श्याम बाबू गुप्ता (विहल) Tag: दोहा 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid श्याम बाबू गुप्ता (विहल) 4 Apr 2025 · 1 min read *मेरी मां* गिनती नहीं आती मेरे मां को यारो, गिन गिन कर रोटियां खिलाती है मेरी मां, मोटा हूं फिर भी उसको लगता हूं मै दुबला, अपने हिस्से की रोटियां भी खिलाती... Hindi · कविता · ग़ज़ल · गीत · दोहा · मुक्तक 2 33 Share