Shyam Sundar Subramanian 1535 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 5 Next Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read परिणति कुंठित भावना , निरर्थक कामना , शोषित मनुष्यत्व ,त्रस्त भंगुर अस्तित्व , छद्म लालसा, आभासी आशा, , कपटपूर्ण व्यवहार, विस्तृत अनाचार , सत्य कठोर , असत्य भावविभोर , मंतव्य कलुषित... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 113 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Mar 2024 · 1 min read आत्मज्ञान कुछ तो है अंदर छुपा हुआ , जो हम अब तक जान न पाए, खुद के अंदर झांककर ,अभी तक पहचान ना पाए, इधर उधर ढूंढते रहे , कहां छुपा... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 115 Share Shyam Sundar Subramanian 17 Mar 2024 · 1 min read वो अजनबी झोंका ये कौन सा हवा का झोंका था ? जो मुझे छू गया , सोते दिल में इक एहसास सा जगा गया , कुछ भूले-बिसरे लम़्हों की याद दिला गया ,... Hindi · एहसास · कविता 86 Share Shyam Sundar Subramanian 13 Mar 2024 · 2 min read लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही ? भारत का राजनीतिक भविष्य क्या है ? क्या लोकतंत्र की आड़ में तानाशाही की ओर अग्रसर है ? वर्तमान परिदृश्य में विवेचना प्रस्तुत है : भारत के राजनीतिक परिदृश्य के... Hindi · लेख 146 Share Shyam Sundar Subramanian 13 Mar 2024 · 2 min read Dictatorship in guise of Democracy ? What is present political future of India? Whether leading to dictatorship Governance in guise of democracy in light of present political scenario in the country ? Predicting the future of... English · Article 163 Share Shyam Sundar Subramanian 16 Feb 2024 · 1 min read आज का नेता तवारीख़ में दफ़्न मुर्दों को उखाड़ रहे हैं , अपनी -अपनी दलीले पेश कर अवाम को बरग़ला रहे हैं , हालाते हाज़िरा से भटका अवाम को गुम़राह कर रहे हैं... Hindi · कटाक्ष · कविता 150 Share Shyam Sundar Subramanian 12 Feb 2024 · 1 min read ज़िंदगी के सौदागर ज़िंदगी की बोली लगती है , क्या तुम ज़िंदगी खरीद पाओगे ? क्या उसकी कीमत तुम चुका पाओगे ? तड़पते जिस्मो जाँ से बग़ावत करती रूह को क्या तुम मना... Hindi · एहसास · कविता 185 Share Shyam Sundar Subramanian 9 Feb 2024 · 1 min read दीवानगी इस कदर किसी को कोई न चाहे के दुनिया भूल जाए , भटकते रहे अनजान राहों में खुद से भी परे हो जाए , जिनकी चाहत में हम दुनिया को... Hindi · कविता 142 Share Shyam Sundar Subramanian 9 Feb 2024 · 1 min read बदलाव हर अंधेरी रात के बाद रोशन सुबह का आग़ाज़ होता है, हर ग़म के बाद फिर खुशी का एहसास होता है, 'अमल -ए -इर्तिका में शाहकार मिटते बनते रहते है... Hindi · कविता · सलाह 283 Share Shyam Sundar Subramanian 8 Feb 2024 · 2 min read परिस्थितीजन्य विचार मानवी जीवन विविध चढ-उतारांनी भरलेले आहे, जीवनात सुख-दु:खाचे क्षण येतच राहतात. विविध परिस्थितींमध्ये, मानवी मेंदूला भावनांच्या प्रभावाखाली सक्रिय होण्यास भाग पाडले जाते. अशा परिस्थितीत, आवेशातून घेतलेले निर्णय कधीकधी चुकीचे ठरतात,... Marathi · लेख 1 154 Share Shyam Sundar Subramanian 8 Feb 2024 · 2 min read சூழ்நிலை சிந்தனை மனித வாழ்வு பல்வேறு ஏற்ற தாழ்வுகள் நிறைந்தது; வாழ்க்கையில் இன்ப துன்ப தருணங்கள் வந்து கொண்டே இருக்கும். பல்வேறு சூழ்நிலைகளில், மனித மூளை உணர்ச்சிகளின் செல்வாக்கின் கீழ் செயல்பட வேண்டிய கட்டாயத்தில் உள்ளது. இந்தச் சூழ்நிலைகளில், சில சமயங்களில் உணர்ச்சியால் எடுக்கப்படும்... Tamil · கட்டுரை 206 Share Shyam Sundar Subramanian 7 Feb 2024 · 2 min read स्थितिप्रज्ञ चिंतन मनुष्य का जीवन विभिन्न उतार- चढ़ाव से युक्त होता है जीवन में सुख-दुःख के पल आते जाते रहते हैं। विभिन्न परिस्थितियों में मनुष्य का मस्तिष्क