Suryakant Dwivedi Tag: कविता 145 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Suryakant Dwivedi 24 Nov 2024 · 1 min read अर्चना की वेदियां अर्चना की वेदियां हैं और निमंत्रण हजारों जाऊं कहाँ न जाऊं प्रश्न हैं सब बिखरे पड़े।। रस्मी सभी तो हो गये मण्डप, दूल्हा, बाराती शगुन का लिफाफा है बस परंपरा... Hindi · कविता 7 Share Suryakant Dwivedi 18 Nov 2024 · 1 min read लैपटॉप उम्मीदों के लैपटॉप पर जब उंगलियां नाचती हैं सामने होती है तहरीर और आँखों में तस्वीर। कौन कहता है, हम नहीं नाचते छोटा सा शब्द हमको भी नचा देता है... Hindi · कविता 20 Share Suryakant Dwivedi 23 Sep 2024 · 1 min read बेटी का बाप हूँ न बेटी का बाप हूँ न क्या कहूँ तुझको बेटी क्या उपमा दूँ मैं बेटी तुझे बेटी कहूँ दुलारी कहूँ.. लाड़ली कहूँ जो कहूँ, शब्द निःशब्द हैं तू प्यार की वो... Hindi · कविता 41 Share Suryakant Dwivedi 5 Aug 2024 · 1 min read रातें सारी तकते बीतीं पहली ग़ज़ल दिल का दिल पर असर नहीं है जो भी कह लो, सबर नहीं है रातें सारी तकतें बीती फिर भी उनको खबर नहीं है गर ना होती दिल... Hindi · कविता · ग़ज़ल 68 Share Suryakant Dwivedi 31 Jul 2024 · 1 min read दीवारों के कान में दीवारों के कानों में ये, क्या किसने कह दिया दूर हो गये घर के अपने, बस मालिक रह गया खोज रहा है घर दोबारा, दफन हुए जो सपने आते जाते... Hindi · कविता 67 Share Suryakant Dwivedi 22 Jul 2024 · 1 min read मोहल्ला की चीनी मुहल्ले जब से कॉलोनी हुए हैं पता ही नहीं चलता पड़ोसी के घर क्या पका है। पहले कटोरी ले चीनी मांगते थे आये दिन चीनी खत्म हो जाती पड़ोस में... Hindi · कविता · हास्य-व्यंग्य 86 Share Suryakant Dwivedi 9 Jul 2024 · 1 min read बदरी बदरी..! तुम वही तो हो जो कल भी आई थीं मिटा दिया था तुमने खुद को प्रेम में.. उफ़न पड़ी थीं नदियाँ बह गये थे टापू/ शहर एक कपास से... Hindi · कविता 79 Share Suryakant Dwivedi 23 Jun 2024 · 1 min read अब न रूप न रंग अब न रूप रहा न रंग धन न दौलत रिश्ते न नाते प्यार न यार शोहरत न नाम कितना बदल गया हूँ न मैं... खूँटी पर टँगे कपड़े कब से... Hindi · कविता 68 Share Suryakant Dwivedi 18 Jun 2024 · 1 min read अगर ये न होते अगर आँखों में आँसू न होते जी शिकवा होता न न महबूब रोते रोने से यूँ भी प्रिये फ़र्क क्या पड़ता है बस थोड़ा शायरी में वजन बढ़ जाता है।।... Hindi · कविता 104 Share Suryakant Dwivedi 8 Jun 2024 · 1 min read यह जिंदगी मेरी है लेकिन.. यह जिंदगी मेरी है लेकिन..... रोता हूं तो वो संभाल लेती है हँसता हूं तो दुनिया संभाल लेती है इस हँसने और रोने के बीच एक जिंदगी है जिसे मैं... Hindi · कविता 2 88 Share Suryakant Dwivedi 4 Jun 2024 · 1 min read क्षणिकाएं क्षणिकाएं 1. अंतिम छोर से गेंदबाजी हो रही है आखिरी ओवर है.... बॉलर बैटिंंग कर रहे हैं।। 2. पवेलियन में कोई नहीं है.... दर्शक दीर्घा खाली है कमेंटेटर कमेंट्री कर... Hindi · कविता 1 92 Share Suryakant Dwivedi 1 Jun 2024 · 1 min read जंजालों की जिंदगी जंजालों की जिंदगी जंजालों की है जिंदगी जरूरतें बड़ी-बड़ी मैंने खुद सजाया इनको पल-पल घड़ी-घड़ी बच्चे मांगे एक रुपैया मैं थमाता दस बस इतनी सी बात रही सांझ ढले बेबस... Hindi · कविता 1 104 Share Suryakant Dwivedi 1 Jun 2024 · 1 min read शब्द रोज शब्द आत्महत्या करते हैं और रोज जिंदगी पाते हैं उम्मीद ही तो है जो तेरे-मेरे दरम्यान है... साँस है...! उम्मीद है चलेगी..? भोर होगी रात होगी तारे चमकेंगे ये... Hindi · कविता 1 80 Share Suryakant Dwivedi 1 Jun 2024 · 1 min read आलोचना के द्वार आलोचना के द्वार आलोचनाओं के द्वार पर हम सब खड़े कद सभी के बौने मगर हम बड़े-बड़े हर लहर की साँसें प्यासी हर उम्र हाँफती रही सोचते रहे हम सारे... Hindi · कविता 1 106 Share Suryakant Dwivedi 28 May 2024 · 1 min read वाह वाह....