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मैंने इन आंखों से गरीबी को रोते देखा है ।
Phool gufran
कब हमको ये मालूम है,कब तुमको ये अंदाज़ा है ।
Phool gufran
दिल की दहलीज़ पर जब कदम पड़े तेरे ।
Phool gufran
मौहब्बत में किसी के गुलाब का इंतजार मत करना।
Phool gufran
हर राह मौहब्बत की आसान नहीं होती ।
Phool gufran
रुके ज़माना अगर यहां तो सच छुपना होगा।
Phool gufran
ग़ज़ल
Phool gufran
निगाहें मिलाके सितम ढाने वाले ।
Phool gufran
उनसे कहना अभी मौत से डरा नहीं हूं मैं
Phool gufran
हर पल ये जिंदगी भी कोई ख़ास नहीं होती।
Phool gufran
मुझे इस दुनिया ने सिखाया अदाबत करना।
Phool gufran
अपनी इस तक़दीर पर हरपल भरोसा न करो ।
Phool gufran
हाथ जिनकी तरफ बढ़ाते हैं
Phool gufran
इजाज़त है तुम्हें दिल मेरा अब तोड़ जाने की ।
Phool gufran
वो ख्वाबों में अब भी चमन ढूंढ़ते हैं।
Phool gufran
नीलामी हो गई अब इश्क़ के बाज़ार में मेरी ।
Phool gufran
मौत के बाज़ार में मारा गया मुझे।
Phool gufran
ये दुनिया घूम कर देखी
Phool gufran
फूलों सी मुस्कुराती हुई शान हो आपकी।
Phool gufran
कहीं फूलों की बारिश है कहीं पत्थर बरसते हैं
Phool gufran
जिनके होंठों पर हमेशा मुस्कान रहे।
Phool gufran
ज़ुल्फो उड़ी तो काली घटा कह दिया हमने।
Phool gufran
ज़िन्दगी में हमेशा खुशियों की सौगात रहे।
Phool gufran
मंज़िल का पता है न ज़माने की खबर है।
Phool gufran
ज़हन खामोश होकर भी नदारत करता रहता है।
Phool gufran
इश्क़ कर लूं में किसी से वो वफादार कहा।
Phool gufran
ऐ मोहब्बत तेरा कर्ज़दार हूं मैं।
Phool gufran
हुनर हर जिंदगी का आपने हमको सिखा दिया।
Phool gufran
हम थक हार कर बैठते नहीं ज़माने में।
Phool gufran
दोस्ती में हर ग़म को भूल जाते हैं।
Phool gufran
आज के दौर के मौसम का भरोसा क्या है।
Phool gufran
अमन तहज़ीब के परचम को हम ईमान कहते हैं।
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शायरी
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