विनोद सिल्ला 574 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Next विनोद सिल्ला 30 Aug 2021 · 4 min read उत्पीड़न, पंचायत, समझौता व दबाव उत्पीड़न, पंचायत, समझौता व दबाव -विनोद सिल्ला मानव, मानव के रूप में पैदा होता है। जन्म उपरान्त उसे, मानव नहीं रहने दिया जाता। मानव की मानवता को, हर रोज नये-नये... Hindi · लेख 1 3 188 Share विनोद सिल्ला 29 Aug 2021 · 3 min read पत्रकारिता और हिन्दी साहित्य पत्रकारिता और हिन्दी साहित्य -विनोद सिल्ला भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में समाचार-पत्रों, पत्रकारों और पत्रकारिता सराहनीय योगदान रहा। उस समय पत्रकारिता वही लोग करते थे, जो साहित्यकार भी थे। देश... Hindi · लेख 2 1k Share विनोद सिल्ला 28 Aug 2021 · 3 min read साहित्य, साहित्यकार और ढकोसला साहित्य, साहित्यकार और ढकोसला -विनोद सिल्ला दुनिया में प्रत्येक राष्ट्र अपने साहित्य व साहित्यकारों का यथेष्ट सम्मान करता है। भारत में साहित्य और साहित्यकारों को जाति, धर्म व भाषा के... Hindi · लेख 1 794 Share विनोद सिल्ला 24 Aug 2021 · 1 min read सबका मालिक एक सबका मालिक एक कह रहा था एक शख्स एक है अल्लाह कह रहा था दूसरा भी सबका मालिक एक एक और भी था जो कह रहा था यही कुछ अन्य... Hindi · कविता 2 242 Share विनोद सिल्ला 24 Aug 2021 · 9 min read विनोद सिल्ला का साहित्यिक सफरनामा विनोद सिल्ला का साहित्यिक सफरनामा मेरा (विनोद सिल्ला का) जन्म हरियाणा राज्य के हिसार जिले के उपमंडल हांसी के ऐतिहासिक गांव भाटोल जाटान में, एक गरीब मेहनतकश परिवार में दादा... Hindi · लेख 1 412 Share विनोद सिल्ला 23 Aug 2021 · 1 min read त्योहार का बुखार (लघुकथा) त्योहार का बुखार राखी से कई दिन पहले ही, राखी का बुखार रमेश के सिर चढ़कर बोल रहा था। वाट्सएप, फेसबुक, इंसटाग्राम व अन्य सोशल साइट्स पर राखी के... Hindi · लघु कथा 2 2 228 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2021 · 1 min read समझ से परे समझ से परे मरने के बाद स्वर्ग से या फिर नर्क से कोई नहीं आया वापस लौट कर फिर स्वर्ग का मजा नर्क की सजा का वर्णन किसने किया ग्रंथों... Hindi · कविता 2 2 362 Share विनोद सिल्ला 23 Jul 2021 · 1 min read शासक क्यों बेचैन शासक क्यों बेचैन शासक क्यों बेचैन है, सभी शक्तियां पास। सिंहासन जब भी हिले, भाए न रंग रास।। शासक नाहीं रह सके, सत्ता से क्षण दूर। सत्ता सब देती भुला,... Hindi · दोहा 2 2 318 Share विनोद सिल्ला 21 Jul 2021 · 1 min read एक ही शहर में एक ही शहर में जम कर बरसा पानी बरसात की फुहार महल को भायी झुग्गी को रास न आयी महल में मालिक-मालकिन-बच्चे व नौकर खूब नहाए कागज की नाव चली... Hindi · कविता 1 1 296 Share विनोद सिल्ला 21 Jul 2021 · 