Shyam Sundar Subramanian Tag: कविता 522 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 Next Shyam Sundar Subramanian 6 Feb 2023 · 1 min read अज्ञात वर्तमान अनिश्चित वातावरण, असंभावित भविष्य चिंतन , पूर्वाग्रह एवं पूर्वानुमान व्यग्र मन , दिग्भ्रमित विचलित हृदय आंदोलन , यथार्थ परे कल्पना व्योम विचरण, नियति- चक्र प्रभावित संघर्षपूर्ण जीवन, संकट झेलता... Hindi · कविता 1 211 Share Shyam Sundar Subramanian 5 Feb 2023 · 1 min read मेरे हमसफ़र वो कुछ कहने से पहले ही जान लेते हैं , आंखों -आंखों में दिल में छुपे जज़्बात भी पहचान लेते हैं , फ़रेबे मुस्कुराहट के पीछे छिपे दर्द से भी... Hindi · कविता 226 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Jan 2023 · 1 min read अनशन उस दिन शहर के चौराहे पर लोगों की नारे लगाती अनशन पर बैठी भीड़ को देखा, उस भीड़ में शामिल एक शख्स से मैंने पूछा, अनशन का मुद्दा क्या है... Hindi · कविता · व्यंग्य 1 256 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Jan 2023 · 1 min read कुर्सी के दावेदार प्रधानमंत्री की कुर्सी के दावेदार बहुत हैं , एक तो पदयात्रा पर देश को जोड़ने निकले हैं, दूसरे तो गठबंधन की सरकार बनाने निकले हैं, लालसा कुर्सी की सभी को... Hindi · कविता · व्यंग्य 2 1 284 Share Shyam Sundar Subramanian 17 Jan 2023 · 1 min read कमबख़्त 'इश़्क कमबख़्त 'इश़्क भी अजीब है, दिल बार-बार चोट खाता है , फिर भी 'माश़ूका के क़रीब है , लाभ भुलाने की कोशिश भी हो, पर उसे कैसे भुला पाए, जो... Hindi · कविता 257 Share Shyam Sundar Subramanian 16 Jan 2023 · 1 min read कुछ बात करो, कुछ बात करो कुछ बात करो, कुछ बात करो बातों में कुछ अर्थ तो हो, मत बकवास करो, समझो बातों को, अर्थ का अनर्थ ना हो, रखो समय का ध्यान, कभी समय व्यर्थ... Hindi · कविता 199 Share Shyam Sundar Subramanian 12 Jan 2023 · 1 min read गर्दिश -ए- दौराँ ज़िंदगी की दौड़ में हम किधर निकल गए? जो साथ अपने थे, हमसे बिछड़ते चले गए, जो अपनी खुशियां हम पर लुटाते थे, जो हमारा गम साथ मिल बांटते थे,... Hindi · कविता 154 Share Shyam Sundar Subramanian 9 Jan 2023 · 1 min read आज का आम आदमी आज का आम आदमी लगता है, कुछ भटका- भटका सा , स्वअस्तित्व को भूलकर समूह नेतृत्व से प्रभावित, कुछ बहका- बहका सा , यथार्थ से अनिभिज्ञ कल्पना के वातावरण में... Hindi · कविता 225 Share Shyam Sundar Subramanian 1 Jan 2023 · 1 min read नववर्ष संदेश नववर्ष यह शुभ संदेश लाया है, सहअस्तित्व भाव जागृत हो, यह विचार साथ लाया है , प्रेम ,सौहार्द ,सद्भाव स्थापित हो, यह अनुभूति साथ लाया है , द्वेष ,क्लेश ,आतंक... Hindi · कविता 297 Share Shyam Sundar Subramanian 21 Dec 2022 · 1 min read मर्द को दर्द नहीं होता है कौन कहता है ? मर्द को दर्द नहीं होता है , मर्द र्में भी एक दिल होता है , जो