आशीष त्रिवेदी 23 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid आशीष त्रिवेदी 13 Feb 2017 · 2 min read फ़ोकट का तमाशा आज फिर कामिनी बाहर गली में आकर चिल्ला रही थी 'कोई भी नही बचेगा, सब को सजा मिलेगी. कानून किसी को नही छोड़ेगा.' सभी अपने अपने घरों से झांक रहे... Hindi · लघु कथा 315 Share आशीष त्रिवेदी 20 Jan 2017 · 3 min read जीवन धारा जब मि . गुप्ता ने कैफे में प्रवेश किया तब मि . खान और मसंद का ठहाका उनके कानों में पड़ा। उन्हें देखकर मि .खान बोले " आओ भाई सुभाष... Hindi · कहानी 278 Share आशीष त्रिवेदी 7 Jan 2017 · 3 min read मान विभा के माथे पर सदैव सिंदूरी बिंदी सजी रहती थी. वह बड़े चाव से इसे लगाती थी. उसके लिए यह प्रतीक थी उसके सुखी वैवाहिक जीवन की. उसके प्रेम की... Hindi · कहानी 2 609 Share आशीष त्रिवेदी 27 Dec 2016 · 3 min read हवेली वृंदा जिस समय हवेली पहुँची वह दिन और रात के मिलन का काल था. उजाले और अंधेरे ने मिलकर हर एक वस्तु को धुंधलके की चादर से ढंक कर रहस्यमय... Hindi · कहानी 583 Share आशीष त्रिवेदी 26 Dec 2016 · 2 min read लकीर इन गलियों में रमन ने पहली बार कदम रखा था। मेकअप लगाये झरोखों से झांकते चहरे जो हाव भाव से उसे अपनी ओर खींचने का प्रयास कर रहे थे। संभावित... Hindi · कहानी 336 Share आशीष त्रिवेदी 26 Dec 2016 · 2 min read वेलकम होम कार तेज़ी से अपने गंतव्य की ओर बढ़ रही थी। कार की पिछली सीट पर रोहन उदास बैठा था। वह अपने दादा जी के घर जा रहा था। उन दादा... Hindi · कहानी 546 Share आशीष त्रिवेदी 22 Dec 2016 · 3 min read खुशियों का खजाना बात तकरीबन बीस वर्ष पुरानी है। यह मोहल्ला लोअर मिडिल क्लास लोगों का था। जिनकी आमदनी छोटी किन्तु ख्वाहिशें बड़ी थीं। मोहल्ले में एक चीज़ की चर्चा बड़े ज़ोरों पर... Hindi · कहानी 419 Share आशीष त्रिवेदी 18 Dec 2016 · 2 min read मलाल हर शाम सिन्हाजी इस समय नदी के किनारे आकर बैठ जाते थे. डूबते हुए सूरज को देखते हुए आत्म मंथन करते थे. अपने बीते हुए जीवन का विश्लेषण करते थे.... Hindi · लघु कथा 358 Share आशीष त्रिवेदी 9 Dec 2016 · 1 min read गूंगी गुड़िया रसोई में काम करते हुए गीता सुन रही थी. चंद महीनों पहले ही ब्याह कर आई हुई उसकी देवरानी वीना से भी वही सब कहा जा रहा था जो उससे... Hindi · लघु कथा 548 Share आशीष त्रिवेदी 8 Dec 2016 · 2 min read वादा अभी अभी अंजू को ऑपरेशन के लिए ले गए थे. स्थिति तनावपूर्ण थी. डिलीवरी की तारीख़ बीस दिन बाद की थी किंतु अचानक अंजू को तकलीफ़ होने लगी. डॉक्टर ने... Hindi · लघु कथा 494 Share आशीष त्रिवेदी 7 Dec 2016 · 1 min read हकीकत गाँव के चौपाल पर एक नाटक खेला जा रहा था. चारपाई पर पूरे ठसक के साथ बैठी ताई अपने पोतों का गुणगान कर रही थीं "मेरे चार पोते हैं. सब... Hindi · लघु कथा 304 Share आशीष त्रिवेदी 6 Dec 2016 · 6 min read कागज़ की कश्ती आज कुछ बच्चों को