Manjusha Srivastava Tag: कविता 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Manjusha Srivastava 12 Jan 2018 · 1 min read तुम से हम हम से सफल आराधना प्रीत पावन मधुर कर स्पर्श से, नेह शीतल कर दिया तापित बदन | कुन्तलों को आ पवन दुलरा गया , रात रानी सा महकता मन अँगन | एक तारा प्रेम... Hindi · कविता 1 313 Share Manjusha Srivastava 12 Jan 2018 · 1 min read मैं हूँ माँ मन के भाव ……… माँ समाहित सकल ब्रम्हान्ड साँसों की गति ,लय ,ताल तू जीवन आधार | ममत्व की असंख्य लहरें , आलोड़ित हों मुझमें , भरती हैं प्राण |... Hindi · कविता 449 Share Manjusha Srivastava 4 Aug 2017 · 1 min read माँ माँ माँ ! शब्दों से परे , एहसास की भाषा है | माँ ! माथे की सिलवट , हर दर्द की दिलासा है | माँ ! स्नेह की अविरल नदी... Hindi · कविता 264 Share Manjusha Srivastava 4 Aug 2017 · 1 min read माँ माँ जीवन की अरुणाई माँ है , भीनी सी अमराई माँ है , त्याग तपस्या की मूरत सी भावों की गहरायी माँ है | ग्यान मयी गीता गंगा है ,... Hindi · कविता 467 Share Manjusha Srivastava 13 Jun 2017 · 1 min read अभिलाषा अभिलाषा बौरों से लदी हों अमरायी , कोयल की कुहुकती तान रहे| कुसुमों से भरी हो हर क्यारी , मन उपवन में मधुमास रहे| चहूँ ओर सुगंध बसे ऐसी, मन... Hindi · कविता 1 278 Share Manjusha Srivastava 13 Jun 2017 · 1 min read शिरीष शिरीष ********* आतप वात के आघातों से बन जाता है त्रासक वातावरण व्याप हो जाती है झुलसन , सूख जाते हैं वृक्ष ,खो जाती है हरियाली पशु - पक्षी ,जीव... Hindi · कविता 444 Share Manjusha Srivastava 13 Jun 2017 · 1 min read प्रकृति का अनुभव (1) प्रकृति का अनुभव ********************* राजगीर की पहाडियाँ कुछ ऊँची कुछ नीची छवि शाली तरू पुष्प पल्लव सेसमलंक्रत शुशोभित हो मेरे मानस को कर रहेहैं झंकृत वर्षा ऋतु की काली... Hindi · कविता 441 Share Manjusha Srivastava 13 Jun 2017 · 1 min read यादें ज़िंदगी के कैनवास पर उकेरो सुनहरे ,रुपहले पल ज़िंदगी के कोरे पन्ने पर लिखो स्नेह के मंत्र और आयतें ज़िंदगी के साज़ से ध्वनित कर लो अन्तर्मन ज़िंदगी संगीत है... Hindi · कविता 483 Share Manjusha Srivastava 13 Jun 2017 · 1 min read स्मृतियाँ पुलकित है प्यासा मन नाच उठा अंतर मन बरसे यह सावन घन उमड़ घुमड़ बरसे|| मेघों से याचक बन देखो प्रेमी चातक स्वाती की एक बूँद माँग रहा कबसे|| बरसे... Hindi · कविता 243 Share Manjusha Srivastava 13 Jun 2017 · 1 min read पावस की महिमा तपन भरे इस जग को आकर घेरा जब काले मेघों ने | पावस का स्वागत करने को उल्लास अनोखा फूट पड़ा | चमकी दामिनि की एक लहर एक ज्योति पुंज... Hindi · कविता 382 Share Manjusha Srivastava 12 Jun 2017 · 1 min read प्रकाश की ओर बौद्धिक तत्वों से उलझती रही आव्रत्त... समझ नही पायी , संसार के भ्र्मजाल को | जहाँ सत्य है , असत्य रहना भी स्वभाविक है | एक स्वर्ण सद्रश, एक मिट्टी... Hindi · कविता 332 Share