डॉ विजय कुमार कन्नौजे 165 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Next डॉ विजय कुमार कन्नौजे 28 Aug 2023 · 1 min read गहरी नदिया नांव पुराने कौन है खेवनहार गहरी नदिया नांव पुराने कौन है खेवनहार हरि भजन कर नर मुरख यही है जग में सार पूर्ण ब्रह्म परमात्मा कृष्ण है भजले राधेश्याम राम कृष्ण में कुछ भेद नहीं... Hindi · कविता 1 343 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 28 Aug 2023 · 1 min read धन दौलत सोना चांदी धन दौलत सोना चांदी महल अटारी सब कुछ था बिन बेटा का अवध नरेश आंगन उनका सुना था सर पकड़ कर राजा सोचा बिना वंश जग सुन्ना है आंगन किलकारी... Hindi · कविता 1 218 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 28 Aug 2023 · 2 min read मानव समाज की हालत पर मंथन मानव समाज की हालत पर मंथन अब बदल गया भेष भुषा मिट गया माथे का चन्दन हाथ जोड़कर विनती करत संस्कार जगाने, करें मंथन पलट गया है वक्त अब जन-मानस... Hindi · कविता 2 258 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 28 Aug 2023 · 1 min read मृगतृष्णा मृगतृष्णा मृगतृष्णा का कर त्याग मन से करें विचार अनमोल रतन हो नारियां पग फिसले गंवार कर सम्मान नारी जगत का खुद पाओ सम्मान आदिशक्ति कलि कालिका करो निज पहचान... Hindi · कविता 2 219 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 28 Aug 2023 · 1 min read मृगतृष्णा 2 मृगतृष्णा 2 मृगतृष्णा वश मिरगा घुमय बन बन ढुढै घास निज पत्नी को छोड़ पुरूष जो चले पराये पास मन लोभी हैं, लालच पड़े मक्खी पराये जान रोग अनेक हैं,उपज... Hindi · कविता 1 338 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 28 Aug 2023 · 1 min read विभत्स रस आधारित विभत्स रस आधारित रक्त रंजित थी धरा, मुंड मुंड से पड़े हुए कुरूक्षेत्र में थी युद्ध मांस पड़ी सड़े गले कंकाल तंत्र अनगिन दुर्गंध युक्त थे पड़े हुए नाक सिकोड़... Hindi · कविता 1 170 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 28 Aug 2023 · 1 min read अभिमानी अभिमानी जनता माटी का मुरत नही समाज का खुबसुरत है दस बीस का लिया निर्णय यह तो बहुत बद सुरत है जमालेता है रंगमंच समाज समाज के कुछ ठेकादारो ने... Hindi · कविता 2 334 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 28 Jul 2023 · 1 min read फेसबुक रचे हुए हैं चक्रब्युह, फेसबुक का जाल नंगी नाच नचात हैं,इनको समझें काल शासन क्या अवगत नहीं,छुट किया भरमार ब्लेक मेल करत युवा को, छुट रहा जो प्राण इनका दोषी... Hindi · कविता 1 400 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 28 Jul 2023 · 1 min read क्षमा याचना जहां न इज्जत राम का वहां न जावे श्याम अहं भोजन त्याग कर विदुर घर खावे साग प्रेम भाव के वशीभूत मनमोहन घनश्याम जाकी रही है भावना वैसा रहे हैं... Hindi · कविता 1 219 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 28 Jul 2023 · 1 min read आना ओ नोनी के दाई कस ओ नोनी के दाई काबर इतरावत हस आगु पाछु ल देखत झाड़ी म लुकावत हस कोन तोला का किहिस काकर तोला डर हे दुख पीड़ा ल गोठिया सुनसान हमर... Hindi · कविता 1 287 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 17 Jul 2023 · 1 min read नाही काहो का शोक वर्तमान समय में लोगों को, एक नजर है आता जिनके पास है, धन दौलत ,, वो ही इज्जत है पाता पैसा पितु पैसा हितु, पैसा है ,साक्षात लक्ष्मी माता सज्जन... Hindi · कविता 2 393 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 16 Jul 2023 · 2 min read अनचाहे अपराध व प्रायश्चित अनचाहे अपराध व प्रायश्चित अत्यंत मृदुल भाषी सीधा सादा जीवन में,भी कभी कभी अनचाहे अपराध हो जाता है। एक घटना मेरे जीवन में प्रत्यक्षदर्शी बनकर अनुभव किया। एक परिवार में... Hindi · कविता 1 304 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 16 Jul 2023 · 1 min read प्रथम गुरु प्रथम गुरु प्रथम गुरु है मातु पिता रेंगन बोलन सिखलाये हैं निज हाथों में शर पकड़ जो अपना दुध पिलायें हैं जानता था कौन तुम्हें यहां अगर मातु पिता न... Hindi · कविता 2 806 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 16 Jul 2023 · 1 min read अपनी अपनी सोच खोजी हो तो खोजिये निज इच्छा की खोज घटना तो घटित हुआ है अपनी अपनी सोच खेल खेल था खेल समझ निज इच्छा से खेली खेल निज पति को पागल... Hindi · कविता 1 363 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 15 Jul 2023 · 1 min read ख्याल ख्याल आता है तो आना ही चाहिए प्यासें को भी पानी पिलाना चाहिए नारी होने का गर्व न कर, है माटी का मंजर क्या सोचती क्या समझी, क्या रखी