1 min read सोने के बाद सोने के बाद रात तू भले ही काली हो चांदनी हो डरावनी हो लुभावनी हो छोटी हो लम्बी हो देती हो सुकून देती हो नयी ऊर्जा सोने के बाद -विनोद... Hindi · कविता 301 Share विनोद सिल्ला 21 Jul 2021 · 1 min read जात-पात जात-पात जात-पात के रोग से, ग्रस्त हुआ है देश। भेद-भाव ने है दला, कब से वर्ग विशेष।। जात-पात के जहर से, करके बंटा-धार। मरघट-पनघट अलग हैं, करते नहीं विचार। जात-पात... Hindi · दोहा 534 Share विनोद सिल्ला 20 Jul 2021 · 1 min read तथाकथित श्रेष्ठता तथाकथित श्रेष्ठता मुंडेर को था घमंड अपनी श्रेष्ठता पर देहली पर बड़ी इतराई बड़ी लफ्फाजी की बड़ी तानाकशी की अपनी उच्चता के मनगढ़ंत दिए प्रमाण ताउम्र उसी देहली पर चढ़कर... Hindi · कविता 1 203 Share विनोद सिल्ला 7 Jul 2021 · 1 min read मुहूर्त मुहूर्त हर पल है नया पल हर दिन है नया दिन हर सूर्योदय लाता है नवकिरणें देता है स्फूर्ति हर सूर्यास्त लेता है समेट वर्तमान को कर देता है इतिहास... Hindi · कविता 3 2 278 Share विनोद सिल्ला 4 Jul 2021 · 1 min read चौकीदार चौकीदार निसंदेह तुम चौकीदार हो देश की सीमाओं के नहीं देश के नहीं आमजन के नहीं मात्र कुछ ही परिवारों के चौकीदार हो -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 2 209 Share विनोद सिल्ला 4 Jul 2021 · 1 min read आत्मनिर्भर आत्मनिर्भर मुझसे बड़ा आत्मनिर्भर कौन होगा मैं नहीं रहा निर्भर धर्म पर धर्म स्थलों पर धर्म ग्रंथों पर मैं नहीं रहा निर्भर राजाओं पर उनके दरबारों पर तमाम सरकारों पर... Hindi · कविता 2 221 Share विनोद सिल्ला 4 Jul 2021 · 1 min read सबका मालिक एक सबका मालिक एक मुझे नहीं लगता कि सबका मालिक एक है सबका मालिक एक होता तो द्रौपदी के चीरहरण पर इज्जत बचाने वाला चीर बढ़ाने वाला आता इज्जत बचाने फूलन... Hindi · कविता 2 2 245 Share विनोद सिल्ला 4 Jul 2021 · 1 min read जंगल में चुनाव जंगल में चुनाव गिद्ध को है आभास अल्पसंख्यक होने का इस लिए ही बहला-फुसला लिए एक-एक तितर-बटेर, चिड़िया-पाख्ता व अन्य बहुसंख्यक निरीह पंछी कर दिए नियुक्त सजातीय बंधुओं को बहलाने-फुसलाने... Hindi · कविता 1 2 246 Share विनोद सिल्ला 4 Jul 2021 · 1 min read कितना अस्थिर कितना अस्थिर तुम्हारा धर्म कितना अस्थिर है जो डगमगा जाता है आस-पास के लोगों संग खाने-पीने से उठने-बैठने से उन्हें छूने भर से एक-दूसरे के यहाँ आने-जाने से मंगलवार को... Hindi · कविता 1 2 393 Share विनोद सिल्ला 11 Jun 2021 · 1 min read दोहे आज के दोहे जीना मरना सब रहा, केवल कुदरत हाथ। जीते जी संबंध हैं, जीते जी का साथ।। कितने करवा चौथ कर, आयु सुनिश्चित मान। घटे-बढ़े बिल्कुल नहीं, कुदरत का... Hindi · दोहा 1 359 Share विनोद सिल्ला 11 Jun 2021 · 1 min read