भावनाओं से वशीभूत होकर क्रियाशील... Hindi · चिंतन · लेख 2 2 177 Share Shyam Sundar Subramanian 4 Feb 2024 · 1 min read श्वान संवाद एक गली के कुत्ते में दूसरे कुत्ते से कहा , हम तो भौंकते हैं खतरे से आगाह करने के लिए , गली में घुसने वाले चोरों को भगाने के लिए... Hindi · कविता · व्यँग 168 Share Shyam Sundar Subramanian 3 Feb 2024 · 1 min read आग़ाज़ कुछ समझ ना पाऊं ये क्या हो रहा है ? हर शख़्स सहमा - सहमा सा लग रहा है , खौफ़ के सन्नाटे हर सम्त पसरे हुए हैं , जाने... Hindi · कविता 149 Share Shyam Sundar Subramanian 2 Feb 2024 · 1 min read कवि की लेखनी कवि की लेखनी उसके ह्रदय का स्वर होती है, यह कभी परिस्थितिजन्य वेदना के शब्द कहती है , तो कभी प्रफुल्लित गीत पिरोती है , कभी यह प्रेमी की भावना... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 4 114 Share Shyam Sundar Subramanian 30 Jan 2024 · 2 min read The World at a Crossroad: Navigating the Shadows of Violence and Contemplated World War In the contemporary global landscape, the echoes of violence and the specter of a contemplated world war cast a daunting shadow over humanity. As nations grapple with geopolitical tensions, ideological... English · Article 157 Share Shyam Sundar Subramanian 30 Jan 2024 · 1 min read बीते लम़्हे बरसात की बूंदे जब गिरतीं हैं, ज़ेहन के पर्दे पर एक तस्वीर उभरकर , उनके साथ बीते लम़्हों की याद दिला जाती है , वो मसर्रत के पल, वो बातें... Hindi · कविता 148 Share Shyam Sundar Subramanian 28 Jan 2024 · 1 min read व्यक्तिगत अभिव्यक्ति बहुत कुछ सोच समझकर कहना चाहूं तो ज़ुबान पर ताले पड़ जाते हैं , अव्यक्त भावनाओं के स्वर अंतःकरण में डोलते रहते व्यक्त नहीं हो पाते हैं , लगता है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 131 Share Shyam Sundar Subramanian 28 Jan 2024 · 1 min read आव्हान आओ नवअभिलाषाओं और आशाओं के दीप जलाएं , समग्र व्याप्त क्लेष, संताप नष्ट कर निराशा दूर भगाएं , त्याग स्वार्थ , द्वेष नष्ट कर , परस्पर सद्भाव बढ़ाएं , सर्वधर्म... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 123 Share Shyam Sundar Subramanian 28 Jan 2024 · 1 min read मेरी हस्ती गर्दिश ने मुझे कुछ इस कदर मारा , मैं होकर रह गया बेबस बेचारा , लोगों की फ़ितरत ने मुझे इस कदर लूटा , ग़म ज़ब्त करते हुए मजबूर मैं... Hindi 132 Share Shyam Sundar Subramanian 27 Jan 2024 · 1 min read स्वाभिमान उस रात किसी ने मुझे झिंझोड़कर जगा दिया , उठकर देखा तो सामने एक साया था , मैंने पूछा कौन हो तुम ? उसने कहा मैं तुम्हारा स्वाभिमान हूँ ,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 2 128 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Jan 2024 · 1 min read मतिभ्रष्ट हे ईश्वर ! आज के मानव को ये क्या हो गया है ? वह तुम्हारे अस्तित्व को बांटकर देखने के लिए उद्यत हो गया है , उसे कौन बताऐ राम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 118 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Jan 2024 · 1 min read जागृति दुनिया देखने वाले क्या तुमने कभी खुद के अंदर झांक कर देखा है ? अपने अंदर धधकती दावानल सी क्रोध , द्वेष , क्लेश की अग्नि को कभी पहचाना है... Poetry Writing Challenge-2 253 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Jan 2024 · 1 min read अस्तित्व पत्थर पर गिरते ही शीशा चूर-चूर होता है , और शीशे पर पत्थर पड़ते ही शीशा चूर-चूर बिखरता है , हर बार शीशे को तोड़कर पत्थर अपनी ह़स्ती जताता है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 149 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Jan 2024 · 1 min read ईश्वर एक बार मुझसे यह प्रश्न किया गया कि क्या तुमने ईश्वर को देखा है ? मैंने कहा हाँ ! मैंने उन्हें मासूम बच्चों की मुस्कुराहटों में देखा है , तपती... