Vijay Sahani 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Vijay Sahani 16 Sep 2017 · 1 min read *अपना ही आशीयाना* विधा--- गजल अपना ही आशीयाना यू ना जलाइये . क्यू बदला है मिजाज कुछ तो बताइये ॥ कल तक तो कुछ न था क्या आज हो गया दिल मे लगी... Hindi · कविता 276 Share Vijay Sahani 8 Sep 2017 · 1 min read *स्वार्थी मानव* स्वार्थ मे जन्न्मा स्वार्थी मे पनपा स्वार्थ से उसका नाता है। बिन स्वार्थ के कैसे जीये उसको यह नही भाताहै॥ छुदा के खाती स्वार्थ मे रोया , स्वार्थ मे वह... Hindi · कविता 1k Share Vijay Sahani 5 Sep 2017 · 1 min read मानव जीव कहा से आया कैसे आया, यह सोच नही पाता है। पूरी जीवन सोच-सोच के, आँसू वह गिराता है। जब आया वह इस दुनिया में, चिल्लाया तब कहाँ-कहाँ, परा जाल जब... Hindi · कविता 531 Share