Dr. umesh chandra srivastava Tag: कविता 14 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr. umesh chandra srivastava 25 Jun 2020 · 1 min read मुक्तक अश्रुनाद मुक्तक सड़्ग्रह ..... क्रमशः अवचेतन में अकुलाती अनुकृति अनुभूति कराती युग- युग से चाह मिलन की बन मरीचिका भटकाती सुन्दर नव सुखद सवेरा जग से कर दूर बसेरा स्वच्छन्द... Hindi · कविता 5 6 577 Share Dr. umesh chandra srivastava 9 Nov 2018 · 1 min read अनुरागी माँ . ।। अनुरागी माँ ।। संसार- सरित में जब भटका , ममता नौका लेकर आई । जब भँवर बनी जीवन- धारा , माँ शक्ति- पुञ्ज बनकर आई ।। कन्टकमय पथ... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 27 433 Share Dr. umesh chandra srivastava 27 May 2018 · 1 min read .... पद .... ...... पद .... भगवन ! कैसे दर्शन पाऊँ ? तीरथ चारो धाम गया मैं , सागर गंग नहाऊँ । अर्पण तर्पण पूर्ण समर्पण , कण्ठी कण्ठ सजाऊँ । उपक्रम पूजन... Hindi · कविता 479 Share Dr. umesh chandra srivastava 26 May 2018 · 1 min read ... पद ..। . ..... पद .... भगवन ! क्यों नहिं दर्शन पाऊँ ? योग मन्त्र श्रुति ग्रन्थ न जानू , कैसे तुमको ध्याऊँ ? श्री ! पद उन्मुख सतत हृदय में ,... Hindi · कविता 609 Share Dr. umesh chandra srivastava 28 Jan 2017 · 1 min read गीत ... .... जीवन की दुखद अनुभूति .... ॥ अनुज-व्यथा ॥ कुछ कही अनकही बात कुछ भी नहीं किन्तु सुलझी नहीं बस उलझती रही मैं उपेक्षित रहा हास-परिहास बन , मूक रह... Hindi · कविता 634 Share Dr. umesh chandra srivastava 21 Jan 2017 · 1 min read ...... गीत .... .. .... गीत .... देखकर फिर सघन जलधर , विकल बरसे नयन झर- झर । वेदना के गीत की यह , मधुर धुन किसने सुनायी ? चाह की परिकल्पना में... Hindi · कविता 448 Share Dr. umesh chandra srivastava 20 Jan 2017 · 1 min read .... पद ... भगवन ! कैसे दर्शन पाऊँ ? ...... पद .... भगवन ! कैसे दर्शन पाऊँ ? तीरथ चारो धाम गया मैं , सागर गंग नहाऊँ । अर्पण तर्पण पूर्ण समर्पण , कण्ठी कर सरकाऊँ । उपक्रम पूजन... Hindi · कविता 309 Share Dr. umesh chandra srivastava 8 Aug 2016 · 1 min read पत्नी पीड़ित ऐ! भद्र जनों पत्नी पीड़ित ऐ ! भद्र जनों मेरी सलाह को अपनाओ यदि जीवन सुखद बनाना है यदि घर में स्वर्ग बसाना है यदि पत्नी-सुख को पाना है यदि निज सम्मान बचाना... Hindi · कविता 847 Share Dr. umesh chandra srivastava 6 Aug 2016 · 1 min read देख कर फिर सघन जलधर देखकर फिर सघन जलधर विकल बरसे नयन झर-झृर सूखते से पादपों ने मौन रहकर सब सहा है अधखिली कलियों प्रतिपल आस भर-भर कर कहा है खिल उठे फिर प्रेम-मधुबन अश्रु... Hindi · कविता 1 626 Share Dr. umesh chandra srivastava 5 Aug 2016 · 1 min read .... पद ...2 भगवन ! कैसे दर्शन पाऊँ ? तीरथ चारो धाम गया जा , सागर गंग नहाऊँ । अर्पण तर्पण पूर्ण समर्पण , कंठी कर सरकाऊँ । उपक्रम पूजन षटकर्मो सँग ,... Hindi · कविता 735 Share Dr. umesh chandra srivastava 30 Jul 2016 · 1 min read मधुर-मधुर मन्द-मन्द मधुर-मधुर मन्द-मन्द , मोहन मुस्काये मोर मुकुट तिलक भाल वैज्यंती कण्ठ माल नूपुर की ध्वनि रसाल, छम-छम थिर धायें चपल नयन चंचल मन श्याम केश श्यामल तन करधनि कटि पीत... Hindi · कविता 1 350 Share Dr. umesh chandra srivastava 29 Jul 2016 · 1 min read ......साहस अभाव..... साहस अभाव में सुजनों के , दुष्टों का साहस पलता है । हों असुर अधर्मी धरनी पर , उनका दुःशासन छलता है ।। आदर्श धर्म में बिंधकर हम क्यों दानवता... Hindi · कविता 1 456 Share Dr. umesh chandra srivastava 29 Jul 2016 · 1 min read ..... .. पद ...... भगवन!क्यों नहिं दर्शन पाऊँ । योग मंत्र श्रुति ग्रन्थ न जानू , कैसे तुमको ध्याऊँ ? मृदु-पद उन्मुख सतत् हृदय में , मूरति मञ्जु सजाऊँ । सजल नयन अवरुद्ध कण्ठ... Hindi · कविता 628 Share Dr. umesh chandra srivastava 28 Jul 2016 · 1 min read धरती पुलकित हो उठे आज धरती पुलकित हो उठे आज जगती का दुःख हरना होगा । इस कर्म-भूमि में असुरों से फिर धर्म-युद्ध करना होगा ।। कितने वीरों ने झूम-झूम फाँसी का फंदा चूम-चूम ।... Hindi · कविता 341 Share