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निपट अनाड़ी बालमा, समझ न पाया बात ।
sushil sarna
#शुभ_रात्रि-
*प्रणय*
सस्ता हुआ है बाजार, क़ीमत लगाना चाहिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रत्येक चैंपियन कभी ना कभी नौसिखिया होता है, स्वास्थ्य आपका
ललकार भारद्वाज
ज्ञान:- खुद की पहचान बस और कुछ नहीं
हरिओम 'कोमल'
ग़ज़ल _ खुशनुमा बन कर रहेगी ज़िंदगी।
Neelofar Khan
☺️दो-टूक☺️
*प्रणय*
तुम्हीं मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत हो।
Rj Anand Prajapati
यदि आपकी मोहब्बत आपको नजर अंदाज कर रही है तो समझ लेना उसके न
Rj Anand Prajapati
हमें फुरसत कब इतनी कि ------
gurudeenverma198
*पहाड़ से आए ज्योतिषियों ने बसाया रामपुर का 'मोहल्ला जोशियान
Ravi Prakash
🙅फ़ॉलोअर्स🙅
*प्रणय*
सवेरा न हुआ
Smita Kumari
साँस घुटती है
Smita Kumari
हर सफर आसान होने लगता है
Chitra Bisht
इस ज़मीं से आसमान देख रहा हूँ ,
Pradeep Rajput Charaag
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8usband
खुद को साधारण आदमी मानना भी एक ताकत है । ऐसा आदमी असाधारणता
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ज़ब्त को जितना आज़माया है ।
Dr fauzia Naseem shad
कोई तंकीद कर नहीं पाते ,
Dr fauzia Naseem shad
■आज की अपील■
*प्रणय*
जीवन जितना होता है
Dr fauzia Naseem shad
शोर से मौन को
Dr fauzia Naseem shad
मानवता-कल्याण-युत, मूल्यों का है मंत्र
Dr Archana Gupta
मेरी नज़र
कुमार अविनाश 'केसर'
बुलंदियों की हदों का भी मुख़्तसर सफर होगा।
Dr fauzia Naseem shad
आ
*प्रणय*
मेरे एहसास का तुम्हीं मरकज़,
Dr fauzia Naseem shad
बेसुध सी ख्वाहिशों का यह कैसा खुमार है ।
Dr fauzia Naseem shad
इंसान जिन्हें कहते हैं वह इंसान ही होते हैं,
Dr fauzia Naseem shad
याद करने पर याद करता है ,
Dr fauzia Naseem shad
जो गुज़रती नहीं कभी दिल से,
Dr fauzia Naseem shad
*बुढ़ापे के फायदे (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
नींद का कुछ ,कुसूर थोड़ी था।
Dr fauzia Naseem shad
रिश्ते वही अनमोल और दिल के
Dr fauzia Naseem shad
जब फैसला लिया तुमने
हिमांशु Kulshrestha
*सर हरिसिंह गौर की जयंती के उपलक्ष्य में*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
शब्दों की चाहत है हृदय में उनके,
श्याम सांवरा
शपथ संविधान की खाकर,माल चकाचक खाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
माना कि हम सही तुम सही,
श्याम सांवरा
धन कमा लोगे, चमन पा लोगे।
श्याम सांवरा
बदली बदली सी फिज़ा रुख है,
goutam shaw
सुकून की तलाश ने, प्रकृति की भाषा सिखा दी।
श्याम सांवरा
खो दोगे जब हमें,
श्याम सांवरा
सदियों से कही-सुनी जा रही बातों को यथावत परोसने और पसंद करने
*प्रणय*
*दर्पण में छवि देखकर, राधा जी हैरान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
किसे सुनाऊं मैं,
श्याम सांवरा
नखरे हज़ार तेरे, अपने सर उठाऊंगा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"