कागज़ की नाव चलाते देख कर मुझे मेरा बचपन याद आ गया. मेरा गांव का घर और उसका आंगन. आंगन में भागता मैं और मुझे पकड़ने... Hindi · कहानी 391 Share आशीष त्रिवेदी 4 Dec 2016 · 1 min read स्वयंसिद्धा एक ही शहर में उमादेवी का अपने बेटे के साथ ना रह कर अकेले रहना लोगों के गले नही उतर रहा था. लेकिन अपने निर्णय से वह पूरी तरह संतुष्ट... Hindi · लघु कथा 231 Share आशीष त्रिवेदी 4 Dec 2016 · 1 min read अहम प्रतिष्ठित साहित्यकार पुष्करनाथ साहित्य जगत का सर्वोच्च पुरस्कार गृहण करने जा रहे थे. यह पुरस्कार उनके उपन्यास 'स्वयंसिद्धा' के लिए दिया जा रहा था. नायिका ने धैर्य और साहस के... Hindi · लघु कथा 305 Share आशीष त्रिवेदी 4 Dec 2016 · 1 min read रिटायर्ड रिटायरर्ड भवानी बाबू अवकाशग्रहण के करीब तीन माह बाद अपने पुराने दफ्तर आए थे. सोंचा चलो उन लोगों से मिल लें जिनके साथ पहले काम किया था. कितनी धाक थी... Hindi · लघु कथा 2 259 Share आशीष त्रिवेदी 4 Dec 2016 · 3 min read कैसे कैसे रंग दरवाज़ा खोला तो सामने जो शख्स खड़ा था कुछ पहचाना सा लगा। याद करने का प्रयास कर ही रहा था की वही बोल पड़ा " क्या हुआ पहचाना नहीं मैं... Hindi · कहानी 485 Share आशीष त्रिवेदी 4 Dec 2016 · 4 min read सौर दिनेश को आज घर लौटने में देर हो गयी थी। जूते उतार कर वह पलंग पर लेट गया। वह बहुत थका हुआ था। आज का दिन अच्छा नहीं बीता था... Hindi · कहानी 313 Share आशीष त्रिवेदी 4 Dec 2016 · 1 min read ए.टी.एम. महेश जैसे ही घर में घुसा माँ ने सवाल दागा "मेरी चार धाम यात्रा का कोई इंतजाम हुआ कि नहीं." महेश ने थके हुए स्वर में कहा "अभी नहीं माँ.... Hindi · लघु कथा 448 Share आशीष त्रिवेदी 4 Dec 2016 · 2 min read बस नं. 13 बस के रुकते ही सभी जो रोज़ इस स्टॉप से चढ़ते थे चढ़ गए. किंतु वह आज भी नहीं आई. सोम सोंच में पड़ गया. आखिर क्या बात है. इधर... Hindi · लघु कथा 484 Share आशीष त्रिवेदी 4 Dec 2016 · 1 min read हरफनमौला विपिन की एक आदत उसके जानने वालों को अच्छी नहीं लगती थी. वह यह जतलाने की कोशिश करता था कि दुनिया का हर काम वह आसानी से कर सकता है.... Hindi · लघु कथा 268 Share आशीष त्रिवेदी 4 Dec 2016 · 1 min read खोया पाया सरिता स्टोर रूम की सफाई करवा रही थी. जो सामान काम का नहीं था उसे अलग रखवा रही थी. बहुत सा बेकार सामान बाहर निकाला जा चुका था. तभी मेड... Hindi · लघु कथा 269 Share आशीष त्रिवेदी 4 Dec 2016 · 2 min read बचत बबलू ने ददाजी के कमरे में चारों तरफ नज़र दौड़ाई. सब कुछ व्यवस्थित हो गया था. दादाजी के लिखने पढ़ने की मेज़ पर सब सामान करीने से लगा था. उनकी... Hindi · लघु कथा 379 Share आशीष त्रिवेदी 4 Dec 2016 · 1 min read कट्टी बट्टी शाम हो गई थी बंटू बाहर खेलने जाने की बजाया एक किताब पढ़ रहा था. उसकी मम्मी जब कमरे में आईं तो उन्होंने आश्चर्य से पूंछा "क्या बात है. बाहर... Hindi · लघु कथा 237 Share