मिल गई कवि खुश, वाह वाह मिल गई... लेखक खुश, किताब छप गई... नेता खुश, मंत्री बन गया... बच्चा खुश- नौकरी मिल गई... मां-बाप खुश - एडमिशन हो गया.. ये मौसम, ये... Hindi · कविता 73 Share Suryakant Dwivedi 20 May 2024 · 1 min read लिखूंगा तो...? लिखूंगा तो कहोगे क्या लिख दिया नहीं लिखा तो कहोगे लिखते क्यों नहीं ..? अजीब कश्मकश है दिल कहता है, लिखो शब्द बेजुबाँ पड़े हैं।। शब्दकोश से निकल सब बाजार... Hindi · कविता 51 Share Suryakant Dwivedi 17 May 2024 · 1 min read कभी-कभी ऐसा लगता है गीत कभी-कभी ऐसा लगता है कभी-कभी वैसा लगता है संशय, भय, दुविधा के मारे बोलें क्या, कैसा लगता है।। दरवाजे पर भोर सुहासी चौखट चौखट ज्यों हों दासी पंछी का... Hindi · कविता · गीत 1 98 Share Suryakant Dwivedi 13 May 2024 · 3 min read मां के शब्द चित्र मां आओ मां का चित्र बनाते हैं एहसासों में रंग भरते हैं याद करो, वह दिन जब तुम कोख में थे कितनी पीड़ा में थी मां जैसे काट लिया हो... Hindi · कविता 108 Share Suryakant Dwivedi 12 May 2024 · 1 min read मां को नहीं देखा माँ बहुत सी कविताएँ लिखी बहुत सी कहानियां पढ़ी माँ को नहीं पढ़ा फूल देखे, सितारे देखे गागर देखे, सागर देखे मां को नहीं देखा होम किये, अनुष्ठान किये पूजा... Hindi · कविता 100 Share Suryakant Dwivedi 14 Apr 2024 · 1 min read तकते थे हम चांद सितारे तकते थे हम चांद सितारे सोते थे जब छत पर सप्त ऋषि का मंडल देखें तारों में ध्रुव अंबर इक डोर से बंधे थे रिश्ते खटिया पर सब बिस्तर पास... Hindi · कविता · गीत 80 Share Suryakant Dwivedi 7 Apr 2024 · 1 min read जीवन है आँखों की पूंजी जीवन है आँखों की पूंजी बस, जीवन है आँखों की पूँजी दृश्य, अदृश्य, परिदृश्य समूची बार-बार कहना है क्या लुप्त हुए लोक से क्या बार बार दर्शन करना है बार... Hindi · कविता 103 Share Suryakant Dwivedi 12 Mar 2024 · 1 min read वो खुश है वो खुश हैं वाह वाह मिली पूछो ज़रा उनसे कहाँ से निकली। पूरी उम्र वो इसी मुगालते में रहे आई जो हक़ीक़त आह आह निकली।। न जाने वो क्या क्या... Hindi · कविता 52 Share Suryakant Dwivedi 8 Mar 2024 · 1 min read महिला दिवस कुछ व्यंग्य-कुछ बिंब महिला दिवस कुछ व्यंग्य-कुछ बिंब शहर उफ ! मैं तो थक गई कहां-कहां सम्मान.. बिस्तर पर स्मृति चिह्न सपनों में महिला दिवस। इसका मैसेज, उसकी कॉल कहाँ जाऊं, सबकी कॉल... Hindi · कविता · हास्य-व्यंग्य 187 Share Suryakant Dwivedi 3 Mar 2024 · 1 min read दस्तक भूली राह दरवाजा कहने को घर है मकान है/ द्वार है दस्तक है... मैं हूं/तुम हो/सब हैं मिलने-जुलने वाले हैं लेकिन हुआ क्या...? दस्तक मौन है।। बाहर स्वागतम् लिखा है मुद्दत हुई कोई... Hindi · कविता 2 2 128 Share Suryakant Dwivedi 28 Feb 2024 · 1 min read एक घर था* एक घर था..! अब मकान है दीवारें दरक रही हैं नींव हिल रही है कहने को सभी हैं रहता कोई नहीं है चींटी भी नहीं चढती दीमक दीवार भूल गई।... Hindi · कविता 49 Share Suryakant Dwivedi 27 Feb 2024 · 1 min read तर्जनी आक्षेेप कर रही विभा पर तर्जनी तर्जनी आज आक्षेप कर रही विभा पर विभा...! क्यों कि हो गई है कजली अरे कजली पर तो मैंने सदा आक्षेप लगता देखा है परंतु विभा की यह कैसी... Hindi · कविता · हास्य-व्यंग्य 104 Share