पत्थर नहीं शीशे की तरह होता है , चोट लगते... Hindi · कविता 307 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Dec 2022 · 1 min read क़ुसूरवार ज़िंदगी का खालीपन कुछ रह - रह कर सालता है , सब कुछ हासिल करने पर भी कुछ खाली सा लगता है , ज़िंदगी की दौड़ में औरों से आगे... Hindi · कविता 160 Share Shyam Sundar Subramanian 9 Dec 2022 · 1 min read जीवनमंथन मी कोण आहे ? ते कुठून आले? कुठे जायचे आहे? सर्वात अज्ञानी काहीतरी मिळवण्यात आनंदी असेल, काहीतरी गमावल्याबद्दल दुःखी असेल, त्याच्या अहंकारात गुरफटलेला भ्रम तुटल्यावर निराश होतो, आसक्ती आणि अलिप्तपणाच्या... Marathi · कविता 158 Share Shyam Sundar Subramanian 4 Dec 2022 · 1 min read अधूरे सवाल ज़िंदगी में कुछ सवाल अधूरे रह जाते हैं , जिनका मतलब हम ज़िंदगी भर खोज ना पाते हैं , कुछ रिश्ते ,कुछ मरासिम, इस कदर पेश आते हैं, जिनको सोच... Hindi · कविता 1 2 206 Share Shyam Sundar Subramanian 3 Dec 2022 · 1 min read मेरे माता-पिता मेरे माता-पिता मेरे चरित्र निर्माण के आधार, उनके पोषित मेरे अंतर्निहित जीवन मूल्य एवं संस्कार , मुझमें धैर्य सहित सतत् संकटों से जूझते रहने के विचार, त्याग स्वार्थ रखने सबसे... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता 1 186 Share Shyam Sundar Subramanian 3 Dec 2022 · 1 min read एहसास-ए-शु'ऊर दिल मे पाले हुए वहम को करो अलविदा , ज़ेहन मे छाए हुए नफ़रत के बादलों को करो अलविदा , अपनी मनमर्जी और खुदगर्जी को करो अलविदा, अपने चारों ओर... Hindi · कविता 1 2 197 Share Shyam Sundar Subramanian 1 Dec 2022 · 1 min read अंदर का चोर घर के पिछले दरवाजे से चुपके से घुसने वाला वो कोई चोर नहीं है , वह घर वाला है जिसके दिल में बैठा चोर वही है , यह दिल में... Hindi · कविता 2 4 280 Share Shyam Sundar Subramanian 30 Nov 2022 · 1 min read वसंत बहार रविआगम रश्मियों के स्पर्श से किसलय ने मुस्कुराकर अभिवादन किया , पुष्प भी प्रफुल्लित होकर खिल उठे , पवन ने भी उन्हे झुलाकर स्वागत किया , कोयल के मधुर स्वर... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता 2 2 206 Share Shyam Sundar Subramanian 28 Nov 2022 · 1 min read हम-सफ़र वादा करके वो भूल भी जाएं तो क्या, चाहा जिन्हें हम भूल ना सके तो क्या , ज़ीस्त की राह में ,वो हम-सफ़र बने थे, उनके इंतज़ार में हम मोड... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता 1 161 Share Shyam Sundar Subramanian 24 Nov 2022 · 1 min read भ्रम हर कोई अपने आप के एक भ्रम मे जी रहा है , कभी संबंधों के, तो कभी अनुबंधों के , कभी अपेक्षा के, तो कभी प्रतीक्षा के , कभी भाग्य... Hindi · कविता 1 171 Share Shyam Sundar Subramanian 19 Nov 2022 · 1 min read जीवनमंथन मैं कौन हूं ? कहां से आया था? कहां जाना है? इन सबसे अनिभिज्ञ कुछ पाकर खुश होता, कुछ खोकर दुःखी होता, अपने अहं में डूबा हुआ भ्रम टूटने पर... Hindi · कविता 158 Share Shyam Sundar Subramanian 13 Nov 2022 · 1 min read गरिमामय प्रतिफल अभिभूत भावनाओं के चरमोत्कर्ष पर जिसका उदय होता है, अंतस्थ से यह उभरता है, और व्यवहार में दृष्टिगोचर होता है , पवित्र वाणी एवं विचारों से यह सुशोभित होता है... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता 3 2 197 Share Shyam Sundar Subramanian 12 Nov 2022 · 1 min read जीवनामृत इस धरा में जीव की उत्पत्ति एवं विकास का सत्व , भौतिक जगत में प्राणि मात्र के अस्तित्व का मुख्य तत्व , निसर्ग की संरचना एवं पर्यावरण निर्माण का प्रमुख... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता 4 4 278 Share Shyam Sundar Subramanian 11 Nov 2022 · 1 min read जीने की कला जिंदगी में कुछ लोग, कुछ कर दिखाते हैं , कुछ भी ना होने पर भी सब कुछ है, ये जताते हैं, औरों के सुख में ही नही, दुःख में भी... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता 1 263 Share Shyam Sundar Subramanian 11 Nov 2022 · 1 min read आज का मानव अर्थ को अनर्थ से नष्ट करता हुआ, तर्क को कुतर्क से भ्रष्ट करता हुआ, सत्य को असत्य सिद्ध करता हुआ , यथार्थ को कल्पना ज्ञापित करता हुआ , पाप को... Hindi · कविता 1 4 328 Share Shyam Sundar Subramanian 9 Nov 2022 · 1 min read जीवन अस्तित्व नियति का चक्र उदय से अस्त तक , प्रादुर्भाव से अवसान तक, उत्पत्ति से परिवर्तन के आयामों से घटित होता हुआ विनाश की अधोगति तक , जीवों के उद्भव एवं... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता 4 230 Share Shyam Sundar Subramanian 8 Nov 2022 · 1 min read तलाश इस अनजान शहर में किसी अपने की तलाश में आया हूं , इस रहगुज़र की मंज़िल में किसी हमदर्द के मिलने की आस लिए आया हूं , अब तक भटकता... Hindi · कविता 2 251 Share Shyam Sundar Subramanian 7 Nov 2022 · 1 min read भीड़ न जाने क्यों मुझे भीड़ से मुझे दहशत होती है , लोगों के हुजूम मे खुद को शामिल करने से नफ़रत होती है , क्यूँकि भीड़ की सोच, मेरी अपनी... Hindi · कविता 1 305 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Oct 2022 · 1 min read जीवन एक यथार्थ जीवन एक संघर्ष है, यह सर्वविदित तथ्य है , यह असंभावित घटनाओं से परिपूर्ण सत्य है, यह एक दिवास्वप्न की सुखद अनुभूति है , यह आकांक्षाओं एवं अभिलाषाओं की परिणति... Hindi · कविता 4 2 375 Share Shyam Sundar Subramanian 24 Oct 2022 · 1 min read नव दीपोत्सव कामना पावन पर्व का दीपक मानस पटल के तम को दूर करे , अंतस्थ नकारात्मता नष्ट कर सकारात्मकता विकसित करे , द्वेष ,दुर्भावना , दुराग्रह को समाप्त कर परस्पर प्रेम, सौहार्द... Hindi · कविता 2 2 315 Share Shyam Sundar Subramanian 21 Oct 2022 · 1 min read सिलसिला बंद दरवाज़ों के पीछे की सिसकियां कुछ सवाल