निजीकरण निजीकरण विशाल अपने शहर के रेलवे स्टेशन की टिकट खिड़की पर टिकट लेने के लिए खड़ा हुआ। बुकिंग बाबू मोबाइल फोन के स्क्रीन पर ऊंगलियाँ मार रहा था। सोशल साइट... Hindi · लघु कथा 447 Share विनोद सिल्ला 6 Jun 2021 · 1 min read सुबह नहीं हुई सुबह नहीं हुई वादा था उस कमबख़्त का कि वो सुबह फोन अवश्य करेंगे एक अरसा हो गया पता नहीं उनकी नींद ही नहीं खुली या सुबह ही नहीं हुई... Hindi · कविता 228 Share विनोद सिल्ला 2 Jun 2021 · 1 min read आज के दोहे आज के दोहे पक्षी हमारे मीत हैं, रखिए इनका ख्याल। कुंडे पानी के रखो, दाना भी दो डाल।। पक्षी कृषक के मित्र हैं, कृषक संग सहचार। फसल विनाशक किट को,... Hindi · दोहा 1 2 233 Share विनोद सिल्ला 1 Jun 2021 · 1 min read सामान जल्दी लदवा दो सामान जल्दी लदवा दो शिक्षक सुंदर सिंह भवन निर्माण सामग्री लेने बाजार गए| गद्दी पर पसरा पड़ा सेठ, सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों को कोस रहा था| इतनी तनख्वाह लेते हैं,... Hindi · लघु कथा 1 473 Share विनोद सिल्ला 29 May 2021 · 1 min read विनोद सिल्ला के दोहे विनोद सिल्ला के दोहे शीतल छाया दे रहे, परउपकारी पेड़। हरे पेड़ को काट कर, कुदरत को ना छेड़।। पेड़ दे रहे औषधी, ले कर रहो निरोग। पेड़ लगाने चाहिए,... Hindi · दोहा 1 230 Share विनोद सिल्ला 28 May 2021 · 1 min read दाढ़ी में तिनका दाढ़ी में तिनका कोई बताएगा दाढ़ी में तिनका बढ़ता है दाढ़ी के साथ या फिर तिनका रहता है उतना ही बढ़ती जाती है दाढ़ी गुत्थी सुलझ ही नहीं रही और... Hindi · कविता 1 236 Share विनोद सिल्ला 28 May 2021 · 1 min read विनोद सिल्ला के दोहे विनोद सिल्ला के दोहे खेल जगत के अजब हैं, अजब सभी हैं काम। रहा अकेला उम्र-भर, मरे तो जुड़े गाम।। हाल-चाल पूछा नहीं, ना बोला दो बोल। अपनी-अपनी अकड़ में,... Hindi · दोहा 1 460 Share विनोद सिल्ला 10 May 2021 · 1 min read विनोद सिल्ला के दोहे विनोद सिल्ला के दोहे शमशान सब भरे पड़े, पंक्तिबद्ध हैं लाश| नेता व्यस्त चुनाव में, किससे करिए आस|| अपना बचाव आप कर, अपनी ही है जान| कोरोना घातक बड़ा, खतरे... Hindi · दोहा 1 4 257 Share विनोद सिल्ला 10 May 2021 · 1 min read विनोद सिल्ला के दोहे विनोद सिल्ला के दोहे ताजे खाओ फल सदा, रहोगे तुम निरोग| फास्ट फूड को छोड़ के, फल का लाओ भोग|| फल खाओ तुम रोज ही, फल हैं गुण की खान|... Hindi · दोहा 1 5 689 Share विनोद सिल्ला 13 Apr 2021 · 1 min read नहीं दिखाई देंगी नहीं दिखाई देंगी तुम्हें फटी जीन्स तो दिखाई देती है लेकिन तुम्हें नहीं दिखाई देंगी श्रमिकों की फटी धोतियाँ-लुंगियां महिलाओं की फटी साड़ियां नवयुवतियों की राजनीतिक व धार्मिक मुसतंडों द्वारा... Hindi · कविता 1 254 Share विनोद सिल्ला 13 Apr 