Suryakant Dwivedi 27 Feb 2024 · 1 min read युद्ध और शांति युद्ध और शांति धधकती ज्वालाओं के बीच कभी न कभी गंगाजल निकलेगा और तुम कहोगे युग परिवर्तन हो गया।। तब यही इतिहास तुमसे करेगा सवाल युग बदला....? कब बदला...?? किसने... Hindi · कविता 78 Share Suryakant Dwivedi 25 Feb 2024 · 1 min read #कहमुकरी #कहमुकरी कैसी बदली, कैसी बदली देखूं जब भी, बोले पगली रंग रूप का, यह है अर्पण क्या सखि साजन, ना सखि दर्पण रोज रात को, मुझे सतावे आ जा आ... Hindi · Quote Writer · कविता 171 Share Suryakant Dwivedi 23 Feb 2024 · 1 min read जीवन है बस आँखों की पूँजी जीवन है बस आँखों की पूँजी बार बार कहना क्या लुप्त हुए भले लोक से बार बार दिखना क्या जीवन है राग का मेला चलो चलो सुर सजनी श्रृंगारी पूनम... Hindi · कविता 1 118 Share Suryakant Dwivedi 23 Feb 2024 · 1 min read कोरोना और पानी कोरोना और पानी पानी का बुलबुला चमका और मर गया बच्चे ताली बजा रहे थे मर गया...मर गया जाने कितने बुलबुलों की, यूँ ही मौत हो गई पानी सोचता रहा,... Hindi · कविता 2 119 Share Suryakant Dwivedi 23 Feb 2024 · 1 min read इंसान को इंसान ही रहने दो इंसान को इंसान ही रहने दो उसको देवता न बनाओ बनाया देवता तो वह दूर चला जायेगा इंसान रहा तो कभी न कभी पास आ जायेगा वैसे भी तुमने उसे... Hindi · कविता 1 111 Share Suryakant Dwivedi 23 Feb 2024 · 1 min read पंख कटे पांखी पंख कटे पांखी लेकर हमने स्वप्न सजाये हैं इस शून्य आकाश में हमने भी घर बनाये हैं।। पंछी होते तो उड़ लेते या कर लेते हम आखेट हर डाल पर... Hindi · कविता 1 68 Share Suryakant Dwivedi 23 Feb 2024 · 1 min read बदरी..! बदरी..! तुम वही तो हो जो कल भी आई थीं मिटा दिया था तुमने खुद को प्रेम में.. उफ़न पड़ी थीं नदियाँ बह गये थे टापू/ शहर एक कपास से... Hindi · कविता 1 56 Share Suryakant Dwivedi 22 Feb 2024 · 1 min read अदाकारी अतुकांत कविता अदाकारी सीखकर अदाकार बन गए कलम के सिपाही फनकार बन गए लहराती ज़ुल्फों में अब उड़ती है ग़ज़ल गीतों के कमरों में रोशनदान हो गए मानते थे पहले... Hindi · कविता 1 86 Share Suryakant Dwivedi 22 Feb 2024 · 1 min read भावुक हुए बहुत दिन हो गये.. भावुक हुए बहुत दिन हो गये.. तन-मन बदले आँसू सूख गये। भाव से ही नीर का रिश्ता होता है.. हो जाये कुछ भी क्या होता है।। बदल रही दुनिया मानक... Hindi · कविता 1 53 Share Suryakant Dwivedi 22 Feb 2024 · 1 min read जीवन और महाभारत जीवन और महाभारत जन्म....शैशव...यौवन शिक्षा...जीवन...यापन विवाह...संस्कार...बच्चे बच्चे...कैरियर...बच्चे.. यही चक्र तो सबका है इसी चक्र पर चलना है थोड़ा लिखा, थोड़ा घूमे थोड़ा मिले, कुछ रूठे कुछ गले लगे, कुछ बिछुड़े... Hindi · कविता 1 79 Share Suryakant Dwivedi 22 Feb 2024 · 1 min read बुढापे की लाठी उंगली पकड़कर चलना बुढ़ापे की लाठी है संस्कारों के हाथों में ही समय की बैसाखी है।। कोलाहल के कंठ में ऋचाएं संचित हैं यह यज्ञ की वेदियां मंडित-खंडित हैं।। अक्षय... Hindi · कविता 1 104 Share Suryakant Dwivedi 18 Feb 2024 · 1 min read आतंक, आत्मा और बलिदान ऐ वतन !! मेरे वतन कुछ लिखना चाहता हूं कुछ कहना चाहता हूं अपनी आत्मा का सवाल अपने वतन का जलाल माना, तुम मेरी मौत पर बहुत रोए, फूल चढाए... Hindi · कविता 130 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read जीता जग सारा मैंने जीता जग सारा मैंने अपने घर से हार गया रोकर एक पिता यूं बोला चंदा से सूरज हार गया।। शब्द, शब्द से शब्द बड़े शब्द, शांत नि:शब्द खड़े नेह-प्यार के... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 211 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read रिटायमेंट (शब्द चित्र) रिटायमेंट (शब्द चित्र) ******** मन रमता नहीं तन टिकता नहीं दूर है मंजिल जग मिलता नहीं सामने उस वृक्ष को देखो कल तक हरा भरा था तने मजबूत थे सबको... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 154 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read युगांतर युगांतर ******* सदियों के आँगन में कुछ हमने भी रोपा होगा सूरज को क़ैद किया होगा या चंदा से बैर किया होगा। नीलांचल से जब बिजली कौंधी होगी बादल फ़टे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 167 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read खंडकाव्य यह जीवन है खंड काव्य खण्ड खण्ड अपने भाष्य क्या खोया है, पाया क्या अधर अधर पर कटु हास्य।। किरदारों के कथ्य रचे हैं अवतारों के सत्य पढ़े हैं किंतु... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 162 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read षड्यंत्रों की कमी नहीं है मन का केवल भेद चाहिए षड्यंत्रों की कमी नहीं है चौसर पर हैं हम सब यारों शकुनि पासा फेंक रहा है कह द्रोपदी लाज की मारी कलियुग आंखें सेंक रहा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 109 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read क्यों दोष देते हो क्यों.इन हवाओं को दोष देते हो...? उदधि के सीने पर तो तुम ही तूफान लाये थे ज्वार भाटे के संग भी तुमको रोमांच भाये थे अब कहते हो हमसे तुम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 113 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read कान्हा घनाक्षरी कान्हा घनाक्षरी नया हर दिन रहे, नई हर प्यास रहे भोर के क्षितिज का, अभिराम कीजिये मन में तरंग रहे, तन में उमंग रहे घेरे न उदासी फिर, राम राम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 106 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read क्षितिज के उस पार क्षितिज के उस पार क्षितिज के उस पार तिमिर घोर तिमिर है मैं नहीं जाना चाहता सुना, वहां जीवन नहीं सुना है, वहां तप नहीं सुना है, वहां संताप है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 169 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read भावुक हुए बहुत दिन हो गए भावुक हुए बहुत दिन हो गये.. तन-मन बदले आँसू सूख गये। भाव से ही नीर का रिश्ता होता है.. हो जाये कुछ भी क्या होता है।। बदल रही दुनिया मानक... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 188 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read श्याम-राधा घनाक्षरी *घनाक्षरी* आँगन में भोर भई, भोर भई भोर भई राधिका हैरान भई, भोर कब हो गई छम छम छम छम, बाजे जब घुंघरू तो कहने लगीं सखियां, जाने कहां खो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 193 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read कितने बदल गये क्यों दोष देते हो अपने को देखो कितने बदल गये.. आग ने पानी से आँख ने आँसू से दीये ने तूफ़ान से धूप ने बादल से रूप ने काजल से... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 104 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read मकर संक्रांति मकर संक्रांति .......... उत्तरायण हो गए तुम राशि बदल दी तुमने धनु से मकर में आ गए तुम सूर्य हो, अदम्य ओजस्वी।। असम्भव क्या तुम्हारे लिए न भी होते तो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 149 Share Page 1 Next