छोड़ जातीं हैं, मज़लूमों पर ज़ुल्म़तों की कुछ अनकही अनसुलझी दास्तां पेश कर जातीं है, तवारीख़ के सियाह पन्नों पर कुछ अनमिटे... Hindi · कविता 1 188 Share Shyam Sundar Subramanian 20 Oct 2022 · 1 min read हक़ीक़त आदमी कितना लाचार है , सब कुछ हासिल करने पर भी, कुदरत के हाथो बेज़ार है, दौलत लुटाकर भी ज़िदगी के दो पल खरीद नही सकता , भरसक कोशिश करने... Hindi · कविता 2 261 Share Shyam Sundar Subramanian 13 Oct 2022 · 1 min read कळस जो काहीसा दडपला आहे, आतल्या विस्कळीत भावनांच्या भोवऱ्यात बुडल्यासारखा उसासा, उगवणारा, आंतरिक संघर्षाच्या चक्रात अडकलेले, बाह्य सहजतेच्या वेषात चर्चेत असलेला विषय, प्रकट आणि अप्रकट संवाद दरम्यान त्रिशंकू बनणे, हळूहळू आत्म-साक्षात्काराने... Marathi · कविता 209 Share Shyam Sundar Subramanian 13 Oct 2022 · 1 min read परिणति वो जो है कुछ दबा दबा हुआ सा , कसमसाता, अंतस्थ उद्विग्न भावनाओं के भंवर में डूबता उभरता हुआ सा , आंतरिक द्वंद के चक्र में उलझा हुआ सा, बाह्य... Hindi · कविता 4 224 Share Shyam Sundar Subramanian 12 Oct 2022 · 1 min read पहलू-ब-पहलू कुछ लोग गिर- गिर कर संभलते है , कुछ लोग संभल- संभल कर भी गिर जाते हैं , कुछ दूसरों की सोच पर चलते हैं , कुछ अपनी सोच पर... Hindi · कविता 2 4 267 Share Shyam Sundar Subramanian 11 Oct 2022 · 1 min read एहसास-ए-हक़ीक़त इन साफ -शफ़्फ़ाफ़ कपड़ो के पीछे छुपे मैले दिल को तो देखो, मैले कपड़ों के पीछे पैवस्त इस दिल के हीरे को तो देखो, भटकते रहे ज़िंदगी भर झूठ के... Hindi · कविता 1 218 Share Shyam Sundar Subramanian 7 Oct 2022 · 1 min read बात कुछ कहते कहते, कुछ सुनते सुनते , उम्र बीत गई ,कुछ सहते सहते, बात कभी बन गई ,कभी बिगड़ गई, कभी बतंगड़ बन गई, कुछ कही, कभी अनकही, दूर तक... Hindi · कविता 5 4 339 Share Shyam Sundar Subramanian 29 Sep 2022 · 1 min read त'अम्मुल(पशोपेश) सरगर्मी -ए- फिज़ा में ज़ेहनी -कशमकश जारी है , हर शख़्स बेचैन है, एहसास -ए- जुनूँ तारी है, बाहम गुफ़्तगू में मसअलों पर मशवरे भारी हैं, अजीब हालात है ,... Hindi · कविता 1 224 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Sep 2022 · 1 min read मेरी दिव्य दीदी - एक श्रृद्धांजलि धैर्य , त्याग एवं शान्ति की प्रतिमूर्ति , मेरे जीवन का संबल मेरी प्रेरणा शक्ति , मेरी शिक्षक , मेरी संकटमोचक, मेरी पथप्रदर्शक , संस्कारों नैतिक मूल्यों से पोषित उसका... Hindi · कविता 2 366 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Sep 2022 · 1 min read राजू श्रीवास्तव - एक श्रृद्धांजली वो हंसमुख चेहरा, वो हंसी का पिटारा , खुशियाँ सबको लुटाता, सबका वो प्यारा, पल भर का उसका साथ, सारे गम भुलाता , जीवन के हर क्षण में, वो हंसी... Hindi · कविता 5 2 324 Share Shyam Sundar Subramanian 9 Sep 2022 · 1 min read राजनीति का सर्कस