2021 · 1 min read जी भर के हंसो जी भर के हंसो मुस्कराओ खिलखिलाओ बत्तीसी दिखाओ जी भर के हंसो कल क्या पता दांत रहें या ना रहें बाद में तो मुंह सांप के बिल सा लगेगा सलाह... Hindi · कविता 1 415 Share विनोद सिल्ला 13 Apr 2021 · 1 min read हम ही अछूत क्यों हम ही अछूत क्यों मेरे पुर्वजों ने खाया मांस अभाव में जो तुमने ठहरा दिए अछूत तुम करवाते रहे संपन्न वो अनुष्ठान जिनमें दी गई निरिह जानवरों की बलि लेते... Hindi · कविता 3 3 484 Share विनोद सिल्ला 13 Apr 2021 · 1 min read तब का गूगल तब का गूगल जब थे हम छोटे बच्चे तब दादा-दादी नाना-नानी अन्य प्रियजन या अन्य परिजन ही निभाते थे भूमिका गूगल की वो जानते थे जैसा वैसा ही देते थे... Hindi · कविता 1 249 Share विनोद सिल्ला 13 Apr 2021 · 1 min read घाटे का सौदा घाटे का सौदा तुम नहीं जानते प्यार और प्यार की भावना तुम नहीं हो सकते आशिक या माशूक हां हो सकते हो व्यापारी अव्वल दर्जे के क्योंकि तुम्हारा प्यार भी... Hindi · कविता 1 315 Share विनोद सिल्ला 13 Apr 2021 · 1 min read दे रही हैं गवाही दे रही हैं गवाही मेरा जिक्र होने पर नहीं छुपा पाते अपनी छटपटाहट अपनी तिलमिलाहट अपना भड़कना अपना गुस्सा ये सब दे रहे हैं गवाही कि तुम मुझे नहीं छोड़... Hindi · कविता 1 233 Share विनोद सिल्ला 13 Apr 2021 · 1 min read सब कुछ चला गया सब कुछ चला गया सुना जाता है अक्सर कहा जाता है आम तौर पर जाना है एक दिन सब छोड़-छाड़ कर लेकिन मैंने देखे कुछ लोग जिनका सब कुछ चला... Hindi · कविता 1 261 Share विनोद सिल्ला 6 Apr 2021 · 1 min read समेट लो खुद को समेट लो खुद को तुमने लगाया ऐड़ी-चोटी का जोर कड़ी की मशक्कत मुझे तोड़ने के लिए मुझे बिखेरने के लिए लेकिन मैं ना तो टूटा ना ही बिखरा सिर्फ हार... Hindi · कविता 1 237 Share विनोद सिल्ला 6 Apr 2021 · 1 min read हिसाब चुकता हिसाब चुकता तुमने तोड़ लिया हर नाता कर लिया हर हिसाब चुकता अपना ले लिया मेरा दे दिया लेकिन चुकता हो भी कहाँ पाया? तेरे दुख में दुखी हुआ तेरी... Hindi · कविता 1 594 Share विनोद सिल्ला 6 Apr 2021 · 1 min read सजा में सुकून सजा में सुकून बेकसूर होने के बावजूद कटघरे में था मैं गवाह थे सतपुरुष गवाह थे दरवेश गवाह थे एक से बढ़कर एक अपने-बेगाने सब थे विरुद्ध जुर्म कबूल करने... Hindi · कविता 1 286 Share विनोद सिल्ला 6 Apr 2021 · 1 min read हाफ पैंट हाफ पैंट हाफ पैंट थोड़ी सी फटी पेंट से करती है सवाल करती है दोषारोपण सांस्कृतिक प्रदूषण फैलाने का लगाती है लांछन बिना रुके बिना थके अनाप-शनाप करती है कुतर्क... Hindi · कविता 1 1 366 Share विनोद सिल्ला 6 Apr 2021 · 1 min read मजबूती मजबूती जरूरी है मजबूत होना समय की भी मांग है मजबूत होना लेकिन किसी को कमजोर करके