ, इतनी जल्दी में सभी हैं छोड़ भागे संवेदनाएँ, सुख में हों... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 19 Share Saraswati Bajpai 5 May 2024 · 1 min read संवेदनाएँ संवेदना रस है चेतनता का यही तो फर्क है जड़ व चेतन का । जैसे पेड़-पौधों में जल, रस बनकर उन्हे संवारता है। ऐसे ही जीव की संवेदना का स्तर... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 24 Share Saraswati Bajpai 22 Jan 2024 · 1 min read हे राम हृदय में आ जाओ हे राम तुम्हारा निर्वासन तो मात्र तुम्हारे भवन से था, किन्तु तुम्हारी जग माया में क्यों तुम नजर नहीं आते? क्यों छलते रहते तुम सबको यहाँ नहीं तुम, वहां नही... Hindi · कविता 117 Share Saraswati Bajpai 22 Jan 2024 · 1 min read रामलला रामलला की छवि प्राकट्य के साथ ही सूर्य देव भी कई दिवस के बाद आज खुद को रोक न पाए प्रकट हो गए राम को आशीर्वाद देने ऐसा लगा मानो... Hindi · कविता 132 Share Saraswati Bajpai 21 Jan 2024 · 1 min read पेड़ और चिरैया आती है चिरैया रोज बैठती है पेड़ पर चीं ची चीं करते जाने क्या क्या कह जाती है । सुनता है पेड़ सब धार उसे गोद में यूँ जैसे कोई... Hindi · कविता 94 Share Saraswati Bajpai 11 Jan 2024 · 1 min read विनती हे प्रभो ! पृथ्वी के सब रुप रंग में निरख सकूँ तेरी विराट सत्ता, तेरी विराट जलराशि में भिगो सकूँ अपना तन ही नहीं वरन मन भी, तेरी दी हुई... Hindi · कविता 94 Share Saraswati Bajpai 8 Jan 2024 · 1 min read कितना खाली खालीपन है ! जीवन के सब उद्यम हारे मुझको पूरा करने में तुम जो साथ नहीं होते तो कितना खाली खालीपन है ! जाने क्यों जब तुम जाते हो संग मेरा मन ले... Hindi · कविता 113 Share Saraswati Bajpai 26 Dec 2023 · 1 min read कोंपलें फिर फूटेंगी कितना भी ये शीत कँपा दे और हेमन्त सब पात झरा दे किन्तु शेष जीवन जब तक है नई कोंपलें फिर फूटेंगीं एक एक कोंपल से फिर जाने कितने पात... Hindi · कविता 109 Share Saraswati Bajpai 10 Aug 2023 · 1 min read हाँ ये सच है हाँ ये सच है, तुम मिले थे कभी गर्मी में झुलसी देह को शाम की पुरवा हवा सा जैसे हवा को बाँध नहीं सकते सदा के लिए तुम्हें भी रोक... Hindi · कविता 1 212 Share Saraswati Bajpai 22 Jul 2023 · 1 min read एक गुनगुनी धूप एक अरसे की लम्बी रात्रि निराशा के गहन अंधकार व ठिठुरती शीत के बाद आज कुछ मद्धिम सी रोशनी सुबह की सुगबुगाहट दे रही है, एक गुनगुनी धूप का टुकड़ा... Hindi · कविता 241 Share Saraswati Bajpai 8 Jul 2023 · 1 min read ऐ सावन अब आ जाना सावन जो तू आया ही है मेरे घर भी आ जाना । रिमझिम रिमझिम तृप्ति बूंद कुछ मेरे घर बरसा जाना । कब से सूना रिक्त पड़ा घर अतिथि कोई... Hindi · कविता 1 162 Share Saraswati Bajpai 8 Jul 2023 · 1 min read अब नहीं पाना तुम्हें शेष न साहस तुम्हें अब खोने का इसलिए ही अब नही पाना तुम्हें । दरमियां अब और दूरी आ न जाएं इसलिए अब पास न आना हमे । है सुना... Hindi · कविता 154 Share Saraswati Bajpai 1 Mar 2023 · 1 min read विषाद छाती जकडी हुई है विषाद के शीत से मानो कोई भीतर ही भीतर प्राण घोंट रहा है । ये विषाद जैसे मन को पूरा निचोड़ कर बताना चाह रहा है... Hindi · कविता 259 Share Saraswati Bajpai 25 Feb 2023 · 1 min read लौटना मुश्किल होता है बहुत मुश्किल