Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal Tag: ग़ज़ल 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal 28 Jul 2024 · 1 min read नफ़रतों का दौर कैसा चल गया नफ़रतों का दौर कैसा चल गया। आदमी इक आदमी से जल गया।। 2122, 2122, 212 आदमीयत भूल कर ये आदमी। आदमी को हर समय पे छल गया।। खा रहा है... Hindi · ग़ज़ल 64 Share Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal 24 Jul 2024 · 1 min read दुनिया बड़ी, बेदर्द है, यह लिख गई, कलम।। डूबे सभी मगन नशे देखो सुनो करम। दूजों में देखते कमी व्योहार सम विषम।।1 221, 2121, 1221, 212 कुछ लोग कह रहे अरे बेकार ही गये। कुछ भी न ठीक-ठाक... Hindi · ग़ज़ल 1 50 Share Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal 23 Jul 2024 · 2 min read आँखें (गजल) *कभी आँखों में घर करते, कभी आंखें बिछाते हैं।* *कभी आँखों जगह देकर, कभी खुद को छुपाते हैं।।1* (आँखों में घर करना : आँखों में बसना, आँखों में समाना आँखें... Hindi · ग़ज़ल 1 57 Share Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal 4 Apr 2020 · 1 min read अब भी टाइम बचा बहुत है मानवता को मानो भाई मजहब में तो खचा बहुत है। सारी दुनिया मे अब देखो कोरोना का गचा बहुत है।। घृणा-द्वेष वश था गुर्राता देखो दुश्मन नचा बहुत है। किया... Hindi · ग़ज़ल 1 383 Share