अखिलेश 'अखिल' Tag: कविता 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अखिलेश 'अखिल' 31 May 2021 · 1 min read झूठ और सच लगे हैं दस बीस आदमी चमचागिरी में, और सच खड़ा है बिल्कुल आखिरी में, झूठ दहाड़ता है शेर की तरह, सच दुबक गया है नौकरी में, दो चार हैं जो... Hindi · कविता 243 Share अखिलेश 'अखिल' 11 May 2021 · 1 min read योग्यतम की हत्या मैं नापता हूँ उन तस्वीरों को, जो नापती हैं मुझे उस ऊंचाई से, जिसे मैंने प्रदत्त की है, तमाम जोड़-तोड़ से, लाग-लपेट से, चरण चुम्बन से, घुसे हैं ऐसे लोग... Hindi · कविता 2 365 Share अखिलेश 'अखिल' 15 Jun 2020 · 1 min read मौत का यथार्थ हम जिंदा हैं, मग़र हिस्सों में, धर्म,जाति, सम्प्रदाय में करते हैं हम फ़क्र, मनुष्य स्वतंत्र मानता है इन्हीं बटी हुई रेखाओं में, बदबू सिर्फ जुबान या तन की नहीं भाषा... Hindi · कविता 3 3 453 Share अखिलेश 'अखिल' 13 Jun 2020 · 1 min read सच और झूठ, झूठ फैलता है तो सच दरकिनार हुआ, बोलिये पर झूठ कितना गुलज़ार हुआ, उम्र कितनी होती है इस फरेबानी की, सच उभरा सच में तो झूठ परेशान हुआ, कितने धरती... Hindi · कविता 4 3 436 Share अखिलेश 'अखिल' 13 Jun 2020 · 1 min read कविता की ताकत, लिखने का अंदाज़ बदल क्यों जाता है, कवि तो कवि है उसे और क्या भाता है, जल रही धरती है तो आग बुझाएं कैसे, क़लम के जोर से क्या नहीं... Hindi · कविता 4 8 505 Share अखिलेश 'अखिल' 8 Jun 2020 · 1 min read वफ़ादारी, मोहब्बत मिली जो दाग़दार रही, निशानी उसकी और यादगार रही, दोस्ती ऐसी की अदावत न हुई, दुश्मनी हुई भी तो वफ़ादार रही, Hindi · कविता 5 2 373 Share अखिलेश 'अखिल' 7 Jun 2020 · 1 min read प्रगतिशील कविता आइए अब चर्चा करें कुछ दलित के घाव पर, जकड़ी हुई हैं बेड़ियां आज भी उस पावँ पर, मेज़ पर अंगूर है व्हिस्की रखी गिलास में, चर्चा के लिए आ... Hindi · कविता 2 2 252 Share अखिलेश 'अखिल' 7 Jun 2020 · 1 min read मेरी कविता, लिख न सका जो कह न सका, कविता जिसका मैं हो न सका, शब्दों अर्थों तक पहुंच कठिन, और भाव भी अंतिम हो न सका, दुख दर्द की क्या परिभाषा... Hindi · कविता 1 2 385 Share अखिलेश 'अखिल' 6 Jun 2020 · 1 min read "'मैं लोकतंत्र से बोल रहा हूँ'" मैं लोकतंत्र से बोल रहा हूँ,सबकी आंखें खोल रहा हूँ, बाहर कितनी लूट मची है,खुली आंख से देख रहा हूँ, व्यापारी हों,अधिकारी हों,निज़ी और सरकारी हों, चाहे सत्ता के व्यभिचारी... Hindi · कविता 1 5 229 Share अखिलेश 'अखिल' 5 Jun 2020 · 1 min read शहीद की आत्मा शहीद हुआ तो बदनाम किया, ये वतन बदन तेरे नाम किया, खून इस बात से खौला नहीं, जमीं के नाम से कुर्बान किया, मज़म्मत जो भी कोई गम नहीं, कफ़न... Hindi · कविता 1 4 426 Share अखिलेश 'अखिल' 5 Jun 2020 · 1 min read प्यार बांटें स्याह के पत्थर को हटा क्यों नहीं देते, प्यार मोहब्बत का बढ़ा क्यों नहीं देते, दरिया की बेचैनी से घायल हुआ साहिल, आग जमाने भर की बुझा क्यों नहीं देते, Hindi · कविता 2 4 247 Share