होता है निरन्तर बढ रहे उत्साही कदम पीछे की ओर मोड़ना जब ऑंखे देख पा रही हो अपनी मंजिल को बहुत करीब से। बस चन्द कदमों का ही... Hindi · कविता 280 Share Saraswati Bajpai 21 Feb 2023 · 1 min read सब स्वीकार है आज़मा ले जिन्दगी मुझको हर एक मोड़ पर अब तेरी हर आज़माइश शौक से स्वीकार है । अब कोई तुझसे शिकायत करने मैं न आऊँगी । न ही तेरी देयता... Hindi · कविता 242 Share Saraswati Bajpai 21 Feb 2023 · 1 min read सच है, दुनिया हंसती है सच है दुनिया हंसती ही है किसी नई डगर जब चला कोई पर हंसती है तो हंसने दो मुझे निरा मूर्ख उन्हें कहने दो मैं अपने पथ की मतवाली मैं... Hindi · कविता 198 Share Saraswati Bajpai 1 Feb 2023 · 1 min read निशान मिट गए सारे निशान हमारे उनके घर की चौखटों से दरें दीवारें जिस घर की हमसे मुस्कुराकर ही सदा मिली है । क्यों ये दीवारें न पहचान पाती मेरी शख्सियत... Hindi · कविता 223 Share Saraswati Bajpai 10 Jan 2023 · 1 min read कुछ तो रिश्ता है पूर्व जन्म का अनजाना सा अद्भुत बड़ा सुहाना सा मेरे सारे अनुभव कहते तुमसे कुछ तो रिश्ता है । दूर रहो या पास रहो ये मन तुम में ही रमता... Hindi · कविता 3 4 212 Share Saraswati Bajpai 9 Jan 2023 · 1 min read मेरा अन्तर्मन जाने कैसा है अन्तर्मन ये कुछ भी समझ न पाती मै कभी ये एकदम कोरा लगता दिखती कभी अबूझ आकृतियां जैसे हूँ कोई निपट निरक्षर कुछ भी पढ़ न पाती... Hindi · कविता 2 2 141 Share Saraswati Bajpai 3 Jan 2023 · 1 min read नववर्ष 2023 ये कैसा नव वर्ष नवलता का कोई आभास नहीं । सब कुछ ठहरा ठहरा है कहीं कोई आगाज़ नहीं । बहुत सोंचती पुनः पुनः मैं शिष्टाचार निभाऊं मैं भी नवल... Hindi · कविता 1 146 Share Saraswati Bajpai 9 Dec 2022 · 1 min read माता-पिता हमारा जो अस्तित्व है आधार है माता पिता । माता यदि भूमि है तो आकाश है अपने पिता । छाँव है माता की ममता बन धूप मिलते है पिता ।... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता · माता पिता 2 317 Share Saraswati Bajpai 17 Nov 2022 · 1 min read घर हमारे तन-मन को सुरक्षा का जहाँ भी घना अहसास मिले, बस वहीं घर है । जहां रांधती रसोई मां और पिता की छांव मिले बस वहीं घर है । हमारे... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता · घर 3 173 Share Saraswati Bajpai 16 Nov 2022 · 1 min read समय युगों युगों से निरन्तर समय अपनी धुरी पर गतिमान ही है । समय का मूल्य परखना है तो समय की प्रतीक्षा में निरन्तर तपनिष्ठ माँ अहित्या व शबरी के उद्धार... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता · समय 4 3 220 Share Saraswati Bajpai 14 Nov 2022 · 1 min read बाल दिवस आज बाल दिवस है, चलो आज एक दिन कुछ ऐसा कर जाएं, हमारे आस-पास परिचित हो या अपरिचित । घर, सड़क, मुहल्ले, स्कूल जहाँ भी जो बच्चे मिलें उन्हें कुछ... Hindi · कविता 2 2 196 Share Saraswati Bajpai 14 Nov 2022 · 1 min read ईर्ष्या कभी-कभी न चाहते हुए भी, गाहे बगाहे हमें चकमा दे, हमारे भीतर ईर्ष्या प्रवेश कर ही जाती है । यदि हम सजग है तो तुरंत इसे बाहर निकाल फेंकते है... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता 4 2 331 Share Saraswati Bajpai 13 Nov 2022 · 1 min read सम्मान सम्मान, सबके प्रति आदरभाव, समतुल्य सभी का मान, हमारी भारत भूमि की संस्कृति का आधार है । हम भारतवासी प्रकृति, सूर्य, चन्द्र, वायु, जल, वृक्ष सर्व जगत के उपासक है... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता · सम्मान 6 2 154 Share Saraswati Bajpai 12 Nov 2022 · 1 min read जल जल है तो धरा है, वृक्ष है, वायु है, सब अन्न है । ये सब है तो जीव हैं सृष्टि सर्व सम्पन्न है । हमारी संस्कृति बताती जल वरुण देव... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता · जल 5 1 210 Share Saraswati Bajpai 3 Nov 2022 · 1 min read तुम बूंद बंदू बरसना सब शीत ताप सहते सहते तन मन कोमलता छूट गई । टकरा टकरा आघातों से केंचुल तन मन की कठोर हुई।। तुम बूंद बूंद बरसोगे जब तब जा मुझको पा... Hindi · कविता 2 187 Share Saraswati Bajpai 24 Oct 2022 · 1 min read दीपोत्सव की शुभकामनाएं ये दीप भरे नव पुञ्ज सदा तम हरे सभी के जीवन का । धन धान्य भरे हर घर आंगन सब कलुष मिटे हो समरसता ।🙏 Hindi · कविता 4 4 275 Share Saraswati Bajpai 13 Oct 2022 · 1 min read ऐ चाँद ऐ चाँद, तू रोज रात के अंधेरों को रोशनी से भरता जरूर है । समय का चक्र तुझे भी कभी पूरा कर देता है और कभी अपूर्ण पर तू बिना... Hindi · कविता 1 333 Share Saraswati Bajpai 12 Oct 2022 · 1 min read सुख और दुःख सुख गहरी नींद, विलास, विश्राम है । दुःख वैचारिक जाग्रति अवधान है। सुख हर्ष सागर में डुबकी है । दुःख तैरना सीखने का संधान है। सुख स्वप्नों आशाओं का नीड़... Hindi · कविता 2 2 159 Share Saraswati Bajpai 5 Oct 2022 · 1 min read हे माँ जानकी ! हे माँ जानकी ! आज तुम्हारे रघुवर ने तुम्हारे साथ हुए छ्ल का प्रतिकार ले लिया । तुम्हारे प्रति प्रेम व निष्ठा का उदाहरण प्रस्तुत कर दिया। आज भयानक रात्रि... Hindi · कविता 4 2 235 Share Saraswati Bajpai 27 Sep 2022 · 1 min read मौन भी क्यों गलत ? इन्सान हूँ मैं, मुझे फर्क पड़ता है जब कोई मेरी भावनाओं से पुनः पुनः खेल जाता है । या फिर स्वयं को सिद्ध करने में अनर्गल मिथ्यारोप मढ़ जाता है... Hindi · कविता 4 317 Share Saraswati Bajpai 24 Sep 2022 · 1 min read सेतु तुम आशाबन्ध सेतु हो मेरे प्राण व जीवन के मध्य । अथाह गहरी खाईं है इस सेतु के नीचे । जहाँ हलाहल विषजन्तु है, कालकूट आतुर है ग्रास को किन्तु... Hindi · कविता 6 6 197 Share Saraswati Bajpai 14 Sep 2022 · 1 min read हिन्दी हिन्दी, माँ है हमारी रग रग में रची बसी अस्तित्व, पहचान है हमारी । गर्भ से ही ये भाषा ध्वनियाँ कानों से होते हुए हृदय, मस्तिष्क में पैठ बना चुकी।... Hindi · कविता 5 2 285 Share Saraswati Bajpai 11 Sep 2022 · 1 min read जरिया मेरी इस जिन्दगी में हवा, पानी, रोशनी का एकमात्र तुम जरिया हो । अब तुम्हीं सोंच लो तुम्हें इस जरिए को कैसे जारी रखना है । तुम दीपक नहीं सूर्य... Hindi · कविता 4 6 202 Share Saraswati Bajpai 7 Sep 2022 · 1 min read व्यथा ऐ नींद तू आती क्यों नही ? आँखें तरस गयीं तेरे आगोश को । यहां बाहर-भीतर सब तरफ बस शोर ही शोर है । मस्तिष्क की नसें खिंच रही हैं... Hindi · कविता 4 10 217 Share Saraswati Bajpai 1 Sep 2022 · 1 min read सृजन की तैयारी अवरोध, प्रतिरोध, अन्तर्द्वन्द्ध की तीव्र होती लपटो के बीच बस चारों ओर धुआँ ही था जो जीवन में विष घोल रहा था । मन ईश्वर से पूँछ रहा था