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 2 172 Share Shyam Sundar Subramanian 26 Jan 2024 · 1 min read भाव गणित खुशी बाँटने से बढ़ती है , दुःख बाँटने से कम होता है , ज्ञान बाँटने से बढ़ता है , दान देने से धन बढ़ता है , अहंकार से निरंकुशता बढ़ती... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 133 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read किंकर्तव्यविमूढ़ एक दिन मैंने ज़िंदगी से पूछा तुम इतनी निष्ठुर क्यों हो ? ज़िंदगी बोली यह मेरा कसूर नहीं है , मैं तो हालातों के हाथों मजबूर हूँ , मैंने हालातो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 1 155 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read माँ माँँ वह छांव है जिसके तले हम पले बड़े है, वह सुखद अनुभूति है जिसे हम बचपन से अब तक संजोये रहे है, वह एक प्रेरणा स्त्रोत है जो हमारे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 142 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read पत्थर की अभिलाषा राह पर पड़े पत्थर ने सोचा इक दिन यह भी क्या जीवन है ? नित प्रतिदिन ठोकरें खाता फिरता हूं, दिशाहीन मैं इधर-उधर लुढ़कता टूटता बिखरता रहता हूं, हेय दृष्टि... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 136 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read अश्रु की भाषा अश्रु की अपनी भाषा होती है। कभी कष्ट के , तो कभी प्रसन्नता के , कभी आघात के , तो कभी पश्चाताप के , कभी मिलन के , तो कभी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 143 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read पुष्प की व्यथा पुष्प हूँ काँटो में रहना पड़ता है, टूट कर मिट्टी में मिल जाना पड़ता है, मेरी सुगंध और सौंदर्य कुछ पल के हैं, मुरझाने पर मेरा स्थान धरती तल के... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 131 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read काव्य भावना किसलय की मुस्कान बनी , मृगनयनी का श्रृंगार बनी , चंद्रप्रभा चंचल किरणों का वर्णन बनी, नभ आच्छादित नक्षत्र मंडल सौंदर्य भान बनी , रवि आगम प्रकाश पुंजों का आव्हान... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 124 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read कर्णधार उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक मैंने देखी थी , जिंदगी में कुछ कर गुजरने की उमंग उसमें मैंने देखी थी , परिस्थिति का मारा वो बेचारा, सम्बलविहीन ,कटु... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 141 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read प्रतिशोध क्रोध , वैमनस्य, प्रतिस्पर्धा की उत्पत्ति , विवेक भंजन नकारात्मक संहारक शक्ति , अंतस अनल उत्सर्जित दहन भावना , घृणा प्रेरित विनाशक प्रतिकार कामना , ह्रदय कंटक बनी कष्ट कारक... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 199 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read प्रेम प्रेम एक लगन है , इसमें रहते प्रेमी मगन हैं , यह हृदय से हृदय का स्पंदन है , यह बुझाए ना बुझे वह अगन है , यह एक सतत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 153 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read सत्याधार का अवसान सत्य क्यों इतना प्रतीत निष्ठुर है ? असत्य क्यों इतना प्रतीत मधुर है ? क्यों सत्य सबसे अलग इतना एकाकी पड़ गया है ? क्यों असत्य का साथ देने वालों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 225 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read नारी अस्मिता मन उपवन की नन्ही कली, जो घर आंगन में पली-बढ़ी, फूल से चेहरे पर खिली