दिल... Hindi · कविता 1 362 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 15 Jul 2023 · 1 min read भाग रही नारी है वह ,नार नहीं उनकी लीला न्यारी है पता नही उस बेला का ,जो तुमको प्यारी है दिल में बैठी तेरे अंदर ,तब तो ब्रम्हकुमारी है उन दिल पर... Hindi · कविता 1 415 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 15 Jul 2023 · 1 min read सच्चे कवि,सच्चे लेखक सच्चे कवि,सच्चे लेखक अपमान नही सह सकते हैं जिनको सुनने की चाव नहीं वो कैसे चुप रह सकतें है कवि मित्रों के रहते रहते-जो साहित्य अनदेखा कर डाली वो शब्द... Hindi · कविता 1 402 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 15 Jul 2023 · 1 min read बात बात बात में बात भींगी बात बात है काल बात बात में रात कटी बात बात बिछी जाल बात बात है मोहन मंत्र छन छन बदली चाल पर नार से... Hindi · कविता 1 417 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 10 Jul 2023 · 1 min read त्याग लोक लाज के भय से,अब बुढ़िया बैठी उदास सारी उमर बिता डाली ,,दिल म छिपाये आश,, त्याग मुरत कहलाती है,लोग किया बदनाम एक जनम वह खो बैठी, कैसा सुंदर सम्मान... Hindi · कविता 1 164 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 5 Jul 2023 · 1 min read पुरूषो से निवेदन ज्योति आलोक मौर्य की चर्चा हुआ है तेज शशंकित हुआ है पुरुष जन अपनी पत्नी देख पुरा तालाब को किया गंदा सड़ा है मछली एक सज्जन नर पीते हैं पानी... Hindi · कविता 1 588 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 4 Jul 2023 · 1 min read सावन महिना सावन महिना सावन महिना भोंभरा तिपत हे बरषा कहां नंदागे अब आके बचाले अवघड़ दानी मोर मति छरियागे चारों कोती हावय गरमी अड़बड़ कुहक हावय भारी तरबतर पसीना में होवत... Hindi · कविता 1 354 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 4 Jul 2023 · 1 min read चिड़ियां जगह जगह है अब पानी चिड़ियों का आया जवानी हरा भरा अब झाड़े है बंदर को भी पछाड़ें है निज चोंचों से बना घोंसला तन तंदरूस्त मन चंगा आंगन आंगन... Hindi · कविता 1 247 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 3 Jul 2023 · 1 min read समाज समाज समाज के नाम पर रहता था मुझे नाज भ्रष्टाचारियों के कारणे अब लगने लगी लाज पंच परमेश्वर भूल गए धर्म नीति की बातें निष्पक्ष न्याय संविधान का होने लगी... Hindi · कविता 229 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 24 Jun 2023 · 1 min read लोग कहते हैं खास ,क्या बुढों में भी जवानी होता है। लोग कहते हैं खास ,क्या बुढों में भी जवानी होता है। अरे सच बताऊं यारों ,घायल शेर भी दहाड़ रोता है।। न करना कभी विश्वास,इनके पके पके बालों में सपनों... Hindi 1 580 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 12 Jun 2023 · 1 min read प्रेम का पुजारी हूं, प्रेम गीत ही गाता हूं प्रेम का पुजारी हूं, प्रेम गीत ही गाता हूं प्रेम का ही खोज में ,लंदन घुमआता हूं प्रेम का दीवाना हूं, प्रेम नही ढुंढ पाता हूं प्रेम का ही वास्ते,जग... Hindi · कविता 1 1k Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 11 Jun 2023 · 1 min read शर्म शर्म आती है मुझे , शर्म शर्म आती है मुझे , हिन्दुस्तानी कहलाने में हिन्दी के शब्द कोष को, अंग्रेजी में बतलाने में। चल गया है प्रचलन अब हिन्दी भी लिख न पाते बोलना तो... Hindi · कविता 2 984 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 9 Jun 2023 · 1 min read विधुर विरह विधुर विरह फुट रही है आंखें मेरी,फुट रहा अब है कान कहां होगी,कैसे होगी,मेरी अंजुलता का प्राण कहते हैं लोग सभी, अभी कलि काल सबेरा है विधुर के तीब्र नजरों... Hindi · कविता 2 343 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 6 Jun 2023 · 1 min read मौन बाण चलायेगा मौन बाण चलायेगा मौन रहकर पर्यावरण अपना बान चलायेगा क्या सोचे रे मन मुरख हा हा कार मचायेगा।। उबल पडे़गा धरा ह्दय भानू अग्नइ बरसायेगा जल विहीन होगी धरती सृष्टि... Hindi · कविता 2 325 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 5 Jun 2023 · 1 min read पर्यावरण पर्यावरण प्रकृति है मातु हमारा पुरूष पिता भगवान क्या समझेंगे मुरख जन पर्यावरण का सम्मान।। करके नष्ट पर्यावरण को अपनी मौत बुलाते हैं अपने हाथों से काट काट जंगल परआग... Hindi · कविता 2 464 Share डॉ विजय कुमार कन्नौजे 4 Jun 2023 · 1 min read फूल मोंगरा फूल मोंगरा तू स्वच्छ धवल ,शोभा आंगन की, दर्द न जानें कोंई । हार बना लेता है तुझको जस रावत की नोई ।। पर प्राण प्यारी हो तुम मस्त खिली... Hindi · कविता 2 1k Share Previous Page 4 Next