मजबूत होना भी कोई मजबूती नहीं किसी को ठग के किसी को लूट... Hindi · कविता 2 4 319 Share विनोद सिल्ला 6 Apr 2021 · 1 min read विचार भी मरते हैं विचार भी मरते हैं सच है ये विचार भी मरते हैं सरकारें मार देती हैं उन विचारों को जिनसे महसूस होता है उसे खतरे में सिंहासन जिन्हें नहीं मार पाती... Hindi · कविता 2 2 485 Share विनोद सिल्ला 6 Apr 2021 · 1 min read विनोद सिल्ला के दोहे विनोद सिल्ला के दोहे सेहत सुविधा कम हुई, बढ़े बहुत से रोग| दाम दवाओं के बढ़े, तड़प रहे हैं लोग|| अस्पताल के द्वार पर, बड़ी लगी है भीड़| रोग परीक्षण... Hindi · दोहा 1 2 373 Share विनोद सिल्ला 19 Feb 2021 · 1 min read वो हाथ वो हाथ कस कर पकड़ा फिर भी इन हाथों से यूं फिसल गया वो हाथ जैसे इस हाथ का कभी कोई तालुकात नहीं रहा उस हाथ से अनजान हैं आज... Hindi · कविता 1 195 Share विनोद सिल्ला 18 Feb 2021 · 1 min read खत जो लिखे ही नहीं खत जो लिखे ही नहीं जो खत मैंने कभी लिखे ही नहीं महफूज हैं वो आज भी मेरे जेहन की अलमारी में लिपटे हुए हैं अहसासों की तहों में खा... Hindi · कविता 1 189 Share विनोद सिल्ला 27 Jan 2021 · 1 min read फुर्सत फुर्सत 25 जनवरी को विजय अपने मित्र राहुल के साथ उपायुक्त कार्यालय आवश्यक कार्यवश गया| संबंधित बाबू के पास जा कर अपना कार्य बतान लगा तो बाऊ ने कुछ भी... Hindi · लघु कथा 2 1 234 Share विनोद सिल्ला 16 Jan 2021 · 1 min read बोना अबकी बार बोना अबकी बार तुम किसान हो बोना अबकी बार अपने खेतों में ऐसे बीज फिर न डालना पड़े डेरा दिल्ली की सड़कों पर डालना उसमें वैचारिक खाद करना उसमें छिड़काव... Hindi · कविता 1 2 207 Share विनोद सिल्ला 16 Jan 2021 · 1 min read कठपुतली हैं अजर अमर कठपुतली हैं अजर अमर बीते जमाने में होता था खेल कठपुतली का भले ही हो गई लुप्त वह कला वो खेल-तमाशे वो तमाशगर वो तमाशबीन लेकिन कठपुतली हैं अजर-अमर पहले... Hindi · कविता 1 3 324 Share विनोद सिल्ला 16 Jan 2021 · 1 min read दोहे दर्पण दर्पण देखो गौर से, देखो बारम्बार| दिखलाए सच-सच सदा, नहीं करे इंकार|| दर्पण बोले सच सदा, नहीं तनिक भी झूठ| जैसे को तैसा कहे, भले लाख जा रूठ|| दर्पण... Hindi · दोहा 2 4 635 Share विनोद सिल्ला 16 Jan 2021 · 1 min read सेकुलर सेकुलर हां मैं सेकुलर हूँ समता का समर्थक हूँ मैं संविधान प्रस्त हूँ सेकुलर होना गुनाह नहीं गुनाह है सांप्रदायिक होना गुनाह है जातिवादी होना गुनाह है पितृसत्ता का समर्थक... Hindi · कविता 2 1 307 Share विनोद सिल्ला 24 Dec 2020 · 5 min read वो कौन हैं वो कौन हैं? वे दोनों भाई-बहन आज भी सहम जाते हैं| जब उनसे पूछा जाता है कि "वो कौन हैं?"| लगभग दस साल पहले की बात है, हर रोज की... Hindi · कहानी 2 2 254 Share Previous Page 4 Next