उसकी मुस्कान, माता पिता, बंधु बांधव, मित्रों की जान, सदा निस्वार्थ सेवा, सहायता को तत्पर,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 175 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read जीवनमंथन मैं कौन हूं ? कहां से आया था? कहां जाना है? इन सबसे अनिभिज्ञ कुछ पाकर खुश होता, कुछ खोकर दुःखी होता, अपने अहं में डूबा हुआ भ्रम टूटने पर... Poetry Writing Challenge-2 1 202 Share Shyam Sundar Subramanian 25 Jan 2024 · 1 min read पत्थर पत्थर के उपयोग भी बड़े अजीब होते हैं , कभी बच्चों के झगड़ों में सिरफुटौवल बनते हैं , कभी पुलिस के दमन से आक्रोशित जन समूह प्रतिकार का अस्त्र बनते... Poetry Writing Challenge-2 150 Share Shyam Sundar Subramanian 24 Jan 2024 · 1 min read नारी वेदना के स्वर कल मुंहअंधेरे सवेरे मुझे पड़ोस से नारी क्रंदन स्वर सुनाई दिया , यह किसी घरेलू हिंसा प्रताड़ित गृहणी की वेदना का स्वर था , या किसी पुत्र एवं पुत्रवधू द्वारा... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 162 Share Shyam Sundar Subramanian 24 Jan 2024 · 1 min read वर्तमान लोकतंत्र देश का वर्तमान लोकतंत्र , राजनीति की बिछाई शतरंज , लोकहित लुभावने वादों का प्रपंच , जाति , धर्म ,संप्रदाय ,आधारित षड्यंत्र , आम आदमी जिसका बना मोहरा , नेताओं... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 162 Share Shyam Sundar Subramanian 24 Jan 2024 · 1 min read समझ कुछ लोग कही बात समझ नहीं पाते हैं , कुछ समझ कर भी अनजान से बने रहते हैं , कुछ अपने आप को दूसरों से समझदार समझते हैं, कुछ अपनी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 121 Share Shyam Sundar Subramanian 23 Jan 2024 · 1 min read ज़िंदगी के मर्म सुख-दु:ख की धूप छांव है ये ज़िंदगी , कभी सूरज सी प्रचंड , कभी चंद्रमा सी शांत है , ये ज़िंदगी , कभी हर्ष का उत्कर्ष , कभी कल्पित धारणा... Hindi · कविता · सार-तत्व 131 Share Shyam Sundar Subramanian 18 Jan 2024 · 1 min read वक्त लगता है चलते-चलते वक्त कुछ पीछे छूट गया , कुछ ऐसे गुजरा की कुछ पता ही नहीं चला , हम कहां थे ? कहां से कहां आ गए ? हम... Hindi · एहसास · कविता 1 132 Share Shyam Sundar Subramanian 12 Jan 2024 · 1 min read डबूले वाली चाय डबूले वाली चाय का मज़ा तुम क्या जानो ? मिट्टी की सौंधी खुशबू के साथ भाप वाली कड़क चाय का मज़ा तुम क्या जानो ? कँपकपाती सर्दी में हर चुस्की... Hindi · कविता 181 Share Shyam Sundar Subramanian 11 Jan 2024 · 1 min read संकल्प जीवन के इस पायदान में मैने यह संकल्प लिया है, इस माया- मोह के बंधन से स्वयं को मुक्त किया है, अतीत की स्मृतियों को छोड़ वर्तमान अपना लिया है,... Hindi · कविता 205 Share Shyam Sundar Subramanian 10 Jan 2024 · 1 min read नश्वर संसार इस नश्वर संसार में ये अनुप्रीति कैसी ? जब कुछ शाश्वत नहीं तो ये अनुभूति कैसी? जब सब कुछ यहीं छोड़ जाना है तो ये बंधन कैसा ? जो बिछड़... Hindi · कविता 203 Share Shyam Sundar Subramanian 7 Jan 2024 · 1 min read शु'आ - ए- उम्मीद कहीं कुछ अटका सा कुछ भटका सा बेचैन दिल लिए फिरता हूं, कुछ कहे कुछ अनकहे दर्द लिए रहता हूं , कुछ कह ना पाऊं के अपनों की फ़ितरत ने... Hindi · कविता 2 139 Share Shyam Sundar Subramanian 4 Jan 2024 · 4 min read ईश्वर का अस्तित्व एवं आस्था ईश्वर अथवा अलौकिक शक्तियों का अस्तित्व है या नहीं यह आदिकाल से एक शोध का विषय है । ईश्वर अथवा अलौकिक शक्तियों पर आस्था रखने वालों का यह मानना है... Hindi · लेख 1 2 283 Share Shyam Sundar Subramanian 1 Jan 2024 · 1 min read प्रतीक्षा गत वर्ष जो बीत गया , कुछ खट्टी- मीठी ,कड़़वी यादें छोड़ गया , कुछ रिश्ते टूटे कुछ नए नातों को जोड़ गया , कुछ आशाएं धूमिल हुईंं , कुछ... Hindi · कविता 173 Share Previous Page 5 Next