Manisha Manjari Language: Hindi 268 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 Manisha Manjari 1 May 2022 · 1 min read जब वो कृष्णा मेरे मन की आवाज़ बन जाता है। जिंदगी ने नये पंख दिए, पर उड़ने को मन कतराता है। शिकारी के बिछे जाल से, दिल अब भी घबराता है। कहीं घात में बैठा, वो आज भी इतराता है।... Hindi · कविता 3 2 587 Share Manisha Manjari 26 Apr 2022 · 1 min read आज असंवेदनाओं का संसार देखा। असंवेदनाओं का नज़ारा बरकरार देखा, मानवता को, बेसहारा हर बार देखा। उन आँखों में बस तथ्य एवं तर्क की तलवार देखा, बेबसी की चीखों को कफ़न के पार देखा। उसने... Hindi · कविता 4 2 377 Share Manisha Manjari 25 Apr 2022 · 1 min read नदी सदृश जीवन ये वादा था, जीवन का, नदी सदृश बहूंगी मैं। सदैव गतिमान्, बिना थके साथ चलूँगी मैं। चंचलता और ठंडक की उदाहरण बनूँगी मैं। सीमाओं को तोड़ती हुई, अंततः सागर में... Hindi · कविता 5 2 370 Share Manisha Manjari 23 Apr 2022 · 1 min read मौन में गूंजते शब्द शब्दों की कमी तो हमेशा रही, उनके व्यक्तित्त्व में, पर भावनाओं की बारिश सदैव होती रही उस घर में। कठोर आवरण तो ज़रूर था, उस वातावरण में, परंतु करवाहट ना... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 11 12 630 Share Manisha Manjari 20 Apr 2022 · 1 min read सार्थक शब्दों के निरर्थक अर्थ सार्थक शब्दों के अर्थ निरर्थक हो जाते हैं, कर्म की प्रतिबद्धता के बिना, जब वो थिरक जाते हैं। रास्तों के बिना मंजिल अज़नबी बन के आते हैं, नये आगजों में... Hindi · कविता 4 5 472 Share Manisha Manjari 16 Apr 2022 · 1 min read पिता आँखों में कुछ स्वप्न सजाए, चल पड़ा वो नई राहों में, ख्वाहिश थी एक कली खिले और महके उसके आँगन में। हवाओं ने चुगली कर डाली, कह डाला ईश्वर के... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 15 14 619 Share Manisha Manjari 14 Apr 2022 · 1 min read समय के पंखों में कितनी विचित्रता समायी है। समय के पंखों में कितनी विचित्रता समायी है। अजनबी रास्तों पर चलकर समझा, इनमें कितनी कठिनाई है। तारों के निकलने से पहले, गोधूलि शाम की बारी आई है। और सुबहों... Hindi · कविता 2 1 536 Share Manisha Manjari 10 Apr 2022 · 1 min read राम के जन्म का उत्सव राम के जन्म का उत्सव मनायेंगे, जाने कब ये राम को हृदय में बसायेंगे। वो तो अपनो से छले गये थे, परंतु ये उनके नाम पे जग को छल जायेंगे।... Hindi · कविता 1 510 Share Manisha Manjari 5 Apr 2022 · 1 min read उन्हें आज वृद्धाश्रम छोड़ आये क्षणभंगुर् सी ये जिंदगी अपनी, नित्य नवीन चलचित्र दिखाये। कल सोये थे जिस आँचल में, उसे आज वृद्धाश्रम छोड़ आये। नये कोपलों के खिलने पे, एक वक्त जो थे मुस्कुराये।... Hindi · कविता 2 5 747 Share Manisha Manjari 4 Apr 2022 · 1 min read सम्मान की निर्वस्त्रता युग परिवर्तित हो चला, पर कुंठा अभी भी वही सताये। सत्य पराजित हो रहा, और असत्य सर्वत्र जीतता जाये। प्रकाशित हो रहा जग सारा, पर अंधेरे से कोई निकल ना... Hindi · कविता 3 2 448 Share Manisha Manjari 3 Apr 2022 · 1 min read जिंदगी जब भी भ्रम का जाल बिछाती है। जिंदगी जब भी भ्रम का जाल बिछाती है, इक चेहरे को अपने साथ ले आती है। अंधेरी रातों में तन्हाईयाँ सी छा जाती हैं, और जागती सुबहों में परछाईयोँ को... Hindi · कविता 2 2 623 Share Manisha Manjari 1 Apr 2022 · 1 min read यादों की साजिशें कतरा कतरा कर वो यादें डराती हैं। जब भी ये हवाऐं वेग में गाती हैं, वो हंसी झंकार सी गूँज जाती है। कभी कभी ये हवाऐं ठहर सी जाती हैं,... Hindi · कविता 1 2 689 Share Manisha Manjari 30 Mar 2022 · 1 min read संदर्भों की आर कल एक मुसाफ़िर गुजरा, मेरी राह से। तोल रहा था खुद को कृष्णा के, नाम से। उत्सुक हो पूछा मैंने, विश्वास से। कैसे हुआ ऊँचा तु सृष्टि के, नाथ से।... Hindi · कविता 1 455 Share Manisha Manjari 28 Mar 2022 · 1 min read वाक्यों के मध्य का मौन वाक्यों के मध्य का मौन सुना है, कभी उसमें एक चीख़ सी मौजुद होती है। इक साधारण से दृश्य के पीछे, भी पूरी पटकथा ससंवाद लिखी होती है। बहते रक्त... Hindi · कविता 1 272 Share Manisha Manjari 28 Mar 2022 · 1 min read शवदाह शवदाह करने आया वो, घाट में ग्लानि नहीं थी, उसे अपने-आप में। बचपन बिताया था, जिसकी छाँव में उसी को जलाने, आया वो गाँव में। साँसे जुड़ी थी कभी, जिसकी... Hindi · कविता 5 2 311 Share Manisha Manjari 26 Mar 2022 · 1 min read मन की भ्रांतियाँ मन की भ्रांतियाँ टूट चुकीं अब, कहने को कुछ बचा ना था। शब्द मौन हो चुके थे ऐसे, साँसों का भी पता ना था। फूल हो तुम मेरी बगिया की,... Hindi · कविता 1 2 254 Share Manisha Manjari 21 Mar 2022 · 1 min read एक संवाद ये अक्स कुछ याद दिलाता है, बीते दिनों से संवाद कराता है। चेहरा तो वही है पर, आँखों में स्याह उतर आता है। लहरों पे बढ़ती नाव को, पीछे छूटे... Hindi · कविता 3 4 346 Share Manisha Manjari 16 Mar 2022 · 1 min read इन्तज़ार कभी मैं भी एक घर हुआ करता था, जहां किलकारियों का मधुर स्वर हुआ करता था। जहां गिरते पड़ते कदमों ने चलना सीखा था। जहां बसते के भरे डब्बों पे... Hindi · कविता 5 6 387 Share Previous Page 6