बेटियाँ
बेटियाँ ठुमकत अँगना,तुतले- तुतले बोल, छम-छम पैंजन की छमक,छिन कितने अनमोल।१। जग में तीरथ बेटियाँ,तारत दो परिवार, है पहिला तो मायरा,दूजा है ससुरार।२। मनोयोग से बेटियाँ,सम्हाले घर-बार, रँग-बिरँगी राँगोलियाँ,साजत अँगना-द्वार।३...
"बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017