Narendra Verma Tag: गीत 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Narendra Verma 16 Mar 2019 · 1 min read होलियाँ धरती पहने सतरंगी खेल रही है होलियां भिन्न भिन्न हैँ रूप यहां पर भिन्न भिन्न हैँ बोलियां कोई मुख पर रंग लपेटे बन्दर बना हुआ है कोई गोबर माटी में... Hindi · गीत 321 Share Narendra Verma 18 Nov 2018 · 1 min read ये जीवन है। रेल बन गया जीवन मेरा इसमें धक्कम पेल ऐसी दो पटरी पर दौड़े जिनका न हो मेल गुब्बारे सा फूला है मन हवा भरे सपनों की फोड़ न दे कोई... Hindi · गीत 1 274 Share