मेरे... Hindi · कविता 1 306 Share Saraswati Bajpai 13 Aug 2022 · 1 min read पत्ते टहनी से टूट कर पत्ते बड़े गुमान में हैं । कह रहे अब हम खुले आसमान में हैं । मदमस्त होके उड़ रहे सीमाओं से परे सोंचते वो व्यर्थ थे... Hindi · कविता 3 2 442 Share Saraswati Bajpai 8 Aug 2022 · 1 min read तुम्हारा शिखर मैं समझ सकती हूँ तुम्हे अपना शिखर चाहिए । किन्तु तुम जिस रास्ते से वहां पहुंचना चाहती थी, वो रास्ता आकर्षक तो था पर थोड़ा ऊपर जाकर फिर पुनः ढ़लान... Hindi · कविता 2 238 Share Saraswati Bajpai 4 Aug 2022 · 1 min read नियति से प्रतिकार लो जब कभी विचलित हो मन नैराश्यता भरने लगे, अशांत होकर मन ये फिर उत्साह जब तजने लगे, पूर्व के पुरुषार्थ से साहस स्वयं का आंकना । मन को थोड़ा शांत... Hindi · कविता 1 220 Share Saraswati Bajpai 2 Aug 2022 · 1 min read विसर्जन जो हाथ तत्पर थे सर्जन को अब तक आज वो विसर्जन के पथ पर खड़े है। थका है ये तन मन संवारते संवारते है छलनी हुए हाथ सब पथ बुहारते... Hindi · कविता 2 2 369 Share Saraswati Bajpai 28 Jul 2022 · 1 min read प्रतीक्षा के द्वार पर प्रतीक्षा के द्वार पर अपलक नयन से सजग हो खडे रहकर कितने रात दिन टांके हैं । कितनी अभीप्साओं को समझा शान्त किया । कभी थके कभी हारे धर धीर... Hindi · कविता 3 2 301 Share Saraswati Bajpai 26 Jul 2022 · 1 min read तुम स्वर बन आये हो प्राणों की बंजर बस्ती में स्वर बनकर संग आए हो । क्षुधा शान्त करने को मन की स्नेह बीज संग लाए हो । अपलक छवि निरख कर तेरी पूर्ण हुई... Hindi · कविता 4 4 296 Share Saraswati Bajpai 25 Jul 2022 · 1 min read हे शिव ! सृष्टि भरो शिवता से हे शिव! सृष्टि भरो शिवता से दृष्टि, वृत्ति सब शिवमय कर दो । हरो अपावन त्रिविध ताप सब पुण्य तपों की वृष्टि कर दो । प्रकृति करो सब उर्जित सत्... Hindi · कविता 3 351 Share Saraswati Bajpai 21 Jul 2022 · 1 min read तुम्हारे माता-पिता तुम्हारी नादानियों में,असावधानियों में, तुम्हारी छोटी-छोटी शरारतों में तुम्हारे दोस्त अवश्य साथ दे सकते है तुम्हारे भाई-बहन भी साथ आ सकते है किन्तु तुम्हारे माता-पिता,अभिभावक तुम्हारे साथ नहीं आ पाते।... Hindi · कविता 1 421 Share Saraswati Bajpai 16 Jul 2022 · 1 min read प्रभु आशीष को मान दे माना बहुत से घात हैं हमने सहे और जाने कितने बिछड़े राह में, किन्तु जो बीता उसी की स्मृति में संग में जो हैं उन्हें भी क्यों भुलाएं ? खो... Hindi · कविता 1 439 Share Saraswati Bajpai 5 Jul 2022 · 1 min read पूर्ण विराम से प्रश्नचिन्ह तक कभी रिश्तों में मैं पूर्ण विराम सी थी मुझे पाकर अपूर्णता खो गई थी । किन्तु आज उन्ही रिश्तों में मैं पूर्ण विराम से प्रश्नचिन्ह बन गई । जाने कितने... Hindi · कविता 245 Share Saraswati Bajpai 2 Jul 2022 · 1 min read गिरवी वर्तमान वो बहुत ही कठिन दौर था भविष्य नीलामी की कगार पर था। किंकर्तव्य थी मैं कैसे बचाऊँ इसे ? तो वर्तमान को गिरवी रख दिया । सोंचा कुछ दिन ये... Hindi · कविता 2 2 233 Share Saraswati Bajpai 26 Jun 2022 · 1 min read मां क्यों निष्ठुर? सच है ये मां बेटियों के साथ निष्ठुर सी दिखती है । क्योंकि वो अपनी बेटियों को मजबूत आधार देना चाहती है । वो नहीं चाहती कि जब समाज उन्हें... Hindi · कविता 356 Share Page 1 Next