राजनीति का सर्कस कुछ समझ में नहीं आता है, कभी इस पार्टी से कभी उस पार्टी में जमूरा खिसक जाता है, कभी करोड़ों की बोली का है प्रलोभन , कभी... Hindi · कविता 3 4 264 Share Shyam Sundar Subramanian 7 Sep 2022 · 1 min read आव्हान उषा किरणों ने अलसाई हुई कलियों से कहा उठो खिलो, अपनी मुस्कान से नवदिवस का अभिनंदन करो , अतीत के तम के अवसान का संदेश प्रस्तुत करो , नवविचारों ,नवसंभावनाओं... Hindi · कविता 2 2 338 Share Shyam Sundar Subramanian 5 Sep 2022 · 1 min read ए'तिराफ़-ए-'अहद-ए-वफ़ा दर्दे दिल दे गया वो ही , मेरी वफ़ाओं का सिला दे गया वो ही, चाहा था जिसे हमने ज़िंदगी से बढ़कर , चला गया मुंह फेर वो ही अजनबी... Hindi · कविता 1 2 243 Share Shyam Sundar Subramanian 1 Sep 2022 · 1 min read कटुसत्य धर्म निरपेक्ष राष्ट्र का संकल्पित भाव परिकल्पना बनकर रह गया है , समाजवाद का नारा शनैः शनैः पूंजीवाद में बदल रहा है , जनप्रतिनिधियों का चुनाव जहां जाति एवं धर्म... Hindi · कविता 5 4 320 Share Shyam Sundar Subramanian 29 Aug 2022 · 1 min read आग़ाज़ आजकल यह क्या हो गया है ? आदमी क्या कठपुतली या जमूरा बन गया है ? जो अपने आकाओं के इशारों पर नाचता फिर रहा है , खुदगर्ज़ी में डूबा... Hindi · कविता 1 2 141 Share Shyam Sundar Subramanian 28 Aug 2022 · 1 min read आस्था ये दिल मांगता है जिससे दुआ , क्या उस तक पहुंचेगी मेरी सदा ? उसकी हस्ती है कहां ? मैं उसे ढूंढू ज़मीं में , या फिर आसमां में ,... Hindi · कविता 1 2 352 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Aug 2022 · 1 min read जज़्बा ग़र्दिश -ए-अय्याम में कोई भी सहारा न था , इस सफर में कोई भी हम-नफ़स, न हम-नवा था , चारों तरफ तीरगी थी, रोश़न श़ु'आ' का कोई निशां न था... Hindi · कविता 2 4 229 Share Shyam Sundar Subramanian 4 Aug 2022 · 1 min read मूकदर्शक आजकल मैं देखता हूं सभी कल्पना लोक में जी रहे हैं , वास्तविकता को नकार , तथ्यों को झुठला, झूठ की पैरवी कर रहे हैं , यथार्थ का कधन कड़वा... Hindi · कविता 5 6 371 Share Shyam Sundar Subramanian 31 Jul 2022 · 1 min read दुविधा उस दिन एक युवा से बातचीत करने का अवसर मिला , वर्तमान परिपेक्ष पर चर्चा करने पर उसने कहा , आजीविका कमाने का उद्देश्य उसके लिए सर्वोपरि है , अन्य... Hindi · कविता 2 4 269 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Jul 2022 · 1 min read व्यावहारिक सत्य कुछ समझ में नहीं आता क्या गलत है ? क्या सही ? सही को गलत सिद्ध किया जाता है , और गलत को सही , अब तो यही लगता है... Hindi · कविता 2 4 479 Share Shyam Sundar Subramanian 24 Jul 2022 · 1 min read आत्मज्ञान कुछ तो है अंदर छुपा हुआ , जो हम अब तक जान न पाए, खुद के अंदर झांककर ,अभी तक पहचान ना पाए, इधर उधर ढूंढते रहे , कहां छुपा... Hindi · कविता 3 4 463 Share Previous Page 6 Next